ध्रुवीय आणविक ठोस
इन ठोसों में इनके एक तरफ ऋणात्मक आवेश होता है और दूसरी तरफ धनात्मक आवेश होता है। इसमें द्विध्रुव - आकर्षण का द्विध्रुव बल है जो उन्हें आपस में जोड़े रखता है। उनके पिघलने और उबलने का ताप गैर-ध्रुवीय आणविक ठोस पदार्थों की तुलना में अधिक है, लेकिन वे अन्य ठोस पदार्थों की तुलना में अभी भी तुलनात्मक रूप से कम हैं।
उदाहरण
C2H5OH और NH3
अध्रुवीय आण्विक ठोस
इस प्रकार के ठोसों में इलेक्ट्रॉनों का वितरण सममित होता है, इसलिए ठोस में किसी भी तरफ कोई अतिरिक्त आवेश नहीं होता है, आवेश समान। जब दो विपरीत आवेश होते हैं तो वे एक-दूसरे को खत्म कर देते हैं। मीथेन, क्लोरीन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन इसके कुछ उदाहरण हैं। वे कमरे के ताप और दाब पर या तो द्रव पदार्थ या गैस होते हैं। वॉनडर वाल् बल वे बल हैं जो इन ठोस पदार्थों में अणुओं को एक साथ पकड़कर रखते हैं। आयनिक या सहसंयोजक बंधों की तुलना में ये बल कमज़ोर होते हैं।
उदाहरण
Cl2, H2, CH4