आध एवं एकक कोष्ठिका
कोई भी क्रिस्टल जालक बहुत सी एकक कोष्ठिकाओं के जुड़ने से बनता है और प्रत्येक जालक बिंदु पर एक अवयवी कण (परमाणु, अणु अथवा आयन) होता है।
इस प्रकार तीन प्रकार की घनीय एकक कोष्ठिका के बारे में विचार करेंगे :
- आद्य घनीय एकक कोष्ठिका
- अन्तः केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका
- फलक केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका
एकक कोष्ठिका को विस्तृत रूप से दो संवर्गों मे बांटा जा सकता है, आध एवं केंद्रित एकक कोष्ठिका कहा जाता है। आद्य घनीय एकक कोष्ठिका में परमाणु (अथवा अवयवी कण) केवल कोनों पर होते हैं। कोने का प्रत्येक परमाणु आठ निकटवर्ती एकक कोष्ठिकाओं के मध्य सहभाजित होता है। चार एकक कोष्ठिकाएँ समान परत में और चार एकक कोष्ठिकाएँ ऊपरी परत की होती हैं। अतः वास्तव में एक परमाणु (अणु अथवा आयन) का 1/8 भाग एक विशिस्ट एकक कोष्ठिका से सम्बंधित होता है।
इस प्रकार से एक फलक केंद्रित एकक कोष्ठिका में :
प्रत्येक घनीय एकक कोष्ठिका में उसके कोनो पर 8 परमाणु है, अतः एक एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की कुल संख्या परमाणु होता है।
8 परमाणु 8 कोने पर उपस्थित होते हैं अतः
8 कोने प्रति कोना परमाणु = = 1 परमाणु
प्रति एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की कुल संख्या = 1 परमाणु
गोले द्वारा अध्यासित आयतन =
यदि किसी घन के किनारे की लम्बाई 'a' और प्रत्येक कण की त्रिज्या 'r ' है
धन का आयतन = a3 = (8r)3
फलक केंद्रित घनीय जालक की संकुलन क्षमता = 52.4%