पाटीगणितम् में 'माप'

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भूमिका

यहां हम पाटीगणितम् में वर्णित विभिन्न मापों के बारे में जानेंगे।

मुद्रा माप

श्लोक

षोडशपणः पुराणः पणों भवेत् काकिणींचतुष्केण

पञ्चाहतैश्चतुर्भिर्वराटकैः काकिणो चैका ॥ ९ ॥

अनुवाद

एक पुराण सोलह पणों के बराबर होता है। एक पण चार काकिणीयों के बराबर है। एक काकिणी, बीस वराटकों(कौड़ियों) के बराबर है।[1]

1 पुराण = 16 पण

1 पण = 4 काकिणी

1 काकिणी = 20 वराटक

तौल की तालिका

श्लोक

माषो दशार्द्धगुञ्जः षोडशमाषो निगद्यते कर्षः

स सुवर्णस्य सुवर्णस्तैरेव पलं चतुर्भिश्च ॥ १० ॥ .

अनुवाद

एक माष का भार पांच गुञ्जा (एब्रस बीजों) के बराबर होता है। सोलह माष का भार एक कर्ष कहलाता है। सोने के एक कर्ष को सुवर्ण कहा जाता है और चार कर्षों से एक पल बनता है।

1 माष = 5 गुञ्जा

16 माष= 1 कर्ष

4 कर्ष = 1 पल.

धारा मापों की तालिका

श्लोक

खार्येका षोडशभिर्द्रोणैश्चतुराढको भवेद् द्रोणः

प्रस्थैश्चतुर्भिराढकमेकः प्रस्थश्चतुष्कुडवः ॥ ११ ॥

अनुवाद

एक खारि, सोलह द्रोण के बराबर है; एक द्रोण चार आढकों के बराबर है; एक आढक चार प्रस्थों के बराबर है; और एक प्रस्थ चार कुडवों के बराबर है।

1 खारि = 16 द्रोण

1 द्रोण= 4 आढक

1 आढक = 4 प्रस्थ

1 प्रस्थ = 4 कुडव .

वेदांग-ज्योतिष में द्रोण, आढक और कुडव शब्दों का भी उल्लेख मिलता है, जहां आढक को 50 पल पानी रखने में सक्षम एक बर्तन के रूप में परिभाषित किया गया है।

प्रस्तुत कृति के भाष्यकार के अनुसार एक खारिक में 3200 पल होते हैं, अत:

1 द्रोण = 200 पल,

1 आढक = 50 पल,

1 प्रस्थ = 12½ पल

1 कुडव = 3⅛ पल

इस प्रकार हम देखते हैं कि भाष्यकार के समय और स्थान में प्रयुक्त आढक वही था जो वेदांग-ज्योतिष के समय में प्रयुक्त होता था।

रैखिक मापों की तालिका

श्लोक

हस्तोऽङ्गुलविंशत्या चतुरन्वितया चतुष्करो दण्डः

तद् द्विसहस्रं क्रोशो योजनमेकं चतुष्क्रोशम् ॥ १२ ॥

अनुवाद

चौबीस अंगुल (उंगली-चौड़ाई), एक हस्त (हाथ) बनाते हैं; चार हस्त एक दंड (कर्मचारी) बनाते हैं; उनमें से दो हजार एक क्रोश बनाते हैं; और चार क्रोश एक योजन बनाते हैं।

24 अंगुल = 1 हस्त

4 हस्त = 1 दंड

2000 दंड = 1 क्रोश

4 क्रोश = 1 योजन

समय-मापों की तालिका

श्लोक

भवति घटीनां षष्टयाऽहोरात्रस्तैस्त्रिसङ्गुणैर्दशभिः ।

मासो द्वादशभिस्तैर्वर्षं गणितेऽत्र परिभाषा ॥ १३ ॥

अनुवाद

साठ घटियाँ एक निक्थेमेरोन (दिन-रात) बनाती हैं; उनमें से तीस एक महीना बनाते हैं; उनमें से बारह एक वर्ष बनाते हैं। इस (पाटी) गणित में ये परिभाषाएँ (प्रयुक्त) हैं।

60 घटियाँ एक दिन-रात बनाती हैं

30 दिन-रात एक महीना बनाते हैं

12 महीना एक वर्ष बनाते हैं

यह भी देखें

Measures in Pāṭīgaṇitam

संदर्भ

  1. (शुक्ला, कृपा शंकर (1959)। श्रीधराचार्य की पाटीगणित। लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय. पृष्ठ-3-4।)"Shukla, Kripa Shankar (1959). The Pāṭīgaṇita of Śrīdharācārya. Lucknow: Lucknow University. p.3-4.