ऊष्मगतिकीय प्रक्रम

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भौतिक रसायन की एक शाखा है जिसके ऊर्जा रथानांतरण और ऊर्जा रूपांतरण का अध्धयन किया जाता है, विशेष रूप से ऊष्मा से कार्य और कार्य से ऊष्मा में ऊर्जा का रूपांतरण। ऊर्जा परिवर्तनों से सम्बंधित नियम उष्मागतिकी के नियम कहलाते हैं। उष्मागतिकी के नियम से सम्बंधित कुछ आधारभूत धारणाएं और परिभाषाएं निम्न हैं:

ऊर्जा

ऊर्जा कार्य करने की क्षमता है। ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है। ऊर्जा का यह गुण ऊर्जा संरक्षण कहलाता है। ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण किया जा सकता है।  

निकाय

द्रव्य का प्रतिदर्श जिसका अध्यन करना करना है निकाय या तंत्र कहलाता है।

उदाहरण किसी ठोस, द्रव या गैस का दिया हुआ नमूना, कोई रसायनिक अभिक्रिया, भौतिक प्रक्रम आदि।

विवृत निकाय या खुला निकाय

जो निकाय अपने परिवेश के साथ ऊर्जा और द्रव्य दोनों का विनिमय कर सकता है, विवृत निकाय या खुला निकाय कहलाता है। खुले बीकर में रखा पदार्थ एक विवृत निकाय है।

संवृत निकाय या बंद निकाय

जो निकाय अपने परिवेश के साथ ऊर्जा का विनिमय कर सकता है, परन्तु द्रव्य का विनिमय नहीं कर सकता है बंद निकाय कहलाता है

उदाहरण के लिए, बंद फ्लास्क में रखा पदार्थ एक संवृत निकाय है।

वियुक्त निकाय या विलगित निकाय

जो निकाय अपने परिवेश के साथ न द्रव्य का और ना ऊर्जा का विनिमय कर सकता है, वियुक्त निकाय या विलगित निकाय कहलाता है

उदाहरण के लिए, बंद फ्लास्क में रखा हुआ पदार्थ एक वियुक्त निकाय है।

परिवेश

जो निकाय के बाहर है वह निकाय का परिवेश कहलाता है। परिवेश और निकाय के मध्य एक वास्तविक या काल्पनिक परिसीमा होती है जो निकाय को परिवेश से पृथक करती है। उदाहरण के लिए बीकर में रखा पदार्थ निकाय और बीकर के बाहर का वायुमंडल निकाय का परिवेश है।

विश्व

निकाय और परिवेश संयुक्त रूप से विश्व बनाते हैं।

निकाय + परिवेश = विश्व

अभ्यास प्रश्न

  • विवृत निकाय या खुला निकाय से क्या तात्पर्य है ?
  • संवृत निकाय या बंद निकाय से क्या तात्पर्य है ?
  • उष्मागतिकी में परिवेश का अर्थ क्या है?