प्रावस्था: Difference between revisions

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* प्रावस्था परिवर्तन से क्या तात्पर्य है ?
* प्रावस्था परिवर्तन से क्या तात्पर्य है ?
* क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोस में क्या अंतर है?
* क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोस में क्या अंतर है?
* कोलाइड से आप क्या समझते हैं? कुछ कोलॉइडों का नाम बताइये।
* कोलाइड से आप क्या समझते हैं? कुछ कोलॉइडों का नाम बताइये।[[Category:कक्षा-9]]

Revision as of 13:13, 3 August 2023

प्रावस्था, ऊष्मप्रवैगिकी में, रासायनिक और भौतिक रूप से समान या समांगीय पदार्थ की मात्रा जिसे यांत्रिक रूप से एक विषमांगीय मिश्रण से अलग किया जा सकता है और इसमें एक पदार्थ या पदार्थों का मिश्रण हो सकता है। पदार्थ के तीन मूलभूत प्रावस्था ठोस, तरल और गैस (वाष्प) हैं, लेकिन अन्य को अस्तित्व में माना जाता है, जिनमें क्रिस्टलीय, कोलाइड, ग्लासी, अनाकार और प्लाज्मा प्रावस्था शामिल हैं। जब प्रावस्था एक रूप से दूसरे रूप में बदल जाता है, तो कहा जाता है कि एक प्रावस्था परिवर्तन हुआ है।

प्रावस्था के प्रकार

तीन प्रकार की प्रावस्था होती हैं:

  • ठोस प्रावस्था
  • द्रव प्रावस्था
  • गैस प्रावस्था

ठोस प्रावस्था

ठोस पदार्थ में परमाणु बहुत पास-पास होते हैं ये आपस में अन्तराणुक आकर्षण बल द्वारा जुडे रहते हैं ठोसों में रिक्त स्थान भी अत्यधिक काम होता है। ठोस पदार्थ की वह प्रावस्था है जिसमें उसका आयतन और आकार दोनों निश्चित होते हैं। ठोस कणों के बीच बल इतने मजबूत होते हैं कि उनके घटक कण (परमाणु/अणु/आयन) किसी भी प्रकार की स्थानांतरण गति नहीं कर सकते हैं (हालांकि कंपन और घूर्णी गति हो सकती है) है। और इस कारण से आकार में निश्चित होते हैं और जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसका आकार नहीं लेते हैं।

  1. ठोस वे पदार्थ हैं जिनका एक निश्चित आकार वा निश्चित आयतन होता है।
  2. ठोस की सम्पीड्यता नगण्य होती है।
  3. बाह्य बल आरोपित करने पर भी ठोस का आकार नहीं बदलता।
  4. ठोस दृढ़ होते हैं।

उदाहरण- पेन, किताब, सुई और लकड़ी की छड़

क्रिस्टलीय ठोस

अधिकांश ठोस क्रिस्टलीय होते हैं, क्योंकि उनके पास त्रि-आयामी आवधिक परमाणु व्यवस्था होती है।

अक्रिस्टलीय ठोस

कुछ ठोस में इस आवधिक व्यवस्था की कमी होती है और वे अक्रिस्टलीय या अनाकार होते हैं। 

जैसे - कांच  

द्रव् प्रावस्था

द्रव पदार्थ में परमाणु ठोस की अपेछा थोड़ा दूर दूर होते हैं द्रवों में रिक्त स्थान भी अत्यधिक काम होता है।

  1. द्रव वे पदार्थ हैं जिनका एक निश्चित आकार वा निश्चित आयतन होता है।
  2. द्रव वे पदार्थ हैं जिनका एक निश्चित आकार होता है लेकिन आयतन निश्चित नहीं होता है।
  3. द्रवों में बहाव होता है अतः इनका आकार बदलता रहता है।
  4. द्रव दृढ़ नहीं अपितु तरल होता है।
  5. द्रव में अणु ठोस की तरह बहुत पास पास नहीं होते अतः इनमे ठोसों की अपेछा रिक्त स्थान अधिक होता है।
  6. द्रव वे पदार्थ हैं जिनको जिस बर्तन में रखा जाता है ये उसका ही रूप ग्रहण कर लेते हैं।

उदाहरण- जल, दूध, जूस, शीतल पेय

गैसीय प्रावस्था

गैस में कण बहुत दूर दूर होते हैं अतः गैसीय प्रावस्था में कणों की गति अनियमित और अत्यधिक तीव्र होती है अपनी अनियमित गति के कारण कण बर्तन की दीवारों से टकराते हैं।

  1. गैसीय प्रावस्था में कणों की गति अनियमित और अत्यधिक तीव्र होती है।
  2. इसमें घटक कणों के मध्य  आकर्षण बल कार्य नहीं करता है जिससे यह कण स्वतंत्र रूप से  गति करने के लिए मुक्त होते हैं।
  3. गैसों की संपीड्यता उच्च होती है तथा इसी कारण दाब बढ़ाने पर इनका आयतन घटता है।
  4. गैस के अणुओं के बीच लगने वाले अंतराणुक बलों के क्षीण होने के कारण गैसों के घनत्व कम होते हैं।

उदाहरण- LPG (द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस), CNG (संपीड़ित प्राकृतिक गैस)

कोलॉइड

कोलॉइड वे पदार्थ हैं जो पदार्थ सरलता से जल में नहीं घुलते और घुलने पर समांगी विलयन नहीं बनाते। तथा जो फ़िल्टर पेपर से नहीं छनते कोलॉइड कहलाते हैं।

जैसे- दूध, दही, गोंद, बादल आदि।

समांगी और विषमांगी मिश्रणों के गुणों वाला मिश्रण, जिसमें कण समान रूप से विलयन में बिखरे होते हैं, कोलाइडी विलयन कहलाता है। इन्हें कोलाइडल निलंबन भी कहा जाता है। निलंबन के कणों की तुलना में कोलाइडी विलयन के कणों का आकार छोटा होने के कारण यह एक समांगी मिश्रण प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में यह एक विषमांगी मिश्रण है।

प्लाज्मा

प्लाज्मा एक गर्म आयनित गैस है जिसमें धनात्मक आयनों और ऋणायनों की लगभग समान संख्या होती है। प्लाज्मा के गुण सामान्य गैसों से काफी भिन्न होते हैं, इसलिए प्लाज्मा को पदार्थ की चौथी प्रावस्था माना जाता है।

  1. गैस की तरह प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या निश्चित आयतन नहीं होता है।
  2. प्लाज्मा में धनावेश और ऋणावेश की स्वतंत्र रूप से गमन करने की क्षमता होती है यही कारण है की प्लाज्मा विद्युत चालक है।
  3. किसी चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में यह एक फिलामेंट, पुंज या दोहरी परत जैसी संरचनाओं का निर्माण करता है।

बोस-आइंस्टीन कन्डनसेट

पहली भविष्यवाणी 1924-25 में सत्येंद्रनाथ बोस ने की थी, इसलिए इस पदार्थ का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है। बोस-आइंस्टीन संघनित पदार्थ की एक प्रावस्था जिसमें बोसोन की एक तनु गैस को परम शून्य (0 K या -273.15 °C) के बहुत करीब के तापमान तक ठंडा किया जाता है।

ब्रह्मांड में प्रत्येक कण को दो श्रेणियों में से एक में रखा जा सकता है – फर्मियन (fermions) और बोसोन्स (bosons)। आपके आस-पास के अधिकांश पदार्थों के लिए फर्मियन ज़िम्मेदार हैं, क्योंकि उनमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन सम्मिलित हैं। जब एक साथ कई फर्मियन मिलते हैं, तो वे एक बोसोन बना सकते हैं।

अभ्यास प्रश्न

  • प्रावस्था परिवर्तन से क्या तात्पर्य है ?
  • क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोस में क्या अंतर है?
  • कोलाइड से आप क्या समझते हैं? कुछ कोलॉइडों का नाम बताइये।