विदेशी जातियों का आक्रमण: Difference between revisions
No edit summary |
|||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:जैव विविधता एवं संरक्षण]][[Category:जीव विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]] | [[Category:जैव विविधता एवं संरक्षण]][[Category:जीव विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:वनस्पति विज्ञान]] | ||
विदेशी प्रजातियों के आक्रमण, जिन्हें आक्रामक प्रजातियों के आक्रमण के रूप में भी जाना जाता है, गैर-देशी प्रजातियों को एक नए वातावरण में पेश करने को संदर्भित करता है जहाँ वे स्वाभाविक रूप से नहीं पाए जाते हैं। ये प्रजातियाँ पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और यहाँ तक कि मानव स्वास्थ्य को भी काफी नुकसान पहुँचा सकती हैं। आक्रामक विदेशी प्रजातियों ने 60% प्रलेखित वैश्विक पौधों और जंतुओं के विलुप्त होने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन प्रजातियों को अब भूमि और समुद्री उपयोग परिवर्तन, जीवों के प्रत्यक्ष शोषण, जलवायु परिवर्तन तथा प्रदूषण के साथ-साथ जैवविविधता की हानि के पाँच प्राथमिक चालकों में से एक के रूप में पहचाना जाता है। | |||
'''विदेशी प्रजातियाँ:''' इन्हें विदेशी या गैर-देशी प्रजातियाँ भी कहा जाता है, ये ऐसी प्रजातियाँ हैं जिन्हें ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र में लाया जाता है जहाँ वे स्वाभाविक रूप से नहीं पाई जाती हैं। | |||
'''आक्रामक प्रजातियाँ:''' जब कोई विदेशी प्रजाति पर्यावरण, अर्थव्यवस्था या [[मानव स्वास्थ्य तथा रोग|मानव स्वास्थ्य]] को नुकसान पहुँचाती है, तो उसे आक्रामक प्रजाति कहा जाता है। | |||
=== विदेशी प्रजातियों के आक्रमण पर मुख्य बिंदु === | |||
'''प्राकृतिक फैलाव:''' दुर्लभ, लेकिन कुछ प्रजातियाँ स्वाभाविक रूप से नए क्षेत्रों में प्रवास करती हैं। | |||
'''मानव गतिविधियाँ:''' अधिकांश आक्रमण मानवीय गतिविधियों के कारण होते हैं जैसे: | |||
# '''वैश्विक व्यापार:''' माल का परिवहन गलती से प्रजातियों को सीमाओं के पार ले जा सकता है। | |||
# '''पालतू व्यापार:''' जंगल में छोड़े गए पालतू जानवर आक्रामक हो सकते हैं। | |||
# '''कृषि:''' कृषि के लिए प्रजातियों का परिचय जो बाद में अनियंत्रित रूप से फैलती हैं। | |||
# '''गिट्टी का पानी:''' जहाज दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जीवों से युक्त पानी छोड़ते हैं। | |||
== विदेशी प्रजातियों के आक्रमण का पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: == | |||
# प्रतिस्पर्धा: आक्रामक प्रजातियाँ अक्सर भोजन, पानी और आवास जैसे संसाधनों के लिए देशी प्रजातियों से प्रतिस्पर्धा करती हैं। | |||
# शिकार: कुछ आक्रामक प्रजातियाँ देशी प्रजातियों का शिकार करती हैं, जिससे उनकी गिरावट या विलुप्ति होती है। | |||
# रोग: आक्रामक प्रजातियाँ नई बीमारियाँ ला सकती हैं, जिनके लिए देशी प्रजातियों में कोई [[प्रतिरक्षा]] नहीं होती। | |||
# पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में व्यवधान: आक्रामक प्रजातियाँ पारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज को बदल सकती हैं, जिससे परागण, जल शोधन और मिट्टी की उर्वरता जैसी सेवाएँ प्रभावित होती हैं। | |||
== आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: == | |||
* कृषि और मत्स्य पालन: आक्रामक प्रजातियाँ फसलों, जंगलों और मत्स्य पालन को नुकसान पहुँचा सकती हैं, जिससे महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान हो सकता है। | |||
* बुनियादी ढाँचा: कुछ प्रजातियाँ बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचाती हैं, जैसे कि जल प्रणालियाँ, जिससे महंगी मरम्मत करनी पड़ती है। | |||
* मानव स्वास्थ्य: कुछ आक्रामक प्रजातियाँ मनुष्यों को प्रभावित करने वाली बीमारियाँ फैला सकती हैं, जैसे कि [[मलेरिया]] या डेंगू फैलाने वाले मच्छर। | |||
== आक्रामक प्रजातियों के उदाहरण: == | |||
* कुडज़ू वाइन (प्यूरारिया मोंटाना): दक्षिण-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में पेश किया गया, यह तेजी से बढ़ता है और देशी पौधों को नष्ट कर देता है। | |||
* ज़ेबरा मसल (ड्रेसेना पॉलीमोर्फा): यूरेशिया से उत्पन्न, इसने उत्तरी अमेरिकी जल निकायों पर आक्रमण किया है, पानी के पाइपों को अवरुद्ध किया है और देशी मसल्स को पछाड़ दिया है। | |||
* वाटर हाइसिंथ (इचोर्निया क्रैसिप्स): दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी, यह कई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैल गया है, जलमार्गों को अवरुद्ध कर दिया है और जल निकायों में [[ऑक्सीजन-चक्र|ऑक्सीजन]] के स्तर को कम कर दिया है। | |||
== प्रबंधन और नियंत्रण: == | |||
* रोकथाम: आक्रामक प्रजातियों के प्रबंधन का सबसे प्रभावी तरीका विनियमन और निगरानी के माध्यम से उनके प्रवेश को रोकना है। | |||
* उन्मूलन: कुछ मामलों में, आक्रामक प्रजातियों को भौतिक निष्कासन, रासायनिक उपचार या जैविक नियंत्रण (प्राकृतिक शिकारियों को पेश करना) के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है। | |||
* नियंत्रण और शमन: यदि उन्मूलन संभव नहीं है, तो मूल पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए जनसंख्या का प्रबंधन करना अगली सबसे अच्छी रणनीति है। | |||
== संरक्षण निहितार्थ: == | |||
जैव विविधता हानि: आक्रामक प्रजातियाँ दुनिया भर में [[जैव विविधता]] हानि के प्रमुख कारणों में से एक हैं। | |||
पारिस्थितिकी तंत्र बहाली: पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के प्रयास अक्सर आक्रामक प्रजातियों को हटाने और देशी प्रजातियों को फिर से पेश करने पर केंद्रित होते हैं। | |||
== अभ्यास प्रश्न == | |||
* विदेशी जातियों का आक्रमण से आप क्या समझते हैं ? | |||
* डोडो पक्षी के विलुप्त होने के क्या कारण हैं ? | |||
* विदेशी जातियों का आक्रमण का पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है ? |
Latest revision as of 20:53, 11 August 2024
विदेशी प्रजातियों के आक्रमण, जिन्हें आक्रामक प्रजातियों के आक्रमण के रूप में भी जाना जाता है, गैर-देशी प्रजातियों को एक नए वातावरण में पेश करने को संदर्भित करता है जहाँ वे स्वाभाविक रूप से नहीं पाए जाते हैं। ये प्रजातियाँ पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और यहाँ तक कि मानव स्वास्थ्य को भी काफी नुकसान पहुँचा सकती हैं। आक्रामक विदेशी प्रजातियों ने 60% प्रलेखित वैश्विक पौधों और जंतुओं के विलुप्त होने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन प्रजातियों को अब भूमि और समुद्री उपयोग परिवर्तन, जीवों के प्रत्यक्ष शोषण, जलवायु परिवर्तन तथा प्रदूषण के साथ-साथ जैवविविधता की हानि के पाँच प्राथमिक चालकों में से एक के रूप में पहचाना जाता है।
विदेशी प्रजातियाँ: इन्हें विदेशी या गैर-देशी प्रजातियाँ भी कहा जाता है, ये ऐसी प्रजातियाँ हैं जिन्हें ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र में लाया जाता है जहाँ वे स्वाभाविक रूप से नहीं पाई जाती हैं।
आक्रामक प्रजातियाँ: जब कोई विदेशी प्रजाति पर्यावरण, अर्थव्यवस्था या मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाती है, तो उसे आक्रामक प्रजाति कहा जाता है।
विदेशी प्रजातियों के आक्रमण पर मुख्य बिंदु
प्राकृतिक फैलाव: दुर्लभ, लेकिन कुछ प्रजातियाँ स्वाभाविक रूप से नए क्षेत्रों में प्रवास करती हैं।
मानव गतिविधियाँ: अधिकांश आक्रमण मानवीय गतिविधियों के कारण होते हैं जैसे:
- वैश्विक व्यापार: माल का परिवहन गलती से प्रजातियों को सीमाओं के पार ले जा सकता है।
- पालतू व्यापार: जंगल में छोड़े गए पालतू जानवर आक्रामक हो सकते हैं।
- कृषि: कृषि के लिए प्रजातियों का परिचय जो बाद में अनियंत्रित रूप से फैलती हैं।
- गिट्टी का पानी: जहाज दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जीवों से युक्त पानी छोड़ते हैं।
विदेशी प्रजातियों के आक्रमण का पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव:
- प्रतिस्पर्धा: आक्रामक प्रजातियाँ अक्सर भोजन, पानी और आवास जैसे संसाधनों के लिए देशी प्रजातियों से प्रतिस्पर्धा करती हैं।
- शिकार: कुछ आक्रामक प्रजातियाँ देशी प्रजातियों का शिकार करती हैं, जिससे उनकी गिरावट या विलुप्ति होती है।
- रोग: आक्रामक प्रजातियाँ नई बीमारियाँ ला सकती हैं, जिनके लिए देशी प्रजातियों में कोई प्रतिरक्षा नहीं होती।
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में व्यवधान: आक्रामक प्रजातियाँ पारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज को बदल सकती हैं, जिससे परागण, जल शोधन और मिट्टी की उर्वरता जैसी सेवाएँ प्रभावित होती हैं।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:
- कृषि और मत्स्य पालन: आक्रामक प्रजातियाँ फसलों, जंगलों और मत्स्य पालन को नुकसान पहुँचा सकती हैं, जिससे महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान हो सकता है।
- बुनियादी ढाँचा: कुछ प्रजातियाँ बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचाती हैं, जैसे कि जल प्रणालियाँ, जिससे महंगी मरम्मत करनी पड़ती है।
- मानव स्वास्थ्य: कुछ आक्रामक प्रजातियाँ मनुष्यों को प्रभावित करने वाली बीमारियाँ फैला सकती हैं, जैसे कि मलेरिया या डेंगू फैलाने वाले मच्छर।
आक्रामक प्रजातियों के उदाहरण:
- कुडज़ू वाइन (प्यूरारिया मोंटाना): दक्षिण-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में पेश किया गया, यह तेजी से बढ़ता है और देशी पौधों को नष्ट कर देता है।
- ज़ेबरा मसल (ड्रेसेना पॉलीमोर्फा): यूरेशिया से उत्पन्न, इसने उत्तरी अमेरिकी जल निकायों पर आक्रमण किया है, पानी के पाइपों को अवरुद्ध किया है और देशी मसल्स को पछाड़ दिया है।
- वाटर हाइसिंथ (इचोर्निया क्रैसिप्स): दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी, यह कई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैल गया है, जलमार्गों को अवरुद्ध कर दिया है और जल निकायों में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर दिया है।
प्रबंधन और नियंत्रण:
- रोकथाम: आक्रामक प्रजातियों के प्रबंधन का सबसे प्रभावी तरीका विनियमन और निगरानी के माध्यम से उनके प्रवेश को रोकना है।
- उन्मूलन: कुछ मामलों में, आक्रामक प्रजातियों को भौतिक निष्कासन, रासायनिक उपचार या जैविक नियंत्रण (प्राकृतिक शिकारियों को पेश करना) के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है।
- नियंत्रण और शमन: यदि उन्मूलन संभव नहीं है, तो मूल पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए जनसंख्या का प्रबंधन करना अगली सबसे अच्छी रणनीति है।
संरक्षण निहितार्थ:
जैव विविधता हानि: आक्रामक प्रजातियाँ दुनिया भर में जैव विविधता हानि के प्रमुख कारणों में से एक हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र बहाली: पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के प्रयास अक्सर आक्रामक प्रजातियों को हटाने और देशी प्रजातियों को फिर से पेश करने पर केंद्रित होते हैं।
अभ्यास प्रश्न
- विदेशी जातियों का आक्रमण से आप क्या समझते हैं ?
- डोडो पक्षी के विलुप्त होने के क्या कारण हैं ?
- विदेशी जातियों का आक्रमण का पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है ?