संरूपण

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किसी अणु के परमाणुओं की त्रिविम में वह व्यवस्था जो एकल बन्ध (C-C) के घूर्णन से उत्पन्न होती है, संरूपण कहलाती है। इसमें एक कार्बन पर स्थित हाइड्रोजन परमाणु, दूसरे कार्बन पर स्थित हाइड्रोजन परमाणुओं से आच्छादित होते हैं तथा सांतरित रूप में यह एक-दूसरे के मध्य में स्थित होते हैं। किसी अणु के परमाणुओं की त्रिविम व्यवस्था जो उन अणुओं में उपस्थित एकल बन्ध (C-C) के घूर्णन से उत्पन्न होती है, संरूपण कहलाती है। ग्रसित रूप में एक कार्बन पर स्थित हाइड्रोजन परमाणु, दूसरे कार्बन पर स्थित हाइड्रोजन परमाणुओं से आच्छादित होते हैं तथा सांतरित रूप में यह एक-दूसरे के मध्य में स्थित होते हैं।

एथेन अणु में असंख्य संरूपण पाये जाते हैं। ग्रसित रूप व सांतरित रूप के अतिरिक्त एथेन अणु में अनेक नए संरूपण भी पाए जाते हैं जिसमे से एक को विषमतलीय (skew) संरूपण कहते हैं। एथेन अणु के सभी सम्भव संरूपणों में से दो प्रमुख हैं। इन्हें न्यूमैन या सोहार्स से प्रक्षेप द्वारा दर्शाया जाता है।

एथेन अणु के सभी सम्भव संरूपण

एथेन अणु के सभी सम्भव संरूपणों में से दो प्रमुख हैं।

  • न्यूमैन प्रक्षेप
  • सोहार्स प्रक्षेप

ऐल्केनों में सांतरित संरूपण ग्रसित संरूपण से अधिक स्थायी होता है क्योंकि इस अवस्था में हाइड्रोजन परमाणु एक-दूसरे से अधिकतम दूरी पर स्थित होते हैं । जिससे इनके मध्य प्रतिकर्षण न्यूनतम होता है। एथेन का अणु अधिकांशत: सांतरित रूप में ही रहता है।

न्यूमैन प्रक्षेप

न्यूमैन प्रक्षेपण

किसी अणु की विभिन्न संरचनाओं को बेहतर ढंग से देखने के लिए, न्यूमैन प्रक्षेपण नामक कन्वेंशन का उपयोग किया जाता है। हम 'सामने' वाले परमाणु को एक बिंदु के रूप में और 'पीछे' वाले परमाणु को एक बड़े वृत्त के रूप में चित्रित करते हैं। छह कार्बन-हाइड्रोजन बंध को दो कार्बन से निकलने वाली ठोस रेखाओं के रूप में दिखाया गया है। ध्यान दें कि हम न्यूमैन प्रक्षेपण में बंध को ठोस या वेजेज के रूप में नहीं खींचते हैं। इस तरह से C-C बंध को नीचे देखने पर, सामने वाले कार्बन पर C-H बंध और पीछे कार्बन पर C-H बंध के बीच बनने वाले कोण को डायहेड्रल कोण कहा जाता है।

सोहार्स प्रक्षेप

सॉहार्स प्रक्षेपण

ऐथेन के साँहार्स प्रक्षेपण सूत्र में ग्रसित एवं सांतरित संरूप होते हैं। ग्रसित संरूप के H परमाणुओं के (दोनों कार्बनों के) मध्य की दूरी कम होती है। अत: अपेक्षाकृत ये कम स्थायी है। जबकि सांतरित संरूप में दो कार्बनों के H परमाणुओं के मध्य दूरी अधिक होती है। अतः इनमें न्यूनतम त्रिविम बाधा है। यह अपेक्षाकृत अधिक स्थायी है। इसलिए सांतरित संरूप की ऊर्जा अधिक होती है। इसमें कार्बन कार्बन आबंध को दिखाने के लिए दाईं और बायीं ओर झुकी एक सीधी रेखा खींची जाती है। इसमें आगे उपस्थित कार्बन को नीचे बायीं ओर तथा पीछे वाले कार्बन को ऊपर दायीं ओर से प्रदर्शित करते हैं। ये रेखाएं एक दुसरे से 120 डिग्री का कोण बनाकर झुकी होती है।

अभ्यास प्रश्न

  • एथेन अणु के सभी सम्भव संरूपण का वर्णन कीजिये।
  • न्यूमैन प्रक्षेप से आप क्या समझते हैं?
  • सोहार्स प्रक्षेप से आप क्या समझते हैं?