लघुबीजाणुधानी

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परिचय

आवृतबीजी पौधों में पुष्प लैंगिक जनन की इकाई है। पुष्प के नर और मादा जनन अंग इसमें भाग लेते हैं। पुंकेसर का परागकोष (जो नर भाग है) वह स्थान है जहाँ पराग कण उत्पन्न होते हैं। परागकोष की अनुप्रस्थ काट को देखने पर यह प्रकोष्ठो में बँटा दिखाई देता है, ये प्रकोष्ठ लघुबीजाणुधानी कहलाते हैं। परंतु परागकोश में कहां और किस विधि से इनका निर्माण होता है? लघुबीजाणुधानी वास्तव में वह स्थान है जहां परागकण विकसित और परिपक्व होते हैं। इस अध्याय में हम लघुबीजाणुधानी की संरचना और भूमिका के बारे में चर्चा करेंगे।

परिभाषा

अधिकांश आवृतबीजियों में परागकोष द्विपालित होता हैं। द्विपालित परागकोष में चार लघुबीजाणुधानियाँ होती हैं जो चारों कोनों में उपस्थित होती हैं।। लघुबीजाणुधानी वह स्थान है जहां लघुबीजाणुओं का निर्माण होता हैं। इस प्रक्रिया को लघुबिजाणुजनन कहा जाता है। जब परागकोष परिपक्व नहीं होता है, तो सघन रूप से व्यवस्थित समरूप कोशिकाओं का एक समूह जिसे स्पोरोजेनस ऊतक कहा जाता है, प्रत्येक लघुबीजाणुधानी के केंद्र में रहता है।

संरचना

अनुप्रस्थ खंड में, एक विशिष्ट लघुबीजाणुधानी रूपरेखा में गोलाकार दिखाई देता है। एक परिपक्व लघुबीजाणुधानी में चार परतें होती हैं। ये परतें परिधि से केंद्र की ओर एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित होती हैं। बाहरी तीन परतें परागकोश की सुरक्षा का कार्य करती हैं और परागकण को मुक्त करने के लिए परागकोश के स्फुटन में मदद करती हैं। सभी के नाम एवं कार्या निम्नलिखित हैं-

  • बाह्यत्वचा: परागकोश के विकास में बाह्यत्वचा एक सुरक्षात्मक भूमिका निभाता है।
  • एन्डोथेसियम: जब परागकण परिपक्व होते हैं तो परागकोश के स्फुटन के लिए एन्डोथेसियम ।
  • मध्य परतें:
  • टेपेटम: टेपेटम माइक्रोस्पोर विकास के लिए पोषक तत्व और पराग दीवार निर्माण के लिए सामग्री प्रदान करता है।