प्रभावी संघट्ट
किसी रासायनिक अभिक्रिया को सम्पन्न होने के लिये जितनी न्यूनतम ऊर्जा की मात्रा आवश्यक होती है उसे उस अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा (activation energy) कहते हैं। इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले १८८९ में स्वीडेन के वैज्ञानिक अर्हिनियस ने किया था। सक्रियण ऊर्जा को Ea से प्रदर्शित किया जाता है।
अभिकारक अणुओं के बीच टकराव के कारण प्रति इकाई प्रति सेकंड होने वाली टक्करों की संख्या रासायनिक अभिक्रिया होती है। अभिक्रिया मिश्रण की मात्रा को टकराव आवृत्ति (Z) के रूप में जाना जाता है। द्विआधारी टकराव के मामले में टकराव की आवृत्ति का मान 1025 से 1028 के क्रम में बहुत अधिक है। प्रत्येक टक्कर रासायनिक परिवर्तन नहीं लाती। जो टकराव वास्तव में उत्पाद उत्पन्न करते हैं वे प्रभावी टकराव होते हैं। रासायनिक परिवर्तन लाने वाली प्रभावी टक्करें कुल टक्करों की तुलना में कम होती हैं। जो टकराव किसी उत्पाद का निर्माण नहीं करते हैं वे अप्रभावी प्रत्यास्थ टकराव होते हैं यानी अणु बस टकराते हैं और अलग-अलग वेग से अलग-अलग दिशाओं में फैल जाते हैं। टकराव के प्रभावी होने के लिए, निम्नलिखित दो बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए।
ऊर्जा, टकराव की प्रभावशीलता को निर्धारित नहीं करती है। यदि प्रतिक्रिया घटित होनी है तो प्रतिक्रिया करने वाले अणुओं को उचित तरीके से टकराना चाहिए। अभिक्रिया की दर प्रभावी टक्करों की संख्या के समानुपाती होती है।
अभिक्रिया की दर टकराव की आवृत्ति प्रभावी संघट्ट का अंश
अभिक्रिया की दर = - = z f