धातुकर्म

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धातुओं को उनके अयस्कों से स्वतंत्र और शुद्ध अवस्था में प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातुकर्म या धातु का निष्कर्षण कहते हैं तथा इस प्रक्रिया में होने वाली अभिक्रियाएँ धातुकर्म कहलाती हैं।

खनिज

वे यौगिक जिनमें धातुओं के साथ-साथ अशुद्धियाँ भी होती हैं, खनिज कहलाते हैं, ये अपने अशुद्ध रूप में होते हैं। अयस्क वे खनिज हैं जिनसे धातुएँ आसानी से और आर्थिक बचत से प्राप्त की जा सकती हैं। उत्कृष्ट धातुएँ जैसे सोना, चाँदी, प्लैटिनम आदि प्रकृति में अपने मूल धात्विक रूप में उपस्थित होती हैं। अधिकांश तत्व वि

शेषकर धातुएँ अन्य तत्वों के साथ या रेत, चूना पत्थर और मिट्टी की अशुद्धियों के साथ उपस्थित होते हैं इन्हें खनिज कहा जाता है।

धातुओं का निष्कर्षण

भूमिगत गहराई में दबे धातु के अयस्कों को निकालने की प्रक्रिया को खनन कहा जाता है। अयस्कों से धातुओं का निष्कर्षण करने से हमे धातु प्राप्त होती है जिससे हम उसे अयस्क के रूप में प्रयोग करते हैं। अयस्क उन तैयार धातुओं से बहुत भिन्न होते हैं जिन्हें हम इमारतों और पुलों में देखते हैं। अयस्कों में उपस्थित धातु के आलावा जो भी अशुद्धियाँ होती हैं उन्हें गैंग कहा जाता है। धातुओं का निष्कर्षण और उनका पृथक्करण कुछ प्रमुख चरणों में होता है:

  • अयस्क की सांद्रता
  • अयस्क से धातु का पृथक्करण
  • धातु का शुद्धिकरण

एल्यूमिनियम के अयस्क:

बॉक्साइट - Al2O3 .2H2O

एल्युमिना - Al2O3

लोहा के अयस्क:

हेमेटाइट - Fe2O3

मैग्नेटाइट - Fe3O4

आयरन पाइराइट FeS2

ताँबा:

कॉपर पाइराइट - CuFeS2

क्यूप्राइट - Cu2O

कॉपर ग्लांस - Cu2S

जिंक:

जिंकाइट - ZnO

कैलामाइन - ZnCO3