साइक्लोट्रॉन: Difference between revisions

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cyclotron
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साइक्लोट्रॉन इन उपपरमाणु कणों के लिए एक शक्तिशाली त्वरक की तरह है। इसका मुख्य उद्देश्य इन कणों की गति बढ़ाना और उन्हें वास्तव में तेजी से आगे बढ़ाना है।


साइक्लोट्रॉन उस काल्पनिक गोलाकार रेसट्रैक पर चलने वाली खिलौना कार के समान है,जो कार ट्रैक के चारों ओर घूम सकती है,पर इससे  तेज़ चलाने के लिए इसे धक्के की आवयशकता पड़ती है । इस काल्पनिक उदाहरण में प्रोटॉन या इलेक्ट्रॉन, जैसे उप-परमाणु कणों को छोटी कारों के रूप में और रेसट्रैक को "साइक्लोट्रॉन" नामक एक बड़ी मशीन के रूप में परिलक्षित कीया गया है ।
साइक्लोट्रॉन उस काल्पनिक गोलाकार रेसट्रैक पर चलने वाली खिलौना कार के समान है,जो कार ट्रैक के चारों ओर घूम सकती है,पर इससे  तेज़ चलाने के लिए इसे धक्के की आवयशकता पड़ती है । इस काल्पनिक उदाहरण में प्रोटॉन या इलेक्ट्रॉन, जैसे उप-परमाणु कणों को छोटी कारों के रूप में और रेसट्रैक को "साइक्लोट्रॉन" नामक एक बड़ी मशीन के रूप में परिलक्षित कीया गया है ।
साइक्लोट्रॉन इन छोटी कारों (उपपरमाणु कणों) के लिए एक शक्तिशाली त्वरक की तरह है। इसका मुख्य उद्देश्य इन कणों की गति बढ़ाना और उन्हें वास्तव में तेजी से आगे बढ़ाना है।


यह ऐसे काम करता है:
यह ऐसे काम करता है:

Revision as of 05:46, 31 July 2023

cyclotron

साइक्लोट्रॉन इन उपपरमाणु कणों के लिए एक शक्तिशाली त्वरक की तरह है। इसका मुख्य उद्देश्य इन कणों की गति बढ़ाना और उन्हें वास्तव में तेजी से आगे बढ़ाना है।

साइक्लोट्रॉन उस काल्पनिक गोलाकार रेसट्रैक पर चलने वाली खिलौना कार के समान है,जो कार ट्रैक के चारों ओर घूम सकती है,पर इससे तेज़ चलाने के लिए इसे धक्के की आवयशकता पड़ती है । इस काल्पनिक उदाहरण में प्रोटॉन या इलेक्ट्रॉन, जैसे उप-परमाणु कणों को छोटी कारों के रूप में और रेसट्रैक को "साइक्लोट्रॉन" नामक एक बड़ी मशीन के रूप में परिलक्षित कीया गया है ।

यह ऐसे काम करता है:

   कण स्रोत: सबसे पहले, हमें छोटी कारें (उपपरमाण्विक कण) उत्पन्न करने की आवश्यकता है। वास्तविक साइक्लोट्रॉन में, ये कण आमतौर पर प्रोटॉन होते हैं, जो परमाणुओं के अंदर पाए जाते हैं।

   इंजेक्शन: छोटी कारों (प्रोटॉन) को साइक्लोट्रॉन के केंद्र में इंजेक्ट किया जाता है, जैसे आप अपनी खिलौना कार को रेसट्रैक की शुरुआती लाइन पर रखते हैं।

   चुंबकीय क्षेत्र: अब, यहीं जादू होता है! साइक्लोट्रॉन के चारों ओर शक्तिशाली चुम्बक हैं। ये चुंबक एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र बनाते हैं जो मशीन के केंद्र की ओर इशारा करता है। यह चुंबकीय क्षेत्र एक अवरोध की तरह कार्य करता है, जो कणों को बग़ल में भागने से रोकता है।

   त्वरण: यहाँ मज़ेदार हिस्सा आता है! जैसे ही छोटी कारें (प्रोटॉन) साइक्लोट्रॉन के अंदर एक गोलाकार पथ में चलना शुरू करती हैं, मशीन के अंदर का विद्युत क्षेत्र उन्हें धक्का देता है, जिससे वे प्रत्येक चक्कर के साथ और तेज़ हो जाते हैं। यह वैसा ही है जैसे आप अपनी खिलौना कार को गोलाकार रेसट्रैक पर तेजी से चलाने के लिए धक्का देते रहते हैं।

   सर्पिल पथ: चुंबकीय क्षेत्र उन्हें अंदर की ओर धकेलता है और विद्युत क्षेत्र उन्हें तेज़ बनाता है, छोटी कारें (प्रोटॉन) साइक्लोट्रॉन के अंदर एक सर्पिल पथ का अनुसरण करती हैं, प्रत्येक मोड़ के साथ अधिक से अधिक गति प्राप्त करती हैं।

   निष्कर्षण: अंततः, छोटी कारें (प्रोटॉन) अत्यधिक तेज़ हो जाती हैं और बहुत अधिक ऊर्जा प्राप्त करती हैं। जब वे वांछित गति तक पहुँच जाते हैं, तो उन्हें विभिन्न उद्देश्यों, जैसे चिकित्सा उपचार या अनुसंधान प्रयोगों में उपयोग करने के लिए साइक्लोट्रॉन से निकाला जाता है।

तो, संक्षेप में, एक साइक्लोट्रॉन उपपरमाण्विक कणों (छोटी कारों) के लिए एक गोलाकार रेसट्रैक की तरह है। इसमें शक्तिशाली चुम्बकों और इले का उपयोग किया जाता है ।