जरा-दूरदृष्टिता

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Presbyopia

प्रेस्बायोपिया की समझ

अधिक अवस्था वाले मानव (जैसे की माता-पिता या दादा-दादी) को कम अवस्था वाले (युवा और बच्चे) की अपेक्षा,अच्छे मुद्रण की समझ व पढ़ने में कठिनाई, फोन पर नज़रें गड़ाए रखना, यह सामान्य घटना, नहीं है,जिसे जरा-दूरदृष्टिता (प्रेसबायोपिया) कहा जाता है। जरा-दूरदृष्टिता ,अवस्था बढ़ने के साथ निकट की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने की मानवीय क्षमता का ह्रास है।

नेत्रों की आकर्षक दुनिया के रहस्य

नेत्रों पर एक स्पॉटलाइट: एक संकेन्द्रिकरण (फोकसिंग) मशीन

नेत्र को एक परिष्कृत कैमरे के रूप में सोचेने पर, यह भी ज्ञात होता है की प्रकाश, किस प्रकार कॉर्निया से प्रवेश कर, पुतली से होकर, लेंस तक पहुंचता है। यह लचीला लेंस नेत्र के पीछे रेटिना पर प्रकाश को मोड़ने के लिए, कैमरे पर फोकस करने वाली रिंग की तरह, अपना आकार बदलता है। इस प्रकार का संकेन्द्रिकरण (फोकसिंग) विभिन्न दूरी पर वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने की सुविधा देती है।

ऊपर के चित्र में साफ़ और लचीला लेंस सामान्य लेंसों वाले नेत्रों द्वारा किसी स्थिती का साधारण चित्रण (निकट और दूर की वस्तुओं से प्रकाश किरणें रेटिना पर तेजी से एकत्रित होती हैं),नीचे के चित्र में कठोर और कम लचीले (असामान्य) लेंसों वाले (निकट की वस्तुओं से आने वाली प्रकाश किरणें विवर्तित होकर रेटिना के पीछे केंद्रित हो जाती हैं, जिससे धुंधली दृष्टि उत्पन्न होती है), नेत्रों द्वारा अव्यवस्थतित चित्रण
सुस्पष्ट (क्रिस्टल क्लियर) लेंस: प्रकृति की उत्कृष्ट कृति

नेत्र का लेंस लाखों पारदर्शी कोशिकाओं से बना होता है। इन्हें लेंस फाइबर कहा जाता है। ये तंतुमय (रेशे) एक स्तरित संरचना में व्यवस्थित होते हैं, जो प्रोटीन द्वारा एक साथ बंधे होते हैं। युवा लोगों में, ये प्रोटीन लेंस को लचीला बनाए रखते हैं, जिससे यह निकट और दूर दृष्टि के लिए आसानी से आकार बदल सकता है।

जीर्णन प्रक्रिया: जब लेंस का लचीलापन फीका पड़ जाता है

जीव के अवस्था (अवस्था ) जैसे-जैसे बढ़ती है, लेंस में मौजूद प्रोटीन धीरे-धीरे सख्त होने लगते हैं और स में चिपक जाते हैं। इससे लेंस कम लचीला हो जाता है और आकार को प्रभावी ढंग से बदलने की उसकी क्षमता कम हो जाती है। इस के फलस्वरूप, निकट की वस्तुओं के लिए प्रकाश को रेटिना पर केंद्रित करने में आई कठिनाई को जिस नेत्र के रोग के रूप में पहचाना जाता है , उसे प्रेसबायोपिया कहा जाता है ।

एक सरल चित्र के साथ दीया हुआ आरेख इस को दिखा रहा है

धुंधलेपन से परे: लक्षण और समाधान

प्रेस्बायोपिया आमतौर पर 40 साल की अवस्था के आसपास शुरू होता है और धीरे-धीरे अवस्था के साथ बिगड़ता जाता है। सामान्य लक्षणों में नजदीक से धुंधली दृष्टि, पढ़ने में कठिनाई, सिरदर्द और आंखों पर दबाव शामिल हैं। जबकि प्रेस्बायोपिया, अवस्था बढ़ने का एक स्वाभाविक हिस्सा है, इसे प्रबंधित करने के तरीके भी हैं!

   पढ़ने का चश्मा:

इन चश्मे में उत्तल लेंस होते हैं जो निकट की वस्तुओं से प्रकाश को रेटिना पर केंद्रित करने में मदद करते हैं।

   बाइफोकल या ट्राइफोकल लेंस:

ये एक लेंस में विभिन्न शक्तियों को जोड़ते हैं, जिससे निकट, दूर और मध्यवर्ती दूरी पर स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

   कॉन्टेक्ट लेंस:

मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस बाइफोकल या ट्राइफोकल लेंस के समान लाभ प्रदान करते हैं।

   सर्जरी:

कुछ मामलों में, लेजर सर्जरी निकट दृष्टि में सुधार के लिए कॉर्निया को दोबारा आकार दे सकती है।

दृष्टि का स्थयात्व :एक सतत अन्वेषण

प्रेसबायोपिया एक चुनौती पैदा कर सकता है, लेकिन इसके पीछे के विज्ञान और उपलब्ध समाधानों को समझना ,स्पष्ट दृष्टि के साथ जगत भ्रमण (नेविगेट) करने में सशक्त बनाता है। इसी प्रकार यह भी सोच जा सकता है की हुमारे नेत्र अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) का चमत्कार हैं, और यहां तक ​​कि उनकी कमियाँ भी हमारे शरीर के अद्भुत तंत्र की एक आकर्षक झलक पेश करती हैं।