साइक्लोट्रॉन

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cyclotron

साइक्लोट्रॉन,इन उपपरमाणु कणों के लिए एक शक्तिशाली त्वरक की तरह है,जो आवेशित कणों (प्रोटॉन) की किरण को गोलाकार पथ में घूर्णन करते है। मेडिकल रेडियोआइसोटोप, गैर-रेडियोधर्मी सामग्रियों (स्थिर आइसोटोप) से बनाए जाते हैं जिन पर इन प्रोटॉन की तीव्र प्रबलता से वर्षा की जाती है।

एक 60-इंच साइक्लोट्रॉन, त्वरित आयनों (शायद प्रोटॉन या ड्यूटेरॉन) की किरण को त्वरक से बाहर निकलते हुए और समीप की हवा को आयनित करते हुए, एक नीली चमक पैदा करते हुए दिखाया जा रहा है। इस छवि में वैषम्य (कंट्रास्ट) बढ़ाया गया है।

इसका मुख्य उद्देश्य इन कणों की गति बढ़ाना और उन्हें वास्तव में तीव्रता प्रदान करना है।

काल्पनिक उदाहरण

साइक्लोट्रॉन, उस काल्पनिक गोलाकार रेसट्रैक पर चलने वाली खिलौना कार के समान है,जो कार,गतिमान पथ के चारों ओर घूम तो सकती है,पर इससे अधिक गतिमानता से चलने के लिए, किसी प्रकार के प्रारंभिक बल (एक ऐसे धक्के की आवश्यकता पड़ती है ,जिसकी दिशा वृताकार भी हो सकती है) पड़ती है । इस काल्पनिक उदाहरण में प्रोटॉन या इलेक्ट्रॉन, जैसे उप-परमाणु कणों को छोटी कारों के रूप में और रेसट्रैक को "साइक्लोट्रॉन" नामक एक बड़ी मशीन के रूप में परिलक्षित कीया जाता है ।

कार्य पद्दती

साइक्लोट्रॉन, इस सिद्धांत पर काम करता है कि चुंबकीय क्षेत्र में सामान्य गति से चलने वाले आवेशित कण, चुंबकीय लोरेंत्ज़ बल का अनुभव करता है, जिसके कारण कण एक गोलाकार पथ में चलता है।

साधारण दृष्टि से देखने पर साइक्लोट्रॉन के मुख्य भाग नीचे दीये गए हैं :

   कण स्रोत

प्रायः वास्तविक साइक्लोट्रॉन में, ये कण प्रोटॉन होते हैं, जो परमाणुओं के अंदर पाए जाते हैं।

   अंतःक्षेप (इंजेक्शन)

प्रोटॉन कणों को साइक्लोट्रॉन के केंद्र में अंतःक्षेपित (इंजेक्ट) किया जाता है, जैसे खिलौना कार को रेसट्रैक की आरंभिक लाइन पर रखते हैं।

   चुंबकीय क्षेत्र

साइक्लोट्रॉन के चारों ओर शक्तिशाली चुम्बक है। ये चुंबक, एक चुंबकीय क्षेत्र बनाते हैं, जो मशीन के केंद्र की ओर इंगित कर रहा होता है। यह चुंबकीय क्षेत्र एक अवरोध की तरह कार्य करता है, जो कणों को पथ भ्रमित होने से रोकता है।

   त्वरण

जैसे ही प्रोटॉन-कण साइक्लोट्रॉन के अंदर एक गोलाकार पथ पर चलायमान होते हैं, मशीन के अंदर का विद्युत क्षेत्र उन्हें अग्रिम पथ पर चलने के लीए प्रेरित करता है। चूंकि यह मार्ग वृताकार है इसलीए इस यात्रा में ये कण प्रत्येक वृत्त के साथ अधिक तीव्रगामी हो जाते हैं। यह वैसा ही है, जैसे एक खिलौना कार को गोलाकार रेसट्रैक पर तीव्रता से चलाने के किसी प्रकार के बल द्वारा प्रेरित कीया जाए और वह कार उस पथ पर आने के बाद और अधिक तीव्रगामी हो जाए।

   सर्पिल पथ

चुंबकीय क्षेत्र प्रोटॉन-कणों को अंदर की ओर धकेलता है और विद्युत क्षेत्र उन्हें तीव्रगामी बनाता है। ये प्रोटॉन-कण साइक्लोट्रॉन के अंदर, एक सर्पिल पथ बनाते हैं जिस पथ पर आए प्रत्येक वक्र पर उनमें अधिक गतिशीलता आ जाती है।

   निष्कर्षण

अंततः, ये प्रोटॉन कण अत्यधिक तीव्रगामी हो जाते हैं और बहुत अधिक ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं। जब वे वांछित गति तक पहुँच जाते हैं, तो उन्हें विभिन्न उद्देश्यों, जैसे चिकित्सा उपचार या अनुसंधान प्रयोगों में उपयोग करने के लिए साइक्लोट्रॉन से निष्कर्षित कीया जाता है।

साइक्लोट्रॉन की आवृति का गुणानुवाद

यह मान लेने पर की किसी वृत्ताकार पथ पर एक धनात्मक आवेश , आयन आवेश के साथ है, एक वृत्त में वेग से गति कर रहा है , तब उस वृत्ताकार पथ पर उत्पन्न हुई आवृति को मापने के लीए ,निम्नलिखित सूत्रों का उपयोग कीया जाता है :

चूँकि,

इस साधारण सूत्र संचय में ,

,आवेशित (प्रोटॉन ) कणों का द्रवमान है,

आवेशित (प्रोटॉन) कणों की गतिमान है ,

आवेशित (प्रोटॉन) कणों की आवेशमान है,

,चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता का मान है,

आवृति मान है,

वह समयावधि जिसमें की आवेशित कण निर्धारित पथ (वृत्ताकार) पर चलायमान होकर,ऊर्जित होते हैं ।

संक्षेप में

एक साइक्लोट्रॉन उपपरमाण्विक कणों के लिए एक गोलाकार क्षेत्र की तरह कार्य करता है। इसमें शक्तिशाली चुम्बकों और कण त्वरक का उपयोग किया जाता है ।