कठोर एवं मृदु जल

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मृदु जल

ऐसा जल जिसमें लवण आदि नहीं होते और उसमें साबुन के साथ आसानी से झाग पैदा हो जाती है, ऐसे जल को मृदु जल कहते हैं। वर्षा का जल एवं आसुत जल मृदु जल के उदाहरण हैं। मृदु जल वह होता है जिसमें विलेयशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवण नहीं होते। मृदु जल साबुन के साथ आसानी से झाग दे देता है। साबुन के साथ आसानी से झाग देने वाला जल मृदु एवं कठिनाई से झाग देने वाला जल कठोर होता है। कठोर जल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। वास्तव में, यह कुछ लाभ प्रदान कर सकता है क्योंकि यह खनिजों में समृद्ध है और संभावित Toxic धातु आयनों जैसे- लेड और तांबे की घुलनशीलता को कम करता है।

कठोर जल

टिप्पणी यदि किसी जल में साबुन घिसने पर झाग पैदा नहीं होती है। साबुन से दहीं जैसा सफेद पदार्थ बन जाता है तो उसे कठोर जल कहते हैं। साबुन के साथ आसानी से झाग देने वाला जल मृदु एवं कठिनाई से झाग देने वाला जल कठोर होता है। कठोर जल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। वास्तव में, यह कुछ लाभ प्रदान कर सकता है क्योंकि यह खनिजों में समृद्ध है और संभावित Toxic धातु आयनों जैसे- लेड और तांबे की घुलनशीलता को कम करता है। हालांकि, कठोर जल बॉयलर में उपयोग नहीं कर सकते हैं क्योंकि उसे उबालने पर बॉयलर में लवणों (Salts) की पपड़ी जम जाने के कारण अधिक ऊष्मा व्यय होती हैं। यह कपड़े धोने तथा खाना पकाने के लिए भी योग्य नहीं होता। ऐसे मामलों में, जल मृदु करने के तरीकों का उपयोग किया जाता है।

जल की कठोरता का कारण

द्विसंयोजी या बहु संयोजी आयनों की उच्च सांद्रता जल की कठोरता का कारण है। जल की कठोरता मुख्य रुप से उसमें घुले हुए कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के बाई कार्बोनेट, क्लोराइड, सल्फेट एवं नाइट्रेट लवणों लवणों के कारण होती है। जल के बहाव के दौरान ये लवण जमीन से जल में  एकत्रित हो जाते हैं।

जल की कठोरता के प्रकार

अस्थाई कठोरता

यह जल में उपस्थित कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट लवणों के कारण होती हैं। इस प्रकार की कठोरता जल को उबालने या चूना डालने या, Na₂CO₃ (सोडियम कार्बोनेट) मिलाकर उबालने से खत्म हो जाती है क्योंकि ऐसा करने से केल्सियम तथा मैग्नीशियम आयन कार्बोनेट के रूप में अलग हो जाते हैं।

Ca(HCO3)2(aq) → CO2(g) + H2O(l) + CaCO3(s)

Ca(HCO3)2 + Ca(OH)2 → 2CaCO3 + 2H2O

स्थायी कठोरता

यह जल में उपस्थित कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के सल्फेट ,नाइट्रेट तथा क्लोराइड लवणों के कारण होती है। स्थाई कठोरता उबालने से या चूना डालने से दूर नहीं होती है।

स्थाई कठोरता दूर करने के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है:

  • सोडियम कर्बोनेट द्वारा
  • परम्यूटिट द्वारा
  • कार्बनिक आयन विनिमय द्वारा
  • केलगन द्वारा