क्लीमेन्सन अपचयन: Difference between revisions
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क्लीमेन्सन अपचयन एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें जिंक अमलगम (Zn(Hg)) और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) की उपस्थिति में कार्बोनिल समूह (C=O) का अपचयन सम्मिलित है। क्लीमेन्सन अपचयन एक अभिक्रिया है जिसका उपयोग हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और जिंक मिश्रण का उपयोग करके एल्डिहाइड या कीटोन को एल्केन में अपचयित करने के लिए किया जाता है। क्लीमेन्सन अपचयन का नाम डेनिश रसायनज्ञ, एरिक क्रिश्चियन क्लीमेन्सन के नाम पर रखा गया है। इसमें हमेशा संगत एल्केन प्राप्त होता है। | क्लीमेन्सन अपचयन एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें जिंक अमलगम (Zn(Hg)) और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) की उपस्थिति में कार्बोनिल समूह (C=O) का [[अपचयन]] सम्मिलित है। क्लीमेन्सन अपचयन एक अभिक्रिया है जिसका उपयोग हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और जिंक [[मिश्रण]] का उपयोग करके [[एल्डिहाइड]] या [[कीटोन]] को [[एल्केन]] में अपचयित करने के लिए किया जाता है। क्लीमेन्सन अपचयन का नाम डेनिश रसायनज्ञ, एरिक क्रिश्चियन क्लीमेन्सन के नाम पर रखा गया है। इसमें हमेशा संगत एल्केन प्राप्त होता है। | ||
क्लीमेन्सन अपचयन का उपयोग कार्बोनिल समूह को मिथाइलीन समूह में अपचयित करने, एल्डिहाइड को एल्केन में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। | क्लीमेन्सन अपचयन का उपयोग कार्बोनिल समूह को मिथाइलीन समूह में अपचयित करने, एल्डिहाइड को एल्केन में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। | ||
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* अभिक्रिया अम्ल के प्रति संवेदनशील पदार्थों के लिए उपयुक्त नहीं है । साथ ही, -COOH समूह को इस विधि से अपचयित नहीं किया जा सकता है। | * अभिक्रिया अम्ल के प्रति संवेदनशील पदार्थों के लिए उपयुक्त नहीं है । साथ ही, -COOH समूह को इस विधि से अपचयित नहीं किया जा सकता है। | ||
* यह कमी एल्डिहाइड के लिए विशिष्ट है और कीटोन्स को अपचयित नहीं करती है। | * यह कमी एल्डिहाइड के लिए विशिष्ट है और कीटोन्स को अपचयित नहीं करती है। |
Latest revision as of 07:07, 31 May 2024
क्लीमेन्सन अपचयन एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें जिंक अमलगम (Zn(Hg)) और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) की उपस्थिति में कार्बोनिल समूह (C=O) का अपचयन सम्मिलित है। क्लीमेन्सन अपचयन एक अभिक्रिया है जिसका उपयोग हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और जिंक मिश्रण का उपयोग करके एल्डिहाइड या कीटोन को एल्केन में अपचयित करने के लिए किया जाता है। क्लीमेन्सन अपचयन का नाम डेनिश रसायनज्ञ, एरिक क्रिश्चियन क्लीमेन्सन के नाम पर रखा गया है। इसमें हमेशा संगत एल्केन प्राप्त होता है।
क्लीमेन्सन अपचयन का उपयोग कार्बोनिल समूह को मिथाइलीन समूह में अपचयित करने, एल्डिहाइड को एल्केन में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।
क्लीमेन्सन अपचयन की सीमाएं
- जल के एक अणु के रूप में ऑक्सीजन परमाणु नष्ट हो जाता है। हालाँकि,
- अभिक्रिया अम्ल के प्रति संवेदनशील पदार्थों के लिए उपयुक्त नहीं है । साथ ही, -COOH समूह को इस विधि से अपचयित नहीं किया जा सकता है।
- यह कमी एल्डिहाइड के लिए विशिष्ट है और कीटोन्स को अपचयित नहीं करती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि क्लीमेन्सन अपचयन वोल्फ-किशनर अपचयन का एक विकल्प है, जो कार्बोनिल समूहों को मिथाइलीन समूहों में भी परिवर्तित करती है लेकिन हाइड्राज़ीन और एक प्रबल क्षार का उपयोग करती है।
अभ्यास प्रश्न
- क्लीमेन्सन अपचयन के बाद बनने वाला उत्पाद क्या है?
- क्लीमेन्सन अपचयन में प्रयुक्त उत्प्रेरक का नाम बताइए।
- क्लीमेन्सन अपचयन की सीमाएं क्या है?
- कार्बोनिल समूह को मिथाइलीन समूह में अपचयित करने कौन सी अभिक्रिया प्रयोग की जाती है ?