रेसमिक मिश्रण: Difference between revisions
m (added Category:कार्बनिक रसायन using HotCat) |
No edit summary |
||
(9 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:रसायन विज्ञान]] | [[Category:हैलोएल्केन तथा हैलोएरीन]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:कार्बनिक रसायन]] | ||
[[Category:कार्बनिक रसायन]] | रेसिमिक मिश्रण, दो एनैन्टीओमर्स की समान मात्रा का [[मिश्रण]] होता है, या ऐसे पदार्थ जिनमें असममित आणविक संरचनाएं होती हैं जो एक दूसरे की दर्पण छवियां होती हैं। किसी प्रकाशिक यौगिक के d अथवा l प्रतिबिम्ब समावयवीयों को उनके प्रकाशिक रेसेमिक मिश्रण में बदलने की प्रक्रिया को रेसीमिकरण कहते हैं। जैसा की हम जानते हैं, दो प्रतिबिम्ब रूपों (d तथा l) के समान अनुपात में [[मिश्रण]] का [[ध्रुवण]] घूर्णन शून्य होता है, क्योंकि एक समावयवी के द्वारा उत्पन्न घूर्णन दूसरे के घूर्णन को निरस्त कर देगा। अतः इस प्रकार का मिश्रण रेसिमिक मिश्रण कहलाता है। | ||
==रेसेमिक मिश्रण या रेसेमीकरण== | |||
*यदि दक्षिण ध्रुवक व वाम ध्रुवण घुर्णक को 50-50% समान मात्रा में मिला दिया जाए तो बाह्य प्रतिकर्षण के कारण प्राप्त [[पदार्थ]] ध्रुवण अघुर्णक हो जाता है जिसे [[सिस-समावयवी|सिस]] रेसेमिक मिश्रण कहते है तथा इस परिघटना को रेसमीसीकरण कहते है। | |||
*रेसेमिक मिश्रण ध्रुवण अघुर्णक होता है व [[प्रकाशिक समावयवता]] नहीं दर्शाता है। | |||
*रेसेमिक मिश्रण को (dl ±) से दर्शाया जाता है। | |||
==रेसमीसीकरण का कारण== | |||
यदि कोई यौगिक काइरल से अकाइरल में बदलता है तो रेसमीसीकरण होता है। जब अभिक्रियाओ में इनवर्शन होता है तब भी रेसमीसीकरण की क्रिया होती है। | |||
====उदाहरण==== | |||
क्लोरो प्रोपनोइक अम्ल | |||
===प्रकाशिक समावयवता=== | |||
[[File:Milchsäure Enantiomerenpaar.svg|thumb|एनैन्टीओमर्स]]प्रकाशिक समावयवता [[काइरल]] केंद्रों वाले अणुओं में होता है, जो चार अलग-अलग प्रतिस्थापनों से बंधे कार्बन परमाणु होते हैं। काइरल अणुओं में गैर-सुपरइम्पोज़ेबल दर्पण छवियां होती हैं, और इन दर्पण छवियों को एनैन्टीओमर्स कहा जाता है। | |||
===एनैन्टीओमर्स=== | |||
एनैन्टीओमर्स स्टीरियोइसोमर्स हैं जो एक दूसरे की दर्पण छवियां हैं। समतल-ध्रुवीकृत प्रकाश के साथ उनकी परस्पर क्रिया को छोड़कर उनके पास समान भौतिक और रासायनिक गुण हैं। एक एनैन्टीओमर समतल-ध्रुवीकृत प्रकाश को दक्षिणावर्त घुमाता है (डेक्सट्रोटोटरी, जिसे + या d के रूप में नामित किया गया है), जबकि दूसरा इसे वामावर्त घुमाता है (लेबोरेटरी, जिसे - या l के रूप में नामित किया गया है)। | |||
उदाहरण: l-अलैनिन और d-अलैनिन एक दूसरे के एनैन्टीओमर हैं। उनके पास समान आणविक सूत्र और कनेक्टिविटी है लेकिन काइरल कार्बन केंद्र में उनकी स्थानिक व्यवस्था में भिन्नता है। | |||
==अभ्यास प्रश्न== | |||
*रेसमीसीकरण से क्या तातपर्य है ? | |||
*रेसेमिक मिश्रण क्या है ? | |||
*काइरल कार्बन क्या है ? |
Latest revision as of 13:05, 31 May 2024
रेसिमिक मिश्रण, दो एनैन्टीओमर्स की समान मात्रा का मिश्रण होता है, या ऐसे पदार्थ जिनमें असममित आणविक संरचनाएं होती हैं जो एक दूसरे की दर्पण छवियां होती हैं। किसी प्रकाशिक यौगिक के d अथवा l प्रतिबिम्ब समावयवीयों को उनके प्रकाशिक रेसेमिक मिश्रण में बदलने की प्रक्रिया को रेसीमिकरण कहते हैं। जैसा की हम जानते हैं, दो प्रतिबिम्ब रूपों (d तथा l) के समान अनुपात में मिश्रण का ध्रुवण घूर्णन शून्य होता है, क्योंकि एक समावयवी के द्वारा उत्पन्न घूर्णन दूसरे के घूर्णन को निरस्त कर देगा। अतः इस प्रकार का मिश्रण रेसिमिक मिश्रण कहलाता है।
रेसेमिक मिश्रण या रेसेमीकरण
- यदि दक्षिण ध्रुवक व वाम ध्रुवण घुर्णक को 50-50% समान मात्रा में मिला दिया जाए तो बाह्य प्रतिकर्षण के कारण प्राप्त पदार्थ ध्रुवण अघुर्णक हो जाता है जिसे सिस रेसेमिक मिश्रण कहते है तथा इस परिघटना को रेसमीसीकरण कहते है।
- रेसेमिक मिश्रण ध्रुवण अघुर्णक होता है व प्रकाशिक समावयवता नहीं दर्शाता है।
- रेसेमिक मिश्रण को (dl ±) से दर्शाया जाता है।
रेसमीसीकरण का कारण
यदि कोई यौगिक काइरल से अकाइरल में बदलता है तो रेसमीसीकरण होता है। जब अभिक्रियाओ में इनवर्शन होता है तब भी रेसमीसीकरण की क्रिया होती है।
उदाहरण
क्लोरो प्रोपनोइक अम्ल
प्रकाशिक समावयवता
प्रकाशिक समावयवता काइरल केंद्रों वाले अणुओं में होता है, जो चार अलग-अलग प्रतिस्थापनों से बंधे कार्बन परमाणु होते हैं। काइरल अणुओं में गैर-सुपरइम्पोज़ेबल दर्पण छवियां होती हैं, और इन दर्पण छवियों को एनैन्टीओमर्स कहा जाता है।
एनैन्टीओमर्स
एनैन्टीओमर्स स्टीरियोइसोमर्स हैं जो एक दूसरे की दर्पण छवियां हैं। समतल-ध्रुवीकृत प्रकाश के साथ उनकी परस्पर क्रिया को छोड़कर उनके पास समान भौतिक और रासायनिक गुण हैं। एक एनैन्टीओमर समतल-ध्रुवीकृत प्रकाश को दक्षिणावर्त घुमाता है (डेक्सट्रोटोटरी, जिसे + या d के रूप में नामित किया गया है), जबकि दूसरा इसे वामावर्त घुमाता है (लेबोरेटरी, जिसे - या l के रूप में नामित किया गया है)।
उदाहरण: l-अलैनिन और d-अलैनिन एक दूसरे के एनैन्टीओमर हैं। उनके पास समान आणविक सूत्र और कनेक्टिविटी है लेकिन काइरल कार्बन केंद्र में उनकी स्थानिक व्यवस्था में भिन्नता है।
अभ्यास प्रश्न
- रेसमीसीकरण से क्या तातपर्य है ?
- रेसेमिक मिश्रण क्या है ?
- काइरल कार्बन क्या है ?