बायोपाइरेसी: Difference between revisions
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जैव रासायनिक या अन्य संसाधन के व्यावसायिक शोषण को बायोपाइरेसी कहलाती है। बायो-पायरेसी का एक उदाहरण यह है कि भारत में प्रचलित नीम और उससे बनी दवाईयों का पेटेंट यूरोप की एक कंपनी के पास है। इसके अलावा भी कई भारतीय संसाधनों का पेटेंट विदेशी कंपनी के पास हैं। बायोपिरेसी बायो + पाइरेसी है। | जैव रासायनिक या अन्य संसाधन के व्यावसायिक शोषण को बायोपाइरेसी कहलाती है। बायो-पायरेसी का एक उदाहरण यह है कि भारत में प्रचलित नीम और उससे बनी दवाईयों का पेटेंट यूरोप की एक कंपनी के पास है। इसके अलावा भी कई भारतीय संसाधनों का पेटेंट विदेशी कंपनी के पास हैं। बायोपिरेसी बायो + पाइरेसी है। | ||
बायो-पाइरेसी का मतलब जैविक संसाधनों का अनाधिकृत उपयोग है। इसमें जैविक संसाधनों को नोटिस या अधिकार के बिना उपयोग करने की अनुमति होती है। इनका उपयोग व्यावसाय में किया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विकसित देश अपने ज्ञान का उपयोग विकासशील देशों के जैविक संसाधनों का दोहन करने के लिए करते हैं। जब कोई देश व्यवसाय करने या अनुसंधान करने के उद्देश्य से अपने स्वयं के जैविक संसाधनों का उपयोग करता है। '''बायोपायरेसी का तात्पर्य किसी अन्य देश के जैविक संसाधनों का बिना पूर्व सूचना के इस्तेमाल करना। उदाहरण के लिए भारत में उपचार के लियी प्रचलित हल्दी का पेटेंट अमेरिकी कंपनी ने लिया हुआ है।''' | बायो-पाइरेसी का मतलब जैविक संसाधनों का अनाधिकृत उपयोग है। इसमें जैविक संसाधनों को नोटिस या अधिकार के बिना उपयोग करने की अनुमति होती है। इनका उपयोग व्यावसाय में किया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विकसित देश अपने ज्ञान का उपयोग विकासशील देशों के [[जैविक कारक|जैविक]] संसाधनों का दोहन करने के लिए करते हैं। जब कोई देश व्यवसाय करने या अनुसंधान करने के उद्देश्य से अपने स्वयं के जैविक संसाधनों का उपयोग करता है। '''बायोपायरेसी का तात्पर्य किसी अन्य देश के जैविक संसाधनों का बिना पूर्व सूचना के इस्तेमाल करना। उदाहरण के लिए भारत में उपचार के लियी प्रचलित हल्दी का पेटेंट अमेरिकी कंपनी ने लिया हुआ है।''' | ||
'''संसाधनों का दोहन:''' बायोपाइरेसी में औषधीय पौधों या पारंपरिक ज्ञान जैसे जैविक संसाधनों का उपयोग कंपनियों या शोधकर्ताओं द्वारा दवाइयों, सौंदर्य प्रसाधनों या कृषि उत्पादों जैसे उत्पादों को विकसित करने के लिए किया जाता है। | '''संसाधनों का दोहन:''' बायोपाइरेसी में औषधीय पौधों या पारंपरिक ज्ञान जैसे जैविक संसाधनों का उपयोग कंपनियों या शोधकर्ताओं द्वारा दवाइयों, सौंदर्य प्रसाधनों या कृषि उत्पादों जैसे उत्पादों को विकसित करने के लिए किया जाता है। | ||
'''सहमति का अभाव:''' इन संसाधनों या ज्ञान को अक्सर स्थानीय समुदायों या राष्ट्रों की अनुमति के बिना लिया जाता है जिन्होंने पीढ़ियों से उनका पोषण और उपयोग किया है। | '''सहमति का अभाव:''' इन संसाधनों या ज्ञान को अक्सर स्थानीय समुदायों या राष्ट्रों की अनुमति के बिना लिया जाता है जिन्होंने पीढ़ियों से उनका [[पोषण]] और उपयोग किया है। | ||
'''कोई मुआवजा नहीं:''' जिन लोगों के पास मूल रूप से ज्ञान या संसाधन हैं, उन्हें आमतौर पर मुआवजा या मान्यता नहीं दी जाती है, जिससे आर्थिक और सांस्कृतिक शोषण होता है। | '''कोई मुआवजा नहीं:''' जिन लोगों के पास मूल रूप से ज्ञान या संसाधन हैं, उन्हें आमतौर पर मुआवजा या मान्यता नहीं दी जाती है, जिससे आर्थिक और सांस्कृतिक शोषण होता है। |
Latest revision as of 21:00, 21 August 2024
बहुराष्ट्रीय कंपनियों व दूसरे संगठनों द्धारा किसी राष्ट्र या उससे संबंधित लोगों से बिना व्यवस्थित अनुमोदन व क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का उपयोग करना बायोपाइरेसी कहलाता है।
जैव रासायनिक या अन्य संसाधन के व्यावसायिक शोषण को बायोपाइरेसी कहलाती है। बायो-पायरेसी का एक उदाहरण यह है कि भारत में प्रचलित नीम और उससे बनी दवाईयों का पेटेंट यूरोप की एक कंपनी के पास है। इसके अलावा भी कई भारतीय संसाधनों का पेटेंट विदेशी कंपनी के पास हैं। बायोपिरेसी बायो + पाइरेसी है।
बायो-पाइरेसी का मतलब जैविक संसाधनों का अनाधिकृत उपयोग है। इसमें जैविक संसाधनों को नोटिस या अधिकार के बिना उपयोग करने की अनुमति होती है। इनका उपयोग व्यावसाय में किया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विकसित देश अपने ज्ञान का उपयोग विकासशील देशों के जैविक संसाधनों का दोहन करने के लिए करते हैं। जब कोई देश व्यवसाय करने या अनुसंधान करने के उद्देश्य से अपने स्वयं के जैविक संसाधनों का उपयोग करता है। बायोपायरेसी का तात्पर्य किसी अन्य देश के जैविक संसाधनों का बिना पूर्व सूचना के इस्तेमाल करना। उदाहरण के लिए भारत में उपचार के लियी प्रचलित हल्दी का पेटेंट अमेरिकी कंपनी ने लिया हुआ है।
संसाधनों का दोहन: बायोपाइरेसी में औषधीय पौधों या पारंपरिक ज्ञान जैसे जैविक संसाधनों का उपयोग कंपनियों या शोधकर्ताओं द्वारा दवाइयों, सौंदर्य प्रसाधनों या कृषि उत्पादों जैसे उत्पादों को विकसित करने के लिए किया जाता है।
सहमति का अभाव: इन संसाधनों या ज्ञान को अक्सर स्थानीय समुदायों या राष्ट्रों की अनुमति के बिना लिया जाता है जिन्होंने पीढ़ियों से उनका पोषण और उपयोग किया है।
कोई मुआवजा नहीं: जिन लोगों के पास मूल रूप से ज्ञान या संसाधन हैं, उन्हें आमतौर पर मुआवजा या मान्यता नहीं दी जाती है, जिससे आर्थिक और सांस्कृतिक शोषण होता है।
कानूनी और नैतिक मुद्दे: बायोपाइरेसी महत्वपूर्ण नैतिक चिंताओं को जन्म देती है और इसने स्वदेशी लोगों के अधिकारों और निष्पक्ष लाभ-साझाकरण की आवश्यकता के बारे में अंतर्राष्ट्रीय बहस को जन्म दिया है।
उदाहरण: एक प्रसिद्ध उदाहरण एक अमेरिकी कंपनी द्वारा हल्दी का पेटेंट कराना है, जिसने सदियों से भारत में पारंपरिक रूप से हल्दी का उपयोग किए जाने के बावजूद इसके उपयोग पर विशेष अधिकार का दावा करने की कोशिश की।
अभ्यास प्रश्न
- बायोपाइरेसी से क्या तात्पर्य है?
- बायोपाइरेसी को किसी एक उदाहरण द्वारा समझाइये।