रासायनिक साम्यावस्था का नियम तथा साम्यावस्था स्थिरांक

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अभिक्रिया की अवस्था वह अवस्था जिसमे  अग्र और पश्च दोनों अभिक्रियाओं की अभिक्रिया की दर बराबर होती है। रसायनिक साम्यावस्था कहलाती है। अथवा  अभिक्रिया की अवस्था जिसमें अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ स्थिर हो जाती है और समय के साथ परिवर्तित नहीं होती, रसायनिक साम्य की अवस्था कहलाती है। स्थिर ताप पर एक बंद पात्र में जब कोई उत्क्रमणीय अभिक्रिया होती है तो पहले अग्र अभिक्रिया शरू होती है जिसमें उत्पाद बनते हैं और जब उत्पाद बन जाता है तो पश्च अभिक्रिया प्रारम्भ होती है। प्रारम्भ में अग्र अभिक्रिया की दर पश्च अभिक्रिया से अधिक होती है। परन्तु जैसे जैसे समय बीतता जाता है अभिकारक की सांद्रता घटती जाती है और उत्पाद की सांद्रता बढ़ती जाती है और एक अवस्था आती है जब अग्र अभिक्रिया का वेग पश्च अभिक्रिया के वेग के बराबर हो जाता है। अभिक्रिया की यह अवस्था ही साम्यावस्था कहलाती है।

जब किसी अभिक्रिया की साम्यावस्था आ जाती है तो भी अभिक्रिया का होना रुकता नहीं है। बल्कि अग्र और पश्च दोनों अभिक्रिआएं समान दर से निरंतर होती रहती हैं।

  • साम्यावस्था में अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ स्थिर हो जाती हैं और वह समय के साथ परिवर्तित नहीं होती हैं।
  • साम्यावस्था में अग्र और पश्च अभिक्रियाओं की दरें बराबर होती हैं।
  • साम्यावस्था गतिक होती है। साम्यावस्था में अग्र और पश्च दोनों अभिक्रिआएं समान दर से होती हैं।
  • उत्प्रेरक की उपस्थित में साम्यावस्था जल्दी आती है।

रासायनिक साम्यावस्था को निम्न उदाहरण द्वारा भी समझा जा सकता है:

हाइड्रोजन और आयोडीन वाष्प से हाइड्रोजन आयोडाइड का निर्माण एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया है। हाइड्रोजन और आयोडीन के मिश्रण को एक बंद पात्र में 444C पर गर्म करने पर पहले अग्र अभिक्रिया प्रारम्भ होती है जिससे हाइड्रोजन आयोडाइड वाष्प बनती है और जैसे ही हाइड्रोजन आयोडाइड की कुछ मात्रा बनती है तो अभिक्रिया पश्च दिशा में जाने लगती है।