इलेक्ट्रॉनरागी एरोमैटिक प्रतिस्थापन
एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन गोलाकार रूप से संरचित कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनमें अनुनादी पाई इलेक्ट्रॉनों के साथ सिग्मा बंध होते हैं। इन्हें एरेन्स या एरिल हाइड्रोकार्बन भी कहा जाता है। " असंतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनमें एक या अधिक तलीय छह-कार्बन वलय होते हैं जिन्हें बेंजीन वलय कहा जाता है, जिनसे हाइड्रोजन परमाणु जुड़े होते हैं"। एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन को एरीन भी कहा जाता है। क्योकी इनमे एक विशिष्ट प्रकार की गंध होती है। एरोमेटिक शब्द ग्रीक शब्द एरोमा से आया है जिसका अर्थ है 'सुगंध' इस प्रकार के यौगिकों को एरोमैटिक यौगिक भी कहते हैं। इनमे बेंज़ीन वलय भी पाई जाती है। इस बेंज़ीन वलय में एकांतर क्रम में द्विबंध पाए जाते हैं। जिन एरोमेटिक यौगिकों में बेंज़ीन वलय पाई जाती है इन्हे बेन्ज़ेनॉइड कहते हैं। जिनमे बेंज़ीन वलय नहीं पाई जाती उन्हें अबेन्ज़ेनॉइड कहते हैं। एरोमैटिक यौगिक होने के लिए यौगिक प्लेनर होना चाहिए मतलब इसका संकरण sp2 होना चाहिए।
एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन की प्रतिस्थापन अभिक्रियाएं
एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन बहुत आसानी से प्रतिस्थापन अभिक्रियाएं देते हैं। इसमें वलय में उपस्थित एक हाइड्रोजन परमाणु किसी दूसरे परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित हो जाता है।
उदाहरण
नाइट्रीकरण अभिक्रिया
बेंजीन का सांद्र नाइट्रिक अम्ल से सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थित में अभिक्रिया कराने पर नाइट्रोबेंज़ीन प्राप्त होता है।
क्लोरीनीकरण
बेंजीन का क्लोरीन से आयरन की उपस्थित में और अँधेरे में अभिक्रिया कराने पर क्लोरोबेंज़ीन प्राप्त होता है।
सल्फोनीकरण
बेंजीन का सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कराने पर बेंज़ीनसल्फोनिक अम्ल प्राप्त होता है।
कोल्बे अभिक्रिया
फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराने पर फीनॉक्साइड आयन प्राप्त होता है। यह फीनॉक्साइड आयन फीनॉल की अपेक्षा इलेक्ट्रॉनरागी एरोमेटिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति अधिक सवेदनशील होता है अतः यह जैसे दुर्बल इलेक्ट्रॉनरागी के साथ इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया देता है जिससे ऑर्थो हाइड्रॉक्सी बेंज़ोइक अम्ल मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
रीमर-टीमन अभिक्रिया
रीमर-टीमन अभिक्रिया का एक सामान्य उदाहरण फिनॉल का सैलिसिलैल्डिहाइड (2-हाइड्रॉक्सी बेंजाल्डिहाइड) में परिवर्तन है। रीमर-टीमन अभिक्रिया एक प्रकार की प्रतिस्थापन अभिक्रिया है जिसका नाम रसायनज्ञ कार्ल रीमर और फर्डिनेंड टाईमैन के नाम पर रखा गया है। अभिक्रिया का उपयोग C6H5OH (फिनोल) से ऑर्थो-फॉर्माइलेशन में रूपांतरण लिए किया जाता है।
जब फिनॉल, अर्थात C6H5OH, को NaOH (सोडियम हाइड्रॉक्साइड) की उपस्थिति में CHCl3 (क्लोरोफॉर्म) के साथ अभिक्रिया कराई जाती है, तो बेंजीन रिंग की ऑर्थो स्थिति में एक एल्डिहाइड समूह (-CHO) आ जाता है, जिससे आर्थो हाइड्रॉक्सीबेंज़ाल्डिहाइड का निर्माण होता है। यह अभिक्रिया को रीमर टिमैन अभिक्रिया कहा जाता है।
रीमर-टीमन अभिक्रिया का एक सामान्य उदाहरण फिनॉल का सैलिसिलैल्डिहाइड (2-हाइड्रॉक्सी बेंजाल्डिहाइड) में रूपांतरण है। रीमर-टीमन अभिक्रिया में क्लोरोफॉर्म (ट्राइक्लोरोमेथेन) और एक प्रबल क्षार सम्मिलित होता है, सामान्यतः एक हाइड्रॉक्साइड आयन।
स्थितियाँ:
- क्लोरोफॉर्म (CHCl₃) की उपस्थिति।
- एक प्रबल क्षार NaOH का उपयोग किया जाता है।
अभ्यास प्रश्न
- कोल्बे अभिक्रिया क्या है ?
- कोल्बे श्मिट अभिक्रिया उदाहरण सहित लिखिए।
- नाइट्रीकरण अभिक्रिया क्या है ?
- रीमर-टीमन अभिक्रिया क्या है