वाष्पदाब

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वाष्प दाब रसायन विज्ञान में एक मौलिक अवधारणा है जो एक विशिष्ट ताप पर द्रव के गैसीय अवस्था में वाष्पित होने की प्रवृत्ति से संबंधित है। यह वाष्प अणुओं द्वारा लगाया गया दाब है जब वे एक बंद कंटेनर के भीतर द्रव अवस्था के साथ साम्य में होते हैं। किसी ताप पर द्रव और उसकी वाष्प के मध्य साम्य की अवस्था में वाष्प का दाब द्रव का वाष्प दाब कहलाता है। स्थिर ताप पर, किसी द्रव का वाष्प दाब निश्चित और स्थितर होता है। वाष्पदाब का मान द्रव का ताप बढ़ने से बढ़ता है। जिस निश्चित ताप पर द्रव का वाष्पदाब वायुमंडल दाब के बराबर हो जाता है वह ताप द्रव का कथ्नांक कहलाता है। प्रत्येक द्रव का एक निश्चित और स्थिर कथ्नांक होता है। किसी द्रव का वाष्प दाब उसकी द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में जाने की प्रवृत्ति का माप है।

सरल शब्दों में, यह एक बंद प्रणाली में द्रव के ऊपर वाष्प का दाब है। किसी द्रव को खुले पात्र में रखने पर अधिक गतिज ऊर्जा के अणु द्रव के पृष्ठ को छोड़कर वाष्प अवस्था में जाते रहते हैं और वाष्प वायु में मिलती रहती है। इस प्रकार द्रव धीरे धीरे वाष्पित होकर वायु में चला जाता है। स्थिर ताप पर, किसी द्रव को निर्वातित बंद पात्र में रखने पर द्रव की सतह से अणु वाष्पित होकर द्रव के ऊपर उपलब्ध स्थान में एकत्रित होते रहते हैं और कुछ अणु द्रव की सतह से टकराकर वाष्प अवस्था से पुनः द्रव अवस्था में आते जाते हैं। वाष्पन और द्रवण की ये दो विरोधी प्रक्रियाएं साथ साथ चलती रहती हैं। प्रारम्भ में द्रवण प्रक्रिया का वेग वाष्पन प्रक्रिया के वेग से कम होता है, क्योकी वाष्प अवस्था में अणुओं की सांद्रता कम होती है, परन्तु जैसे - जैसे समय बीतता है वाष्पन का वेग घटता है और द्रवण का वेग बढ़ता है और अंत में एक ऐसी अवस्था आ जाती है जिसमे वाष्पन और द्रवण प्रक्रियाओं के वेग के बराबर हो जाते हैं। निकाय की यह अवस्था द्रव और वाष्प के मध्य साम्य की अवस्था कहलाती है।

द्रव  ↔ वाष्प

द्रव → वाष्प (वाष्पन)

वाष्प → द्रव (द्रवण)

रसायन विज्ञान में, अणुसंख्य गुणधर्म विलयनों के उन गुणधर्मों को कहते हैं जो विलयन में उपस्थित विलेय की संख्या पर निर्भर करतें है। उदाहरण के लिए, 'वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन' एक अणुसंख्य गुण है।

जब एक अवाष्पशील विलेय विलायक में डाला जाता है तब विलयन का वाष्पदाब घटता है। ऐसे अनेक गन है जो विलयन के वाष्पदाब के अवनमन से सम्बंधित हैं। वो कुछ इस प्रकार हैं:

  • विलायक के वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन
  • विलायक के हिमांक का अवनमन
  • विलायक के कथ्नांक का उन्नयन
  • विलयन का परासरण दाब

उपरोक्त सभी गुण विलयन में उपस्थित कुल कणों की संख्या तथा विलेय कणों की संख्या के अनुपात पर निर्भर करता है न की विलेय कणों की प्रकृति पर निर्भर करता है। इसे ही अणुसंख्य गुणधर्म कहा जाता है।

वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन

राउल्ट के नियम से वाष्पदाब का अवनमन केवल विलेय कणों के सांद्रण पर निर्भर करता है, उसकी प्रकृति पर निर्भर नहीं करता है। जब किसी द्रव विलायक में कोई अवाष्पशील पदार्थ घोलते हैं तो विलायक का वाष्पदाब कम हो जाता है, अर्थात किसी विलयन का वाष्प दाब हमेशा शुद्ध विलायक के वाष्प दाब से कम होता है। विलयन का वाष्प दाब विलयन के वाष्प दाब के कारण होता है।

....................................................................(2.22)

विलायक के वाष्पदाब में अवनमन, को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है -

....................................................................(2.23)

अतः

....................................................................(2.24)

जब किसी विलयन में एक से अधिक अवाष्पशील विलेय होते हैं, उसके वाष्पदाब का अवनमन विलेयों के मोल प्रभाज  पर निर्भर करता है।  

....................................................................(2.25)

राउल्ट का नियम

राउल्ट ने अवाष्पशील पदार्थों के द्रव विलायकों में विलयनों के वाष्प दाब अवनमन पर अनेक प्रयोग किये और उनसे जो परिणाम प्राप्त हुए उनसे राउल्ट ने अपना नियन प्रस्तुत किया।

"राउल्ट के नियम के अनुसार, वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन विलयन में विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है।"

यदि समान ताप पर शुद्ध विलायक और विलयन का वाष्प दाब क्रमशः P0 और Ps है, और विलयन में विलेय और विलायक के मोलों की संख्या क्रमश: n और N है।

....................................................................(2.26)

....................................................................(2.27)

....................................................................(2.28)

जहां और तथा और क्रमशः विलायक और विलेय की मात्रा और मोलर द्रव्यमान हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • द्रवण एवं वाष्पन में क्या अंतर है ?
  • वाष्पन तथा उबलने में क्या अंतर है ?
  • वाष्प दाब को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?