मोनोक्लिनिक सल्फर

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मोनोक्लिनिक सल्फर जिसे (β-सल्फर) भी कहते हैं। जब हम एक बर्तन में रोम्बिक सल्फर को पिघलाते हैं और उसे ठंडा करनते हैं तो हमें मोनोक्लिनिक सल्फर प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया में, हम परत में दो छेद करते हैं और बचा हुआ तरल बाहर निकाल देते हैं। इसके बाद जब परत हटा दी जाती है तो हमें β-सल्फर के रंगहीन सुई के आकार के क्रिस्टल मिलते हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • β-सल्फर एवं मोनोक्लिनिक सल्फर में क्या अंतर है ?
  • मोनोक्लिनिक सल्फर क्या है ?