कार्बन के उपयोग
Listen
कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम, टिन, लेड तथा फ्लेरोवियम समूह 14 के तत्व है। कार्बन प्रकृति में पाया जाना वाला अतिबाहुल्य तत्व है। यह प्रकृति में स्वतंत्र एवं संयुक्त अवस्था में बहुतायत में पाया जाने वाला तत्व है। यह प्रकृति में कोयला, ग्रेफाइट तथा हीरा में मिलता है, जबकि संयुक्त अवस्था में यह धातु कार्बोनेट, हाइड्रोकार्बन तथा वायु में यह कार्बनडाइ ऑक्साइड गैस के रूप में मिलता है।
कार्बन अपने दो रूपों में पाया जाता है:
- क्रिस्टलीय रूप
- अक्रिस्टलीय रूप
कार्बन के गुण
- कार्बन सबसे सामान्य रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक C और परमाणु क्रमांक 6 है।
- कार्बन आवर्त सारणी में समूह 14 का सदस्य है ।
- कार्बन नाम लैटिन शब्द कार्बो, अर्थात कोयला से आया है।
- यह पृथ्वी की पपड़ी में 15वां सबसे प्रचुर तत्व है और हाइड्रोजन, हीलियम और ऑक्सीजन के बाद चौथा सबसे प्रचुर तत्व है।
जब कार्बन परमाणु अलग-अलग तरीकों से एक साथ बंधे होते हैं, तो उन्हें कार्बन के अपररूप कहा जाता है । कुछ सबसे प्रसिद्ध एलोट्रोप हीरा, ग्रेफाइट और फुलरीन कार्बन हैं। ग्रेफाइट सबसे नरम ज्ञात पदार्थों में से एक है और हीरा सबसे कठोर पदार्थ है। हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध क्रिस्टलीय अपरूप है हीरा कई कार्बन से मिलकर बना होता है, जो एक साथ चतुष्फलकीय रुप से जुड़े होते हैं।
हीरा
हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से घिरे होते हैं और उनसे मजबूत सहसंयोजक आबंध - सबसे मजबूत प्रकार के रासायनिक आबंध द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक कार्बन का sp3 संकरण होता है। हीरा में क्रिस्टलीय जालक होता है। कार्बन में प्रत्येक कार्बन चार और कार्बन से जुड़ा होता है प्रत्येक कार्बन की बंध लम्बाई 154 pm होती है। हीरा पृथ्वी पर पाया जाने वाला सर्वाधिक कठोर पदार्थ है। हीरे का गलनांक बहुत उच्च होता है, इसका उपयोग धार तेज करने के लिए अपघर्षक के रूप में तथा विधुत लैंप में टंगस्टन तंतु बनाने में होता है।
ग्रेफाइट
यह एक परत संरचना होती है जिसमें अनेक परतें होती हैं ये सभी परतें वान्डरवाल बल द्वारा जुडी रहती हैं। ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन sp2 संकरित होता है। ग्रेफाइट कार्बन का दूसरा अपररूप होता है। इसमें कार्बन परमाणु समान्तर परतों में व्यवस्थित होते हैं। ग्रेफाइट अधातु होकर भी मुलायम और विद्युत का चालक होता है। ग्रेफाइट की संरचना षटकोणीय जालक परत के रूप में होती है। ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाते हैं। जो सम्पूर्ण जालक के रूप में गमन करते हैं। ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु विभिन्न परतों में व्यवस्थित होते हैं। जिनमे प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर षट्कोणीय रेखीय संरचना बनता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रान मुक्त होता है। जो इसे विद्युत का अच्छा चालक बनाता है।
फुलरीन
अक्रिय गैसों जैसे हीलियम, आर्गन आदि की उपस्थित में जब ग्रेफाइट को विधुत आर्क में गर्म करते हैं, तब फुलरीन का निर्माण होता है।
फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है। अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु भी पाए जाते हैं। C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है।
भौतिक एवं जैविक भूमिका
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) कार्बन का एक रूप है जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए हवा और पानी में उपस्थित एक आवश्यक तत्व है। हरे पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में तोड़ने के लिए सूर्य से अपनी ऊर्जा लेता है। जो जीवित जीव प्रकाश संश्लेषण नहीं कर सकते, वे कार्बन डाइऑक्साइड अणुओं की अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं का उपभोग करने के लिए अन्य जीवित जीवों पर निर्भर रहने के लिए बाध्य हैं।
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) के उपयोग
कार्बन परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रान युग्म की उपस्थित के कारण कार्बन मोनोऑक्साइड दाता के समान व्यव्हार करता है।
- कई धातुओं के साथ गर्म किये जाने पर कार्बन मोनोऑक्साइड धातु कार्बोनिल बनाता है।
- यह हीमोग्लोबिन से मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनती है।
कार्बन डाइऑक्साइड के उपयोग
- कार्बन डाइऑक्साइड को शुष्क गैस के रूप में प्राप्त किया जाता है।
- शुष्क गैस को शुष्क बर्फ के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- शुष्क बर्फ का उपयोग हिमशीतत भोजन के लिए प्रशीतक के रूप में किया जाता है।