इलेक्ट्रॉन: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

No edit summary
 
(15 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[Category:रसायन विज्ञान]]
[[Category:परमाणु की संरचना]]
[[Category:परमाणु की संरचना]]
इलेक्ट्रान ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत [[अवपरमाण्विक कणों की खोज|अवपरमाण्विक कण]] है, इन्हे e से प्रदर्शित करते हैं। इलेक्ट्रान में कण और तरंग दोनों प्रकार के गुण विधमान होते हैं इस लिए कुछ वैज्ञानिक इसे कण मानते हैं और कुछ तरंग। इलेक्ट्रॉन को प्रायः एक मूलभूत कण माना जाता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 <math>\times</math>10<sup>-31</sup> होता है। जो या तो एक परमाणु से बंधा हो सकता है या मुक्त (बाध्य नहीं) हो सकता है। एक [[परमाणु]] में तीन प्रकार के कण होते हैं - एक इलेक्ट्रॉन अन्य दो प्रोटॉन और न्यूट्रॉन हैं। प्रोटॉन और [[इलेक्ट्रॉन]] मिलकर एक परमाणु के नाभिक का निर्माण करते हैं। एक [[प्रोटॉन]] पर धनात्मक आवेश होता है और इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है। जब किसी परमाणु में प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है, तो वह उदासीन अवस्था में होता है।


== '''कैथोड किरणे''' ==
कोई भी परमाणु [[नाभिक]] से मिलकर बना होता है। नाभिक में प्रोटोन और न्यूट्रॉन उपस्थित होते हैं और इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। जिसमे प्रोटोन धनावेशित और न्यूट्रॉन उदासीन होता है। जबकि इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है। इलेक्ट्रॉन परमाणु के ऋणात्मक रूप से आवेशित कण होते हैं । एक साथ, एक परमाणु के सभी इलेक्ट्रॉन एक ऋणात्मक [[आवेश]] बनाते हैं जो परमाणु नाभिक में प्रोटॉन के धनात्मक आवेश को संतुलित करता है। परमाणु के अन्य सभी भागों की तुलना में इलेक्ट्रॉन बहुत छोटे होते हैं। एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान एक प्रोटॉन के द्रव्यमान से लगभग 1,000 गुना छोटा होता है। 
1850 में फैराडे ने कांच की बनी हुई एक निर्वात नलिका ली जिसके दोनों सिरे पर धातु के दो पतले टुकड़े लगा दिए जिन्हे इलेक्ट्रोड कहा गया, इनमें से एक ऋणावेशित इलेक्ट्रोड को कैथोड कहा गया, और दूसरे धनावेशित इलेक्ट्रोड को एनोड कहा गया है। जब कांच की निर्वात नलिका में उच्च विभवांतर लगभग (10000 या उससे अधिक) उत्पन्न किया तो देखा गया कि कैथोड से कुछ कण उत्पन्न हुए, कैथोड पर ऋणावेश होने के कारण ये धन प्लेट की ओर जाने लगते हैं। बहुत सारे कण एक क्रम से धनावेशित प्लेट की तरफ जाने लगते हैं, तो ये एक किरण के रूप में दिखाई देते हैं जिन्हे '''कैथोड किरणे''' कहते हैं।  


=== कैथोड किरणें इलेक्ट्रॉन की खोज ===
== इलेक्ट्रॉन की खोज ==
पहली बार 1869 में जर्मन भौतिकशास्त्रियों जूलियस प्लकर और जोहान विल्हेम हिटॉर्फ ने कैथोड किरणों को देखा और 1876 में यूजेन गोल्डस्टीन कैथोडेनस्ट्रालेन द्वारा इसका नाम 'कैथोड किरणें' दिया गया। 1897 में, ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी जे. जे. थॉमसन ने दिखाया कि कैथोड किरणें पहले अज्ञात ऋणावेशित कणों से बनी थीं, इन कणों को बाद में इलेक्ट्रॉन नाम दिया गया।
इलेक्ट्रॉन की खोज वैज्ञानिक जे. जे. थॉमसन ने सन 1897  में कैथोड किरणों द्वारा की थी। इलेक्ट्रॉन पर आवेश 1.6 <math>\times</math>10 <sup>-19</sup> कूलाम होता है।  


== कैथोड किरणों के गुण ==
== इलेक्ट्रॉन की विशेषताएं ==
सन 1897 में वैज्ञानिक जे. जे. थॉमसन ने कैथोड किरणों, इलेक्ट्रॉन की खोज की और निम्न विषेशताएँ दीं।


* कैथोड किरणें कैथोड से प्रारम्भ होकर एनोड की तरफ जाती है।
# इलेक्ट्रॉन परमाणु का मौलिक कण है। जिस पर 1.6 <math>\times</math>10 <sup>-19</sup> कूलाम का आवेश होता है।
* ये प्रतिदीप्ति एवं स्फुरदीप्ति उत्पन्न करती है।
# इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1093837 × 10<sup>-31</sup> किलोग्राम होता है।
* ये सीधी रेखा में चलती है।
# इलेक्ट्रॉन की त्रिज्या 2.81 × 10<sup>-15</sup> मीटर होती है।
* ये फोटोग्राफिक प्लेट को काला कर देती है।
# इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा एक बिंदु पर जमा होती है, जैसे कि वह एक कण था। इसलिए जब इलेक्ट्रॉन एक तरंग की तरह अंतरिक्ष में फैलता है, तो यह कण की तरह एक बिंदु पर परस्पर क्रिया करता है। इसे तरंग-कण द्वैत के रूप में जाना जाता है।
* ये विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपित हो जाती है।
* जब ये जिंक सल्फाइड की प्लेट से टकराती है तो प्रकाश उत्पन्न करती है।
* कैथोड किरणों का वेग, प्रकाश के वेग का 1/10 गुना होता है।
* जब ये उच्च परमाणु भार वाली धातु की प्लेट से टकराती है तो X- किरण उत्पन्न करती है।                                                                                                                               
 
* जे जे थॉमसन ने कैथोड किरणों के वैधुत एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपन से e/m अर्थात आवेश/ द्रव्यमान का मान ज्ञात किया, जिसमे e/m का मान कूलम्ब प्रति ग्राम प्राप्त हुआ।
* वैधुत क्षेत्र में इलेक्ट्रान एक परवलयाकार पथ बनाता है जोकि दिया गया है:
<blockquote><math>y = {eE.x2\over 2mv2}</math>
 
जहाँ
 
e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश
 
m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान
 
v = इलेक्ट्रॉन का वेग
 
x = दो प्लेटों के बीच की दूरी जिनमें इलेक्ट्रॉन गमन कर रहा है
 
E = वैधुत क्षेत्र
 
y = y- अक्ष पर इलेक्ट्रॉन के पथ पर विक्षेपण</blockquote>
 
* चुंबकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन का पथ गोलाकार होता है जिसकी त्रिज्या r है:<blockquote> <math>r = {mv \over eB}</math>    जहाँ    m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान    v = इलेक्ट्रॉन का वेग    e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश    B = अनुप्रयुक्त चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
 
*जे जे थॉमसन ने आवेश / द्रव्यमान अनुपात दिया:
<blockquote><math>{e \over m} = {E \over r B2}</math>      <br />
 
=−1.7588)×10<sup>11</sup> C⋅kg<sup>−1</sup></blockquote>


== अभ्यास ==
== अभ्यास ==
Line 49: Line 20:


# इलेक्ट्रॉन का e/m अनुपात जे.जे. थॉमसन द्वारा निर्धारित किया गया था।
# इलेक्ट्रॉन का e/m अनुपात जे.जे. थॉमसन द्वारा निर्धारित किया गया था।
# कैथोड किरणों के लिए आवेश/द्रव्यमान अनुपात न्यूनतम होता है जब निस्सरण नली में गैस हाइड्रोजन होती है।
# कैथोड किरणें एनोड किरणों से भिन्न है।  
# कैथोड किरणें एनोड किरणों से भिन्न है।  
# कैथोड किरणें धन प्लेट से उत्सर्जित होती हैं।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                 
# कैथोड किरणें धन प्लेट से उत्सर्जित होती हैं।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                 
Line 69: Line 39:
3. X किरणें                    c. धातु
3. X किरणें                    c. धातु


4. एनोड                        d. धनावेशित[[Category: कक्षा-11]]
4. एनोड                        d. धनावेशित[[Category:कक्षा-9]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:भौतिक रसायन]]

Latest revision as of 12:03, 4 May 2024

इलेक्ट्रान ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत अवपरमाण्विक कण है, इन्हे e से प्रदर्शित करते हैं। इलेक्ट्रान में कण और तरंग दोनों प्रकार के गुण विधमान होते हैं इस लिए कुछ वैज्ञानिक इसे कण मानते हैं और कुछ तरंग। इलेक्ट्रॉन को प्रायः एक मूलभूत कण माना जाता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 10-31 होता है। जो या तो एक परमाणु से बंधा हो सकता है या मुक्त (बाध्य नहीं) हो सकता है। एक परमाणु में तीन प्रकार के कण होते हैं - एक इलेक्ट्रॉन अन्य दो प्रोटॉन और न्यूट्रॉन हैं। प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन मिलकर एक परमाणु के नाभिक का निर्माण करते हैं। एक प्रोटॉन पर धनात्मक आवेश होता है और इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है। जब किसी परमाणु में प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है, तो वह उदासीन अवस्था में होता है।

कोई भी परमाणु नाभिक से मिलकर बना होता है। नाभिक में प्रोटोन और न्यूट्रॉन उपस्थित होते हैं और इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। जिसमे प्रोटोन धनावेशित और न्यूट्रॉन उदासीन होता है। जबकि इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है। इलेक्ट्रॉन परमाणु के ऋणात्मक रूप से आवेशित कण होते हैं । एक साथ, एक परमाणु के सभी इलेक्ट्रॉन एक ऋणात्मक आवेश बनाते हैं जो परमाणु नाभिक में प्रोटॉन के धनात्मक आवेश को संतुलित करता है। परमाणु के अन्य सभी भागों की तुलना में इलेक्ट्रॉन बहुत छोटे होते हैं। एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान एक प्रोटॉन के द्रव्यमान से लगभग 1,000 गुना छोटा होता है।

इलेक्ट्रॉन की खोज

इलेक्ट्रॉन की खोज वैज्ञानिक जे. जे. थॉमसन ने सन 1897  में कैथोड किरणों द्वारा की थी। इलेक्ट्रॉन पर आवेश 1.6 10 -19 कूलाम होता है।  

इलेक्ट्रॉन की विशेषताएं

सन 1897 में वैज्ञानिक जे. जे. थॉमसन ने कैथोड किरणों, इलेक्ट्रॉन की खोज की और निम्न विषेशताएँ दीं।

  1. इलेक्ट्रॉन परमाणु का मौलिक कण है। जिस पर 1.6 10 -19 कूलाम का आवेश होता है।
  2. इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1093837 × 10-31 किलोग्राम होता है।
  3. इलेक्ट्रॉन की त्रिज्या 2.81 × 10-15 मीटर होती है।
  4. इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा एक बिंदु पर जमा होती है, जैसे कि वह एक कण था। इसलिए जब इलेक्ट्रॉन एक तरंग की तरह अंतरिक्ष में फैलता है, तो यह कण की तरह एक बिंदु पर परस्पर क्रिया करता है। इसे तरंग-कण द्वैत के रूप में जाना जाता है।

अभ्यास

बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य:
  1. इलेक्ट्रॉन का e/m अनुपात जे.जे. थॉमसन द्वारा निर्धारित किया गया था।
  2. कैथोड किरणें एनोड किरणों से भिन्न है।
  3. कैथोड किरणें धन प्लेट से उत्सर्जित होती हैं।
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

1. कैथोड इलेक्ट्रोड ............. आवेशित होता है।

2. कैथोड इलेक्ट्रोड से निकलने वाले  कण ......... आवेशित होते हैं।

3. चुंबकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन का पथ ............. होता है।

4. आवेश / द्रव्यमान अनुपात ........... द्वारा दिया गया था।

निम्नलिखित का मिलान करें:

1. थॉमसन a. कैथोड किरणें

2. कैथोड किरणें b. इलेक्ट्रॉन

3. X किरणें c. धातु

4. एनोड d. धनावेशित