ऑक्सीकरण-संख्या

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किसी परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या को उस आवेश के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक परमाणु अन्य विषम परमाणुओं के साथ आयनिक बंध बनाने पर प्रतीत होता है। उच्च विधुतऋणात्मकता वाले परमाणु (भले ही यह एक सहसंयोजक बंध बनाता है ) को एक ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था से प्रदर्शित की जाती है। उच्च विधुतधनात्मकता वाले परमाणु (भले ही यह एक सहसंयोजक बंध बनाता है ) को एक धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था से प्रदर्शित की जाती है।

उदाहरण 1: KCl में क्लोरीन की ऑक्सीकरण अवस्था

KCl उदासीन परमाणु है, और इसलिए इस पर आवेश = 0

KCl की ऑक्सीकरण अवस्था = पोटैशियम की ऑक्सीकरण अवस्था + क्लोरीन की ऑक्सीकरण अवस्था = 0.

पोटैशियम की ऑक्सीकरण अवस्था = +1

क्लोरीन की ऑक्सीकरण अवस्था = x

ऑक्सीकरण अवस्थाएँ

+1 + x = 0

x = -1

KCl में क्लोरीन की ऑक्सीकरण अवस्था = -1

उदाहरण 2: किसी संकुल में धातु आयन की ऑक्सीकरण संख्या

Ni(CO)4

कॉम्प्लेक्स का कुल आवेश शून्य है, CO एक उदासीन अणु है, अतः इसकी ऑक्सीकरण अवस्था = 0

Ni की ऑक्सीकरण अवस्था = x

ऑक्सीकरण अवस्थाएँ → x + (40) = 0

x = 0

अतः निकिल की ऑक्सीकरण अवस्था = 0

उदाहरण 3: [CoCl2 (NH3)4]+ में Co की आक्सीकरण संख्या ज्ञात कीजिये।

Co की ऑक्सीकरण संख्या (Co + 2Cl + 4×0) की ऑक्सीकरण संख्या = +1.

ऑक्सीकरण अवस्थाएँ x + (2(-1)) + 40 = +1

x = +3

संकुल में कोबाल्ट की ऑक्सीकरण संख्या = +3