आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान
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आवर्त सारणी का पहला तत्व हाइड्रोजन है और इसका परमाणु क्रमांक एक है, अर्थात इसके परमाणु में केवल एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित है और इस प्रकार इसके सबसे बाहरी कक्षा में केवल एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित है। आवर्त सारणी में तत्वों का स्थान उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर आधारित है। यह संरचना क्षार धातुओं (ns1) के समान है जिनके वाह्य कोश में 1 इलेक्ट्रॉन उपस्थित होता है। यह एक इलेक्ट्रॉन को स्वीकार करके, हीलियम के उत्कृष्ट गैस विन्यास को प्राप्त कर सकता है। यह हैलोजन परिवार (ns2 np5 ) के समान है, जिनके कोश में इलेक्ट्रॉनों के अष्टक को पूरा करने के लिए सिर्फ एक इलेक्ट्रॉन की भी कमी होती है। जब हाइड्रोजन एक इलेक्ट्रॉन निकाल देता है और धनायन बनाता है, तो यह क्षार धातुओं जैसा दिखता है लेकिन जब यह एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है और एक-ऋणात्मक आयन बन जाता है तो यह हैलोजन के समान दिखता है। इन गुणों को देखते हुए आवर्त सारणी में हाइड्रोजन की स्थिति एक बड़ा प्रश्न था।
अगर यौगिक बनाने की बात की जाये तो हाइड्रोजन क्षार धातुओं के समान ऑक्साइड, सल्फाइड और हैलाइड बनाता है। लेकिन इसकी आयनीकरण ेन्थालपय क्षार धातु की तुलना में बहुत कम होती है और यह अधातु की तरह व्यवहार करती है। हाइड्रोजन क्षार धातुओं की तुलना में हैलोजन से अधिक समानता रखता है। यह हैलोजन की तरह ही द्विपरमाणुक अणु के रूप में उपस्थित होता है।
हाइड्रोजन हैलोजन और क्षार धातुओं से काफी समानता रखता है, जब हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉन बाहर निकालता है तो उसके नाभिक का आकार घट जाता है जिससे ये सामान्य धातुओं के परमाणु आकार की तुलना में बहुत कम होता है। और यही कारण है कि हाइड्रोजन प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में रहता है।