लौह चुंबकत्व

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लौहचुम्बकत्व

जब बाहरी चुंबकीय क्षेत्र में रखा गया कोई पदार्थ चुंबक की तरह व्यवहार करता है या उस विशेष समय के लिए चुंबकित होता है, तो इस प्रक्रिया को लौह चुंबकत्व के रूप में जाना जाता है, और उस पदार्थ को लौहचुम्बकीय पदार्थ के नाम से जाना जाता है। कुछ डी ब्लॉक तत्व लौहचुम्बकीय व्यवहार दिखाते हैं।

वे चुंबकीय क्षेत्र में अत्यधिक आकर्षित होते हैं। इन पदार्थों की आणविक संरचना में स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण होता है क्योंकि उनके डोमेन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं। और बाहरी चुंबकीय क्षेत्र लागू करने पर यह सभी अयुग्मित इलेक्ट्रॉन एक ही दिशा में संरेखित होते हैं, इसलिए इन पदार्थों में चुंबकत्व उत्पन्न होता है।

जब ये पदार्थ लंबे समय तक चुंबकीय क्षेत्र में रहते हैं तो चुंबकीय क्षेत्र को हटाने पर भी, वे चुंबक की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं। इस घटना को हिस्टैरिसीस के रूप में जाना जाता है।

लौहचुम्बकीय पदार्थ के उदाहरण

लौहचुम्बकीय पदार्थों के कुछ सामान्य उदाहरण Fe, Co, Ni और कुछ दुर्लभ पृथ्वी धातुएँ (लैंथेनाइड्स) जैसे गैडोलिनियम, डिस्प्रोसियम, नियोडिनियम हैं।  ये बाहरी चुंबकीय क्षेत्र में चुंबक की तरह व्यवहार करते हैं।

कुछ धात्विक अयस्क मैग्नेटाइट (आयरन ऑक्साइड), पाइराइट और मिश्रधातु भी लौहचुंबकीय पदार्थ की तरह व्यवहार करते हैं।

लौहचुम्बकीय पदार्थ से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  * उच्च तापमान के तहत लौहचुंबकीय पदार्थ अपने चुंबकीय गुण खो देते हैं।

  • उनके डोमेन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन मौजूद होते हैं।
  • इन पदार्थों की आणविक संरचना में द्विध्रुव आघूर्ण होता है ।
  • लौहचुंबकीय पदार्थ किसी भी अन्य अनुचुंबकीय पदार्थ की तुलना में चुंबकीय क्षेत्र में अत्यधिक आकर्षित होते हैं।

लौहचुम्बकीय पदार्थों का उपयोग

लौहचुंबकीय पदार्थों में चुंबकत्व होता है। इसलिए इनका उपयोग इलेक्ट्रिक मोटर, ट्रांसफार्मर, जनरेटर, लाउडस्पीकर, रिकॉर्डिंग डिवाइस आदि में किया जाता है।