विलयन की पृथक्करण विधियां: Difference between revisions
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प्रायः प्राकृतिक पदार्थ रसायनिक तौर पर शुद्ध नहीं होते हैं। [[मिश्रण]] से घटकों को पृथक करने के लिए विभन्न प्रकार की विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं। पृथक करने के लिए मिश्रण के प्रत्येक घटक के बारे में जानकारी प्राप्त करना और प्रयोग में लाना सुगम हो जाता है। | |||
प्रायः प्राकृतिक पदार्थ रसायनिक तौर पर शुद्ध नहीं होते हैं। मिश्रण से घटकों को पृथक करने के लिए विभन्न प्रकार की विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं। पृथक करने के लिए मिश्रण के प्रत्येक घटक के बारे में जानकारी प्राप्त करना और प्रयोग में लाना सुगम हो जाता है। | |||
== विलयन की पृथक्करण विधियां == | == विलयन की पृथक्करण विधियां == | ||
विलयन की पृथक्करण विधियां निम्न लिखित हैं: | विलयन की पृथक्करण विधियां निम्न लिखित हैं: | ||
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=== ऊर्ध्वपातन विधि === | === ऊर्ध्वपातन विधि === | ||
जब किसी पदार्थ को ठोस अवस्था से गर्म किया जाता है तो वह द्रव अवस्था ग्रहण नहीं करती बल्कि सीधें गैंसीय अवस्था में बदल जाता है और ठण्डा करने पर पुनः गैंस अवस्था से द्रव अवस्था में न बदलकर सीधें ठोस अवस्था में बदल जाता है, इसे ही उर्ध्वपातन (Sublimation) कहतें है। | जब किसी पदार्थ को ठोस अवस्था से गर्म किया जाता है तो वह द्रव अवस्था ग्रहण नहीं करती बल्कि सीधें गैंसीय अवस्था में बदल जाता है और ठण्डा करने पर पुनः गैंस अवस्था से द्रव अवस्था में न बदलकर सीधें ठोस अवस्था में बदल जाता है, इसे ही [[उर्ध्वपातन]] (Sublimation) कहतें है। | ||
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=== क्रोमैटोग्राफी === | === क्रोमैटोग्राफी === | ||
क्रोमैटोग्राफी दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला शब्द "क्रोमा" और दूसरा शब्द "ग्राफिक" है। क्रोमैटोग्राफी एक विधि है जिसका उपयोग विलेय को अलग करने के लिए किया जाता है। सर्वप्रथम इस विधि का प्रयोग रंगों को अलग करने के लिए किया जाता था, इसलिए इसे क्रोमैटोग्राफी का नाम दिया गया। इस विधि का उपयोग करके निकट संबंधी यौगिकों जैसे प्रोटीन, पेप्टाइड्स, विटामिन, लिपिड आदि को मिश्रण से अलग किया जाता है। | क्रोमैटोग्राफी दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला शब्द "क्रोमा" और दूसरा शब्द "ग्राफिक" है। क्रोमैटोग्राफी एक विधि है जिसका उपयोग विलेय को अलग करने के लिए किया जाता है। सर्वप्रथम इस विधि का प्रयोग रंगों को अलग करने के लिए किया जाता था, इसलिए इसे क्रोमैटोग्राफी का नाम दिया गया। इस विधि का उपयोग करके निकट संबंधी यौगिकों जैसे [[प्रोटीन]], पेप्टाइड्स, [[विटामिन]], लिपिड आदि को [[मिश्रण]] से अलग किया जाता है। | ||
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=== आसवन विधि === | === आसवन विधि === | ||
इस विधि द्वारा विभिन्न गैसों को भी जलीय वायु से पृथक किया जाता है। आंशिक आसवन एक औद्योगिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मिश्रण के घटकों को अलग किया जाता है। यह आसवन की एक विशिष्ट विधि है। आंशिक आसवन एक मिश्रण को उसके घटक भागों, या अंशों में अलग करना है। रासायनिक यौगिकों को एक ऐसे तापमान पर गर्म करके अलग किया जाता है जिस पर मिश्रण के एक या अधिक अंश वाष्पीकृत हो जाते हैं। यह भिन्न करने के लिए आसवन का उपयोग करता है। आम तौर पर घटक भागों में क्वथनांक होते हैं जो एक वातावरण के दबाव में एक दूसरे से 25 °C (45 °F) से कम भिन्न होते हैं। यदि क्वथनांकों में अंतर 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, तो | इस विधि द्वारा विभिन्न गैसों को भी जलीय वायु से पृथक किया जाता है। आंशिक आसवन एक औद्योगिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मिश्रण के घटकों को अलग किया जाता है। यह आसवन की एक विशिष्ट विधि है। आंशिक आसवन एक मिश्रण को उसके घटक भागों, या अंशों में अलग करना है। रासायनिक यौगिकों को एक ऐसे तापमान पर गर्म करके अलग किया जाता है जिस पर मिश्रण के एक या अधिक अंश वाष्पीकृत हो जाते हैं। यह भिन्न करने के लिए आसवन का उपयोग करता है। आम तौर पर घटक भागों में क्वथनांक होते हैं जो एक वातावरण के दबाव में एक दूसरे से 25 °C (45 °F) से कम भिन्न होते हैं। यदि क्वथनांकों में अंतर 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, तो सामान्यतः एक साधारण आसवन का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग कच्चे तेल को रिफाइन करने के लिए किया जाता है। | ||
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=== प्रभाजी आसवन === | === प्रभाजी आसवन === | ||
भिन्नात्मक आसवन(प्रभाजी आसवन) विधि का उपयोग उन मिश्रित तरल पदार्थों को अलग करने के लिए किया जाता है जिनके क्वथनांक में बहुत कम अंतर होता है। दूसरे शब्दों में, तरल पदार्थों के क्वथनांक एक दूसरे के करीब होते हैं। इस विधि से शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल आदि को जमीन से निकाले गए खनिज तेल से अलग किया जाता है। इस विधि द्वारा विभिन्न गैसों को भी जलीय वायु से पृथक किया जाता है। दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों जिनके कथ्नांकों का अंतर् 25K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण वायु से विभन्न गैसों का पृथककरण तथा पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभन्न घटकों का पृथककरण। | भिन्नात्मक आसवन([[प्रभाजी आसवन]]) विधि का उपयोग उन मिश्रित तरल पदार्थों को अलग करने के लिए किया जाता है जिनके [[क्वथनांक]] में बहुत कम अंतर होता है। दूसरे शब्दों में, तरल पदार्थों के क्वथनांक एक दूसरे के करीब होते हैं। इस विधि से शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल आदि को जमीन से निकाले गए [[खनिज]] तेल से अलग किया जाता है। इस विधि द्वारा विभिन्न गैसों को भी जलीय वायु से पृथक किया जाता है। दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों जिनके कथ्नांकों का अंतर् 25K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण वायु से विभन्न गैसों का पृथककरण तथा पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभन्न घटकों का पृथककरण। | ||
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Latest revision as of 10:30, 4 May 2024
प्रायः प्राकृतिक पदार्थ रसायनिक तौर पर शुद्ध नहीं होते हैं। मिश्रण से घटकों को पृथक करने के लिए विभन्न प्रकार की विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं। पृथक करने के लिए मिश्रण के प्रत्येक घटक के बारे में जानकारी प्राप्त करना और प्रयोग में लाना सुगम हो जाता है।
विलयन की पृथक्करण विधियां
विलयन की पृथक्करण विधियां निम्न लिखित हैं:
- वाष्पीकरण
- ऊर्ध्वपातन
- क्रोमैटोग्राफी
- आसवन विधि
- प्रभाजी आसवन विधि
वाष्पीकरण
इसका प्रयोग वाष्पीकृत पदार्थ को अवाष्पीकृत पदार्थ से अलग करने के लिए किया जाता है। वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है, जिसमें कोई तत्व या यौगिक गैस अवस्था में परिवर्तित होता है। रसायन विज्ञान में द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है।
उदाहरण
नीले रंग की स्याही से रंग वाले घटक को अलग करना।
ऊर्ध्वपातन विधि
जब किसी पदार्थ को ठोस अवस्था से गर्म किया जाता है तो वह द्रव अवस्था ग्रहण नहीं करती बल्कि सीधें गैंसीय अवस्था में बदल जाता है और ठण्डा करने पर पुनः गैंस अवस्था से द्रव अवस्था में न बदलकर सीधें ठोस अवस्था में बदल जाता है, इसे ही उर्ध्वपातन (Sublimation) कहतें है।
उदाहरण
नमक तथा कपूर के मिश्रण को अलग करना।
क्रोमैटोग्राफी
क्रोमैटोग्राफी दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला शब्द "क्रोमा" और दूसरा शब्द "ग्राफिक" है। क्रोमैटोग्राफी एक विधि है जिसका उपयोग विलेय को अलग करने के लिए किया जाता है। सर्वप्रथम इस विधि का प्रयोग रंगों को अलग करने के लिए किया जाता था, इसलिए इसे क्रोमैटोग्राफी का नाम दिया गया। इस विधि का उपयोग करके निकट संबंधी यौगिकों जैसे प्रोटीन, पेप्टाइड्स, विटामिन, लिपिड आदि को मिश्रण से अलग किया जाता है।
उदाहरण
काली स्याही में उपस्थित अन्य स्याही को अलग करने के लिए।
आसवन विधि
इस विधि द्वारा विभिन्न गैसों को भी जलीय वायु से पृथक किया जाता है। आंशिक आसवन एक औद्योगिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मिश्रण के घटकों को अलग किया जाता है। यह आसवन की एक विशिष्ट विधि है। आंशिक आसवन एक मिश्रण को उसके घटक भागों, या अंशों में अलग करना है। रासायनिक यौगिकों को एक ऐसे तापमान पर गर्म करके अलग किया जाता है जिस पर मिश्रण के एक या अधिक अंश वाष्पीकृत हो जाते हैं। यह भिन्न करने के लिए आसवन का उपयोग करता है। आम तौर पर घटक भागों में क्वथनांक होते हैं जो एक वातावरण के दबाव में एक दूसरे से 25 °C (45 °F) से कम भिन्न होते हैं। यदि क्वथनांकों में अंतर 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, तो सामान्यतः एक साधारण आसवन का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग कच्चे तेल को रिफाइन करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण
दो घुलनशील द्रवों के मिश्रण को पृथक करने के लिए।
प्रभाजी आसवन
भिन्नात्मक आसवन(प्रभाजी आसवन) विधि का उपयोग उन मिश्रित तरल पदार्थों को अलग करने के लिए किया जाता है जिनके क्वथनांक में बहुत कम अंतर होता है। दूसरे शब्दों में, तरल पदार्थों के क्वथनांक एक दूसरे के करीब होते हैं। इस विधि से शुद्ध पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल आदि को जमीन से निकाले गए खनिज तेल से अलग किया जाता है। इस विधि द्वारा विभिन्न गैसों को भी जलीय वायु से पृथक किया जाता है। दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों जिनके कथ्नांकों का अंतर् 25K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण वायु से विभन्न गैसों का पृथककरण तथा पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभन्न घटकों का पृथककरण।
उदाहरण
वायु से गैसों का पृथक्करण।
अभ्यास प्रश्न
1. पृथक करने की सामान्य विधियों के नाम दें:
दही से मक्खन,
समुद्री जल से नमक,
नमक से कपूर।
2. क्रिस्टलीकरण विधि से किस प्रकार के मिश्रणों को पृथक किया जा सकता है ?
3. आसवन और प्रभाजी आसवन से क्या तात्पर्य है ?