थर्माइट अभिक्रिया: Difference between revisions
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एल्युमिनियम चूर्ण की उपस्थित में धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन थर्माइट अभिक्रिया कहलाती है। इस अभिक्रिया में प्रयोग किया गया एल्युमिनियम चूर्ण अपचायक का कार्य करता है। | एल्युमिनियम चूर्ण की उपस्थित में धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन थर्माइट अभिक्रिया कहलाती है। इस अभिक्रिया में प्रयोग किया गया एल्युमिनियम चूर्ण [[अपचायक]] का कार्य करता है। | ||
आयरन (III) ऑक्साइड और एल्युमीनियम पाउडर के मिश्रण को जलते हुए मैग्नीशियम रिबन के साथ प्रज्वलित किया जाता है। एल्युमीनियम आयरन ऑक्साइड को अपचयित कर देता है जिससे बहुत अधिक ऊष्मा निकलती है। इसी ऊष्मा के कारण गलित अवस्था में लौह धातु का निर्माण होता है। फिर इस पिघले हुए लोहे को टूटे हुए लोहे के टुकड़ों के बीच डालकर वेल्ड किया जाता है। | आयरन (III) ऑक्साइड और एल्युमीनियम पाउडर के [[मिश्रण]] को जलते हुए मैग्नीशियम रिबन के साथ प्रज्वलित किया जाता है। एल्युमीनियम आयरन ऑक्साइड को अपचयित कर देता है जिससे बहुत अधिक [[ऊष्मा]] निकलती है। इसी ऊष्मा के कारण गलित अवस्था में लौह धातु का निर्माण होता है। फिर इस पिघले हुए लोहे को टूटे हुए लोहे के टुकड़ों के बीच डालकर वेल्ड किया जाता है। | ||
<chem> Fe2O3(s) + 2Al(s) -> 2Fe(l) + Al2O3(s)</chem> + ऊष्मा | <chem> Fe2O3(s) + 2Al(s) -> 2Fe(l) + Al2O3(s)</chem> + ऊष्मा | ||
ये ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ हैं। एल्युमिनियम आयरन की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील है, इसका अर्थ यह है कि एल्युमीनियम आयरन की तुलना में अधिक आसानी से ऑक्सीकरण करता है। इसलिए, यह एक अपचायक के रूप में कार्य करता है और आयरन (III) ऑक्साइड को आयरन में अपचयित कर देता है। यह अभिक्रिया कराने में हमे पर्याप्त ऊष्मा अभिक्रिया से ही प्राप्त हो जाती है। | ये ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ हैं। एल्युमिनियम आयरन की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील है, इसका अर्थ यह है कि एल्युमीनियम आयरन की तुलना में अधिक आसानी से ऑक्सीकरण करता है। इसलिए, यह एक अपचायक के रूप में कार्य करता है और आयरन (III) ऑक्साइड को आयरन में अपचयित कर देता है। यह अभिक्रिया कराने में हमे पर्याप्त ऊष्मा अभिक्रिया से ही प्राप्त हो जाती है। |
Revision as of 16:39, 24 July 2023
एल्युमिनियम चूर्ण की उपस्थित में धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन थर्माइट अभिक्रिया कहलाती है। इस अभिक्रिया में प्रयोग किया गया एल्युमिनियम चूर्ण अपचायक का कार्य करता है।
आयरन (III) ऑक्साइड और एल्युमीनियम पाउडर के मिश्रण को जलते हुए मैग्नीशियम रिबन के साथ प्रज्वलित किया जाता है। एल्युमीनियम आयरन ऑक्साइड को अपचयित कर देता है जिससे बहुत अधिक ऊष्मा निकलती है। इसी ऊष्मा के कारण गलित अवस्था में लौह धातु का निर्माण होता है। फिर इस पिघले हुए लोहे को टूटे हुए लोहे के टुकड़ों के बीच डालकर वेल्ड किया जाता है।
+ ऊष्मा
ये ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ हैं। एल्युमिनियम आयरन की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील है, इसका अर्थ यह है कि एल्युमीनियम आयरन की तुलना में अधिक आसानी से ऑक्सीकरण करता है। इसलिए, यह एक अपचायक के रूप में कार्य करता है और आयरन (III) ऑक्साइड को आयरन में अपचयित कर देता है। यह अभिक्रिया कराने में हमे पर्याप्त ऊष्मा अभिक्रिया से ही प्राप्त हो जाती है।
दैनिक जीवन में थर्माइट अभिक्रिया के अनुप्रयोग :
- रेलवे ट्रैक की रेलिंग को जोड़ने के लिए।
- फटे हुए मशीन के पुर्जों की दरारों को जोड़ने के लिए किया जाता है।
अभिक्रिया प्रश्न
- थर्माइट अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है सिद्ध कीजिये।
- ऐसी कौन सी धातुएं हैं जो थर्मिट अभिक्रिया देते हैं ?
- थर्माइट अभिक्रिया में किस धातु का ऑक्सीकरण और किसका अपचयन होता है?