समुच्चय का पूरक
किसी समुच्चय का पूरक सार्वभौमिक समुच्चय के उन सभी तत्वों का समुच्चय है जो दिए गए समुच्चय में नहीं हैं:
कल्पना कीजिए कि अभाज्य संख्याओं का सार्वत्रिक समुच्चय है तथा , का वह उपसमुच्चय है, जिसमें वे सभी अभाज्य संख्याएँ हैं जो की भाजक नहीं हैं। इस प्रकार और संख्या का भाजक नहीं है । हम देखते हैं कि किंतु , क्योंकि संख्या , का भाजक है। इसी प्रकार परंतु तथा किंतु अब केवल , और ही के ऐसे अवयव हैं जो में नहीं हैं। इन तीन अभाज्य संख्याओं का समुच्चय अर्थात् समुच्चय {2, 3, 7}, के सापेक्ष का पूरक समुच्चय कहलाता है और इसे प्रतीक ' से निरूपित किया जाता है । अत: इस प्रकार हम देखते हैं कि और है।
इससे निम्नलिखित परिभाषा प्राप्त होती है:
परिभाषा
मान लीजिए कि एक सार्वत्रिक समुच्चय है और , का एक उपसमुच्चय है, तो का पूरक समुच्चय के उन अवयवों का समुच्चय है, जो के अवयव नहीं हैं। प्रतीकात्मक रूप में हम के सापेक्ष के पूरक को प्रतीक से निरूपित करते हैं। अत: और हम लिख सकते हैं। ।
ध्यान दीजिए कि के पूरक समुच्चय को विकल्पतः सार्वत्रिक समुच्चय तथा समुच्चय के अंतर के रूप में देखा जा सकता है।
विवरण
इन परिणामों को शब्दों में प्रकार व्यक्त करते हैं:
"दो समुच्चयों के सम्मिलन का पूरक उनके पूरक समुच्चयों का सार्वनिष्ठ होता है तथा दोनों समुच्चयों के सार्वनिष्ठ का पूरक उनके पूरक समुच्चयों का सम्मिलन होता है। इनको डी मॉर्गन के ' नियम कहते हैं।
यह नाम गणितज्ञ डी मॉर्गन के नाम पर रखा गया है। किसी समुच्चय के पूरक को वेन आरेख द्वारा निरूपित किया जा सकता है जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है। छायांकित भाग समुच्चय के पूरक को दर्शाता है।
पूरकों के कुछ गुणधर्म
1. पूरक नियम :
(i) (ii)
2. डी मॉर्गन का नियम :
(i) (ii)
3. द्वि- पूरक नियम :
4. और के नियम :
और ।
इन नियमों का सत्यापन वेन आरेखों द्वारा किया जा सकता है।