आवेश: Difference between revisions
Listen
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:परमाणु और अणु]] | [[Category:परमाणु और अणु]] | ||
== आवेश किसे कहते हैं == | |||
जब कोई भी पदार्थ अपने सामान्य व्यवहार से अलग व्यवहार प्रदर्शित करने लग जाता है। अर्थात उसके कारण विद्युत क्षेत्र तथा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होने लगता है। पदार्थ के इस गुण को विद्युत आवेश कहते हैं। वैद्युत आवेश पदार्थ का वह भौतिक गुण है जिसके कारण विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर यह एक बल का अनुभव करता है। | |||
* धनात्मक और ऋणात्मक विद्युत आवेश दो प्रकार के आवेश होते हैं जो आमतौर पर आवेश वाहकों, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों द्वारा किए जाते हैं। प्रोटॉन पर धनात्मक आवेश होता है और इलेक्ट्रॉनों पर ऋणात्मक आवेश होता है। | |||
* आवेशों के संचलन से ऊर्जा उत्पन्न होती है। | |||
* जिस वातावरण में आवेश रखा गया है, उसके आधार पर उत्पादित ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा या विद्युत ऊर्जा हो सकती है। | |||
== आवेश के प्रकार == | == आवेश के प्रकार == | ||
आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। | आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। | ||
धनात्मक आवेश | # धनात्मक आवेश | ||
# ऋणात्मक आवेश | |||
ऋणात्मक आवेश | |||
जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है तो एक में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न होता है और दूसरी में धनात्मक आवेश उत्पन्न होता है, अर्थात दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है। | जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है तो एक में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न होता है और दूसरी में धनात्मक आवेश उत्पन्न होता है, अर्थात दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है। | ||
उदाहरण | ==== उदाहरण ==== | ||
यदि कांच को रेशम से रगड़ा जाए तो कांच में धनात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है, परन्तु यदि कांच को बालों से रगड़ा जाए तो कांच में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है। | |||
समान आवेश प्रतिकर्षित करते हैं अर्थात धनावेशित वस्तुएँ एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। तथा ऋणावेशित वस्तुएँ भी एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। विपरीत आवेशों के बीच आकर्षण होता है, अर्थात धनावेशित वस्तु और ऋणावेशित वस्तु के बीच आकर्षण होता है। | समान आवेश प्रतिकर्षित करते हैं अर्थात धनावेशित वस्तुएँ एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। तथा ऋणावेशित वस्तुएँ भी एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। विपरीत आवेशों के बीच आकर्षण होता है, अर्थात धनावेशित वस्तु और ऋणावेशित वस्तु के बीच आकर्षण होता है। |
Revision as of 13:08, 25 May 2023
आवेश किसे कहते हैं
जब कोई भी पदार्थ अपने सामान्य व्यवहार से अलग व्यवहार प्रदर्शित करने लग जाता है। अर्थात उसके कारण विद्युत क्षेत्र तथा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होने लगता है। पदार्थ के इस गुण को विद्युत आवेश कहते हैं। वैद्युत आवेश पदार्थ का वह भौतिक गुण है जिसके कारण विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर यह एक बल का अनुभव करता है।
- धनात्मक और ऋणात्मक विद्युत आवेश दो प्रकार के आवेश होते हैं जो आमतौर पर आवेश वाहकों, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों द्वारा किए जाते हैं। प्रोटॉन पर धनात्मक आवेश होता है और इलेक्ट्रॉनों पर ऋणात्मक आवेश होता है।
- आवेशों के संचलन से ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- जिस वातावरण में आवेश रखा गया है, उसके आधार पर उत्पादित ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा या विद्युत ऊर्जा हो सकती है।
आवेश के प्रकार
आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
- धनात्मक आवेश
- ऋणात्मक आवेश
जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है तो एक में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न होता है और दूसरी में धनात्मक आवेश उत्पन्न होता है, अर्थात दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है।
उदाहरण
यदि कांच को रेशम से रगड़ा जाए तो कांच में धनात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है, परन्तु यदि कांच को बालों से रगड़ा जाए तो कांच में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है।
समान आवेश प्रतिकर्षित करते हैं अर्थात धनावेशित वस्तुएँ एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। तथा ऋणावेशित वस्तुएँ भी एक दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। विपरीत आवेशों के बीच आकर्षण होता है, अर्थात धनावेशित वस्तु और ऋणावेशित वस्तु के बीच आकर्षण होता है।