अवक्षेपण
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जब दो विलयनों को आपस में मिलाया जाता है तो उनकी अभिक्रिया से एक अविलय पदार्थ का निर्माण होता है, यह विलयन में नीचे की तरफ स्थिर हो जाता है । इस अविलय पदार्थ को अवक्षेप पदार्थ कहते है तथा इस अभिक्रिया को अवक्षेपण अभिक्रिया कहते है।
किसी विलयन से अघुलनशील ठोस पदार्थ का बनना अवक्षेपण कहलाता है। जो ठोस पदार्थ बनता है उसे अवक्षेप कहते हैं।
लियोफोबिक सॉल का स्थायित्व कोलाइडल कणों पर आवेश की आवृत्ति के कारण होती है। यदि आवेश को किसी तरह हटा दिया जाए तो कण एक-दूसरे के करीब आ जाएंगे और इस प्रकार, एकत्रित होंगे कि गुरुत्वाकर्षण बल के तहत स्कन्दित हो जाएंगे। कोलाइडल कणों के एक साथ एकत्रित होकर स्थिरीकरण होने को सॉल का स्कंदन या अवक्षेपण कहा जाता है।
लियोफोबिक सॉल का स्कंदन निम्नलिखित विधि द्वारा किया जा सकता है।
- वैद्युतकणसंचलन द्वारा
- दो विपरीत आवेशित सॉलों के मिश्रण से
- उबालकर
- लगातार डायलिसिस द्वारा
- इलेक्ट्रोलाइट्स द्वारा
उदाहरण:
सिल्वर नाइट्रेट के जलीय विलयन की अभिक्रिया
इसमें, सिल्वर क्लोराइड (AgCl) अवक्षेपित होने वाला अघुलनशील यौगिक है।
इसमें, BaSO4 अवक्षेपित होने वाला अघुलनशील यौगिक है।
अवलोकन:
अवक्षेपण अभिक्रियाओं की पहचान प्रायः अभिक्रिया मिश्रण में कोलॉइड या ठोस की उपस्थिति के गठन से की जाती है। ठोस वह अवक्षेप है जो विलयन से बाहर नीचे बैठ जाता है।
अभ्यास प्रश्न
- अवक्षेपण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं ?
- अवक्षेप से आप क्या समझते हैं ?