आवेश

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एक विद्युत आवेश तब होता है जब पदार्थ के परमाणुओं में असमान संख्या में इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन होते हैं। प्रोटॉन धनात्मक रूप से आवेशित होते हैं और इलेक्ट्रॉन ऋणात्मक रूप से आवेशित होते हैं। प्राथमिक आवेश कहे जाने वाले ये आवेश समान और विपरीत होते हैं। यदि कम इलेक्ट्रॉन हैं, तो एक वस्तु धनात्मक रूप से आवेशित होती है। यदि अधिक इलेक्ट्रॉन हैं, तो वस्तु ऋणात्मक रूप से आवेशित होती है। समान आवेश वाली वस्तुएँ प्रतिकर्षित करती हैं, लेकिन यदि एक वस्तु पर ऋणात्मक आवेश है और दूसरी पर धनात्मक आवेश है, तो वे आकर्षित होती हैं। किसी यौगिक का कुल आवेश एक साथ लिए गए सभी आवेशों के परमाणुओं के योग के बराबर होता है।

जब कोई भी पदार्थ अपने सामान्य व्यवहार से अलग व्यवहार प्रदर्शित करने लग जाता है। अर्थात उसके कारण विद्युत क्षेत्र तथा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होने लगता है। पदार्थ के इस गुण को विद्युत आवेश कहते हैं। वैद्युत आवेश पदार्थ का वह भौतिक गुण है जिसके कारण विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर यह एक बल का अनुभव करता है।

  • धनात्मक और ऋणात्मक विद्युत आवेश दो प्रकार के आवेश होते हैं जो सामान्यतः आवेश वाहकों, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों द्वारा किए जाते हैं। प्रोटॉन पर धनात्मक आवेश होता है और इलेक्ट्रॉनों पर ऋणात्मक आवेश होता है।
  • आवेशों के संचलन से ऊर्जा उत्पन्न होती है।
  • जिस वातावरण में आवेश रखा गया है, उसके आधार पर उत्पादित ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा या विद्युत ऊर्जा हो सकती है।

आवेश के प्रकार

आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

  1. धनात्मक आवेश
  2. ऋणात्मक आवेश

जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है तो एक में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न होता है और दूसरी में धनात्मक आवेश उत्पन्न होता है, अर्थात दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है।

उदाहरण

यदि कांच को रेशम से रगड़ा जाए तो कांच में धनात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है, परन्तु यदि कांच को बालों से रगड़ा जाए तो कांच में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है।

समान आवेश प्रतिकर्षित करते हैं अर्थात धनावेशित वस्तुएँ एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। तथा ऋणावेशित वस्तुएँ भी एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। विपरीत आवेशों के बीच आकर्षण होता है, अर्थात धनावेशित वस्तु और ऋणावेशित वस्तु के बीच आकर्षण होता है।

अवपरमाण्विक कण

रसायन विज्ञान में अवपरमाण्विक कणों के आवेश के विषय में जानकारी आवश्यक है। इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन को अवपरमाण्विक कण कहते हैं। गैसों में विधुत विसर्जन आदि प्रयोगो के परिणाम स्वरुप ये जानकारी प्राप्त हुई है कि समान आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं, और विपरीत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं। ये धन आवेशित, ऋण आवेशित और उदासीन होते हैं।

अवपरमाण्विक कणों के प्रकार

  • इलेक्ट्रॉन
  • प्रोटॉन
  • न्यूट्रॉन

इलेक्ट्रॉन

इलेक्ट्रान ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत अवपरमाण्विक कण है, इन्हे e से प्रदर्शित करते हैं। इलेक्ट्रान में कण और तरंग दोनों प्रकार के गुण विधमान होते हैं इस लिए कुछ वैज्ञानिक इसे कण मानते हैं और कुछ तरंग। इलेक्ट्रॉन को प्रायः एक मूलभूत कण माना जाता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 10-31 होता है।

प्रोटॉन

प्रोटॉन धनावेशित कण है ये बहुत ही सूक्ष्म आकार के होते हैं, इसे 1H1 से प्रदर्शित करते हैं। सबसे छोटा और हल्का धन आयन हाइड्रोजन से प्राप्त हुआ था इसे प्रोटॉन कहते हैं, इस धनावेशित कण का पृथक्करण और इसके लक्षण की पुष्टि सन 1919 में हुई थी। प्रोटॉन की खोज रदरफोर्ड ने की थी धनावेशित कण की खोज के लिए पहला प्रयोग गोल्डस्टीन द्वारा 1886 में किया गया था, रदरफोर्ड ने 1991 में कण को ​​प्रोटॉन नाम दिया था। इसका आवेश परिमाण में समान लेकिन इलेक्ट्रॉन के चिन्ह के विपरीत पाया गया।

न्यूट्रॉन

न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। इसे n से दर्शाया जाता है। न्यूट्रॉन एक अवपरमाण्विक कण है जो की सभी प्रकार के पदार्थों के परमाणु के नाभिक में पाया जाता है।

अभ्यास प्रश्न

  • आवेश से आप क्या समझते है तथा यह कितने प्रकार के होते हैं ?
  • परमाणु का नाभिक उदासीन होता है क्यों स्पष्ट कीजिए?
  • अवपरमाण्विक कणों से क्या तात्पर्य है ?
  • आवेश किस प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न करते हैं ?
  • प्रोटॉन धनावेशित कण है इस कथन की पुष्टि कीजिये।