विलेयता गुणनफल स्थिरांक
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स्थिर ताप पर, किसी अल्प विलेय वैधुतअपघट्य के संतृप्त विलयन में ठोस वैधुतअपघट्य और विलयन में उपस्थित उसके अवियोजित अणुओं और आयनों के मध्य साम्यावस्था रहती है, इसपर द्रव्यानुपाती क्रिया का नियम लगाया जा सकता है।
उदाहरण
सिल्वर क्लोराइड, AgCl, के संतृप्त विलयन में निम्नलिखित साम्यावस्था रहती है,
उपरोक्त अभिक्रिया में द्रव्यानुपाती क्रिया का नियम लगाने पर,
(स्थिरांक)
[Ag+] [Cl-] = K [AgCl]
[Ag+] [Cl-] =Ksp (स्थिरांक)
जहां एक स्थिरांक है जिसे सिल्वर क्लोराइड का विलेयता गुणनफल कहते हैं। स्थिर ताप पर, किसी अल्प विलेय वैधुतअपघट्य के विलेयता गुणनफल कहते हैं। स्थिर ताप पर, किसी अल्प विलेय वैधुतअपघट्य के विलेयता गुणनफल, क का मान निश्चित और स्थिर होता है।
स्थिर ताप पर, किसी अल्प विलेय वैधुतअपघट्य के संतृप्त विलयन में उसके आयनों की मोलर सांद्रताओं का गुणनफल स्थिर होता है जिसे उस वैधुतअपघट्य का विलेयता गुणनफल, Ksp, कहते हैं।
उदाहरण
लेड क्लोराइड, PbCl2 , के संतृप्त विलयन में निम्न-लिखित साम्य रहता है।
लेड क्लोराइड का विलेयता गुणनफल व्यंजक है,
Ksp = [Pb+2] [Cl-]2
Ksp = s (2s)2
Ksp = 4s3
विलेयता गुणनफल से प्राप्त निष्कर्ष
किसी अल्प विलेय वैधुतअपघट्य के विलयन में आयनों की सांद्रताओं का गुणनफल विलेयता भागफल कहलाता है जब तक यह उसके विलेयता गुणनफल से कम होता है वह अवक्षेपित नहीं होता है।
Qsp < Ksp (अवक्षेप नहीं बनता)
किसी अल्प विलेय वैधुतअपघट्य के विलयन में आयनों की मोलर सांद्रताओं का गुणनफल विलेयता भागफल कहलाता है जब तक यह उसके विलेयता गुणनफल से अधिक होता है वह अवक्षेपित होता है।
Qsp > Ksp (अवक्षेप नहीं बनता)