सांख्यिकी

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भूमिका

प्रतिदिन हमें तथ्यों, संख्यात्मक अंकों, सारणियों, आलेखों (ग्राफों) आदि के रूप में विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ देखने को मिलती रहती हैं। ये सूचनाएँ हमें समाचार पत्रों, टेलीविजनों, पत्रिकाओं और संचार के अन्य साधनों से उपलब्ध होती रहती हैं। ये सूचनाएँ क्रिकेट की बल्लेबाजी या गेंदबाजी के औसतों, कंपनी के लाभों, नगरों के तापमान, पंचवर्षीय योजना के विभिन्न क्षेत्र एवं मदों में किए गए खर्चों, मतदान के परिणामों आदि से संबंधित हो सकते हैं। एक निश्चित उद्देश्य से एकत्रित किए गए इन तथ्यों या अंकों को, जो संख्यात्मक या अन्य रूप में हो सकते हैं, आंकड़े (data) कहा जाता है। अंग्रेजी शब्द "data" लैटिन शब्द datum का बहुवचन है। हाँ, यह बात अवश्य है कि आपके लिए 'आंकड़ा' एक नया शब्द नहीं है। पिछली कक्षाओं में आप आंकड़ों और आंकड़ों के प्रबंधन के बारे में पढ़ चुके हैं।

आज हमारी दुनिया अधिक से अधिक सूचना - अभिविन्यास होती जा रही है। हम जीवन पर्यंत किसी न किसी रूप में आंकड़ों का प्रयोग करते रहते हैं। अतः हमारे लिए यह आवश्यक हो जाता है कि इन आंकड़ों से हम अपनी इच्छानुसार अर्थपूर्ण सूचनाएँ उपलब्ध करना जान जाएँ । अर्थपूर्ण सूचनाएँ उपलब्ध करने से संबंधित अध्ययन गणित की एक शाखा में किया जाता है जिसे सांख्यिकी (statistics) कहा जाता है।

ऐसा प्रतीत होता है कि सांख्यिकी के अंग्रेजी शब्द “statistics" की व्युत्पत्ति लैटिन शब्द “status”, जिसका अर्थ एक ( राजनैतिक) राज्य है, से हुई है। अपने मूल रूप में सांख्यिकी लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित उन आंकड़ों का ही संग्रह होता था जो राज्य के लिए उपयोगी होते थे। समय के साथ-साथ इसका कार्य क्षेत्र बढ़ता चला गया और सांख्यिकी का संबंध केवल आंकड़ों के संग्रह और प्रस्तुतिकरण से ही नहीं रह गया है, अपितु

आंकड़ों का संग्रह

आंकड़ों का प्रस्तुतिकरण

आंकड़ों का आलेखीय निरूपण

केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप