हैलोजनों का परीक्षण
मात्रात्मक विश्लेषण कार्बनिक रसायन में एक महत्वपूर्ण विषय है क्योकी इसके द्वारा कार्बनिक यौगिकों में तत्वों का द्रव्यमान प्रतिशत ज्ञात किया जाता है। तत्वों के द्रव्यमान प्रतिशत से यौगिकों के मूलानुपाती सूत्र एवं अणुसूत्र की गणना की जाती है। मात्रात्मक विश्लेषण करने की विधियां भिन्न हैं:
हैलोजनों का परीक्षण
हैलोजन का परीक्षण करने की विधि कैरिअस विधि कहलाती है। इस विधि में एक कार्बनिक यौगिक की निश्चित मात्रा को एक कठोर कांच की नली मे (कैरिअस नली) में लेकर सिल्वर नाइट्रेट की उपस्थित में सधूम्र नाइट्रिक अम्ल के साथ गर्म करते हैं। जिससे यौगिक में उपस्थित कार्बन तथा हाइड्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल में आक्सीकृत हो जाते हैं, लेकिन हैलोजन सिल्वर हैलाइड में परिवर्तित हो जाता है। प्राप्त अवक्षेप को सूखा लेते हैं और फिर इसे तोल लेते हैं।
सल्फर का प्रतिशत =
जहाँ m1 यौगिक का द्रव्यमान है।
m प्राप्त AgX का द्रव्यमान है ।
उदाहरण
हैलोजन आकलन में 0.9 gm कार्बनिक यौगिक से 0.1 gm AgBr प्राप्त हुआ। यौगिक में ब्रोमीन का प्रतिशत ज्ञात कीजिये।
AgBr का आणविक द्रव्यमान = 1308 + 80
= 188 gm mol-1
188 gm AgBr में उपस्थित ब्रोमीन = 80 gm
0.12 gm AgBr में उपस्थित ब्रोमीन
= gm
ब्रोमीन का प्रतिशत =
= 4.72%
अभ्यास प्रश्न
- ड्यूमा विधि का उपयोग किस यौगिक की पहचान करने में किया जाता है ?
- नाइट्रोजन के आकलन की कौन कौन सी विधियां हैं?
- हैलोजन आकलन में 0.8 gm कार्बनिक यौगिक से 0.2 gm AgBr प्राप्त हुआ। यौगिक में ब्रोमीन का प्रतिशत ज्ञात कीजिये।