संघ हेमीकोर्डेटा

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जब आप अपने चारों ओर देखेंगे तो आपको अलग-अलग जानवरों के अलग-अलग संरचनाएं और रूप दिखाई देंगे। हर जानवर कई रूपों में दूसरे से भिन्न होता है। एक भी पशु प्रजाति अन्य प्रजातियों के समान नहीं है। जंतु जगत में कई फाइलम हैं जिन्हें कुछ अंतरों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। इस अध्याय में हम फाइलम हेमीकोर्डेटा के विषय में चर्चा करेंगे।

परिचय

हेमीकोर्डेटा को पहले फाइलम कशेरुकी (कॉर्डेटा) के अंतर्गत एक उप-फ़ाइलम के रूप में माना जाता था। परन्तु अब इसे अकशेरुकी (नॉन-कॉर्डेटा) के अंतर्गत एक अलग संघ के रूप में रखा गया है। हेमीकोर्डेटा शब्द - ग्रीक हेमी से लिया गया है, जिसका अर्थ है "आधा" और कॉर्ड से लिया गया है जिसका अर्थ है "स्ट्रिंग", इस प्रकार, ये "आधे-कॉर्डेट" है।

इस संघ में कृमि जैसे समुद्री जीवों के छोटे समूह होते हैं। आइये इनपे विस्तार से चर्चा करे।

वर्गीकरण

आइये इसे बालानोग्लोसस ऑस्ट्रेलेंसिस के उदाहरण से समझते है-

  • जगत- जन्तु (एनिमेलिया)
  • उपजगत- पैराज़ोआ
  • संघ- हेमीकोर्डेटा
  • जाति- बालानोग्लोसस
  • प्रजाति- ऑस्ट्रेलेंसिस

विशेषताएँ

सैकोग्लोसस
  • हेमीकोर्डेट्स का शरीर कृमि जैसा होता है, इसलिए इन्हें सामान्यतः कृमि जन्तु कहा जाता है।
  • इनका शरीर द्विपक्षीय रूप से सममित होता है।
  • यह जीव त्रिप्लोब्लास्टिक होते हैं।
  • यह जीव प्रगुहि होते है।
  • शरीर बेलनाकार होता है।
  • जीवो में शरीर के तीन मुख्य भाग हैं- तना/सूंड, कॉलर और धड़।
  • गलफड़े उपस्थित होते हैं जो ग्रसनी को छिद्रित करते हैं। गलफड़ों के माध्यम से श्वसन क्रिया होती है।
  • परिसंचरण तंत्र खुले प्रकार का होता है।
  • उत्सर्जी अंग सूंड ग्रंथि है।
  • यह जीव उभयलिंगी होते हैं।
  • निषेचन बाह्य होता है।
  • विकास अप्रत्यक्ष होता है।

उदाहरण

  • बालानोग्लोसस
  • सैकोग्लोसस कोवालेव्स्की