आवेश: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
Line 1: Line 1:
[[Category:परमाणु और अणु]]
[[Category:परमाणु और अणु]]
== आवेश के प्रकार ==
आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
धनात्मक आवेश
ऋणात्मक आवेश
जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है तो एक में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न होता है और दूसरी में धनात्मक आवेश उत्पन्न होता है, अर्थात दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है।
उदाहरण- यदि कांच को रेशम से रगड़ा जाए तो कांच में धनात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है, परन्तु यदि कांच को बालों से रगड़ा जाए तो कांच में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है।
समान आवेश प्रतिकर्षित करते हैं अर्थात धनावेशित वस्तुएँ एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। तथा ऋणावेशित वस्तुएँ भी एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। विपरीत आवेशों के बीच आकर्षण होता है, अर्थात धनावेशित वस्तु और ऋणावेशित वस्तु के बीच आकर्षण होता है।

Revision as of 13:02, 25 May 2023


आवेश के प्रकार

आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

धनात्मक आवेश

ऋणात्मक आवेश

जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है तो एक में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न होता है और दूसरी में धनात्मक आवेश उत्पन्न होता है, अर्थात दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है।

उदाहरण- यदि कांच को रेशम से रगड़ा जाए तो कांच में धनात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है, परन्तु यदि कांच को बालों से रगड़ा जाए तो कांच में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है।

समान आवेश प्रतिकर्षित करते हैं अर्थात धनावेशित वस्तुएँ एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। तथा ऋणावेशित वस्तुएँ भी एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। विपरीत आवेशों के बीच आकर्षण होता है, अर्थात धनावेशित वस्तु और ऋणावेशित वस्तु के बीच आकर्षण होता है।