लवणों का जल अपघटन एवं इनके विलयन का pH

From Vidyalayawiki

Listen

लवणों का जलीय विलयन उदासीन, अम्लीय और क्षारीय होता है, जो लवण की प्रकृति पर निर्भर करता है। जैसा कि हम जानते हैं कि किसी लवण को जल में विलीन करने पर वह अपने आयनों में टूट जाता है और धनायन और ऋणायन प्राप्त होते हैं दोनों जल के अणुओं से अभिक्रिया करके अम्लीय या क्षारीय विलयन बनाते हैं तो इस अभिक्रिया को लवण का जल अपघटन कहते हैं। लवण का जल अपघटन एक उत्क्रमणीय प्रक्रिया है। जिसमे लवण और उसके आयनों के बीच साम्यावस्था होती है। किसी लवण की जल से अभिक्रिया कराने पर अम्ल तथा क्षार का बनना लवण जल अपघटन कहलाता है, सभी प्रकार के लवणों का जल अपघटन नहीं होता है।

उदाहरण

जल एक दुर्बल वैधुत अपघट्य होता है अतः यह जल्दी आयनित नहीं होता जिसमे जल और उसके आयनों के मध्य साम्यावस्था होती है,

शुद्ध जल उदासीन होता है क्योकी उसके आयनों और अणुओं के मध्य साम्यावस्था रहती है।

जल द्वारा NCl3 के जल अपघटन से अमोनियम हाइड्रॉक्साइड और हाइपोक्लोरस अम्ल का निर्माण होता है।

लवणों के प्रकार

प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षारक का लवण

प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षारक लवण को जल में घोलने पर उसके धनायन जल के अणुओं से अभिक्रिया करके दुर्बल क्षारक और H+ आयन बनाते हैं जिससे विलयन में H+ आयन की सांद्रता OH- आयन से ज्यादा बढ़ जाती है और विलयन अम्लीय हो जाता है।

जैसे

NH4Cl, CuSO4, FeCl3 आदि लवणों के जलीय विलयन जल अपघटन के कारण अम्लीय होते हैं।

उदाहरण

अमोनियम क्लोराइड एक प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षार की तरह व्यवहार करता है। अमोनियम क्लोराइड को जल में घोलने पर NH4OH प्राप्त होता है और साथ ही H+ आयन मुक्त होता है, जिससे H+आयनों की सांद्रता OH- आयनों से ज्यादा हो जाती है और विलयन अम्लीय हो जाता है।