इलेक्ट्रॉन

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1850 में फैराडे ने कांच की बनी हुई एक निर्वात नलिका ली जिसके दोनों सिरे पर धातु के दो पतले टुकड़े लगा दिए जिन्हे इलेक्ट्रोड कहा गया, इनमें से एक इलेक्ट्रोड को कैथोड कहा गया और दूसरे इलेक्ट्रोड को एनोड कहा गया है जब कांच की निर्वात नलिका में उच्च विभवांतरलगभग (10000 या उससे अधिक) उत्पन्न किया तो देखा गया कि कैथोड से कुछ कण उत्पन्न हुए कैथोड पर ऋणावेश होने के कारण ये धन प्लेट की ओर जाने लगते हैं बहुत सारे कण एक क्रम से धनावेशित प्लेट की तरफ जाने लगते हैं तो ये एक किरण के रूप में दिखाई देते हैं जिन्हे कैथोड किरणे कहते हैं  

कैथोड किरणों के गुण

  1. कैथोड किरणें कैथोड से प्रारम्भ होकर एनोड की तरफ जाती है
  2. ये प्रतिदीप्ति एवं स्फुरदीप्ति उत्पन्न करती है
  3. ये सीधी रेखा में चलती है
  4. ये फोटोग्राफिक प्लेट को काला कर देती है
  5. ये विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपित हो जाती है
  6. जब ये जिंक सल्फाइड की प्लेट से टकराती है तो प्रकाश उत्पन्न करती है
  7. जब ये उच्च परमाणु भार वाली धातु की प्लेट से टकराती है तो X- किरण उत्पन्न करती है
  8. जे जे थॉमसन ने कैथोड किरणों के वैधुत एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपन से e/m अर्थात आवेश/ द्रव्यमान का मान ज्ञात किया, जिसमे e/m का मान कूलम्ब प्रति ग्राम प्राप्त हुआ
  9. वैधुत क्षेत्र में इलेक्ट्रान एक परवलयाकार पथ बनाता है जोकि दिया गया है

जहाँ

e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश

m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान

v = इलेक्ट्रॉन का वेग

x = दो प्लेटों के बीच की दूरी जिनमें इलेक्ट्रॉन गमन कर रहा है

E = वैधुत क्षेत्र

y = y- अक्ष पर इलेक्ट्रॉन के पथ पर विक्षेपण

10. चुंबकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन का पथ गोलाकार होता है जिसकी त्रिज्या r है

जहाँ

m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान

v = इलेक्ट्रॉन का वेग

e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश

B = अनुप्रयुक्त चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता

11. जे जे थॉमसन ने आवेश / द्रव्यमान अनुपात दिया:

=−1.7588)×1011 C⋅kg−1