सान्द्रता पर ताप की निर्भरता: Difference between revisions

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बहुत सी अभिक्रियााओं का वेग ताप बढ़ाने पर बढ़ता जाता है। किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में 10० C ताप वृद्धि से वेग स्थिरांक में लगभग दुगनी वृद्धि होती है। अभिक्रिया के वेग पर ताप की निर्भरता आरेनियस समीकरण द्वारा की जा सकती है। स्वीडन के रसायनज्ञ आरेनियस ने इसका भौतिक सत्यापन भी प्रतिपादित किया था।  
बहुत सी अभिक्रियााओं का वेग ताप बढ़ाने पर बढ़ता जाता है। किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में 10० C ताप वृद्धि से वेग स्थिरांक में लगभग दुगनी वृद्धि होती है। अभिक्रिया के वेग पर ताप की निर्भरता आरेनियस समीकरण द्वारा की जा सकती है। स्वीडन के रसायनज्ञ आरेनियस ने इसका भौतिक सत्यापन भी प्रतिपादित किया था।  


किसी रासायनिक अभिक्रिया को सम्पन्न होने के लिये जितनी न्यूनतम ऊर्जा की मात्रा आवश्यक होती है उसे उस अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा (activation energy) कहते हैं। इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले १८८९ में स्वीडेन के वैज्ञानिक अर्हिनियस ने किया था। सक्रियण ऊर्जा को Ea से प्रदर्शित किया जाता है।
किसी रासायनिक अभिक्रिया को सम्पन्न होने के लिये जितनी न्यूनतम ऊर्जा की मात्रा आवश्यक होती है उसे उस अभिक्रिया की [[सक्रियण ऊर्जा]] (activation energy) कहते हैं। इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले १८८९ में स्वीडेन के वैज्ञानिक अर्हिनियस ने किया था। सक्रियण ऊर्जा को Ea से प्रदर्शित किया जाता है।


अरहेनियस समीकरण दर स्थिरांक, पूर्ण तापमान और ए कारक (जिसे पूर्व-घातीय कारक के रूप में भी जाना जाता है) के बीच एक संबंध प्रदान करता है। यह पूर्ण तापमान पर अभिक्रिया दर की निर्भरता में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
अरहेनियस समीकरण दर स्थिरांक, पूर्ण तापमान और ए कारक (जिसे पूर्व-घातीय कारक के रूप में भी जाना जाता है) के बीच एक संबंध प्रदान करता है। यह पूर्ण तापमान पर अभिक्रिया दर की निर्भरता में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
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k अभिक्रिया की दर स्थिरांक को दर्शाता है
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A पूर्व-घातीय कारक को दर्शाता है, जिसे आवृत्ति गुणक भी कहते हैं।
A पूर्व-घातीय कारक को दर्शाता है, जिसे आवृत्ति गुणक भी कहते हैं।
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रासायनिक अभिक्रिया को घटित करने के लिए टकराने वाले अणुओं के पास ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा होनी चाहिए, जिसे देहलीज ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। इसे E से प्रदर्शित करते हैं। किसी अभिक्रिया में भाग लेने के लिए अभिक्रियाशील अणुओं द्वारा आवश्यक ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा को सक्रियण ऊर्जा कहा जाता है।
रासायनिक अभिक्रिया को घटित करने के लिए टकराने वाले अणुओं के पास ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा होनी चाहिए, जिसे देहलीज ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। इसे E से प्रदर्शित करते हैं। किसी अभिक्रिया में भाग लेने के लिए अभिक्रियाशील अणुओं द्वारा आवश्यक ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा को सक्रियण ऊर्जा कहा जाता है।


सक्रियण ऊर्जा = दहलीज ऊर्जा - अभिक्रियाशील अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा
सक्रियण ऊर्जा = दहलीज ऊर्जा - अभिक्रियाशील अणुओं की औसत [[गतिज ऊर्जा]]


उच्च ऊर्जा अणुओं के बीच टकराव प्रतिकर्षण की शक्ति पर काबू पा लेता है और एक अस्थिर अणु समूह का निर्माण करता है, जिसे सक्रिय परिसर कहा जाता है। सक्रिय कॉम्प्लेक्स का जीवन काल बहुत छोटा है। इस प्रकार सक्रिय कॉम्प्लेक्स या तो फिर से अभिकारकों या नए पदार्थों, यानी उत्पादों में टूट जाता है। एक्ज़ोथर्मिक और एंडथर्मिक अभिक्रिया के दौरान ऊर्जा परिवर्तन बनाम अभिक्रिया की प्रगति दिखाई गई है
उच्च ऊर्जा अणुओं के बीच टकराव प्रतिकर्षण की शक्ति पर काबू पा लेता है और एक अस्थिर अणु समूह का निर्माण करता है, जिसे सक्रिय परिसर कहा जाता है। सक्रिय कॉम्प्लेक्स का जीवन काल बहुत छोटा है। इस प्रकार सक्रिय कॉम्प्लेक्स या तो फिर से अभिकारकों या नए पदार्थों, यानी उत्पादों में टूट जाता है। एक्ज़ोथर्मिक और एंडथर्मिक अभिक्रिया के दौरान ऊर्जा परिवर्तन बनाम अभिक्रिया की प्रगति दिखाई गई है

Latest revision as of 16:21, 30 May 2024

बहुत सी अभिक्रियााओं का वेग ताप बढ़ाने पर बढ़ता जाता है। किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में 10० C ताप वृद्धि से वेग स्थिरांक में लगभग दुगनी वृद्धि होती है। अभिक्रिया के वेग पर ताप की निर्भरता आरेनियस समीकरण द्वारा की जा सकती है। स्वीडन के रसायनज्ञ आरेनियस ने इसका भौतिक सत्यापन भी प्रतिपादित किया था।

किसी रासायनिक अभिक्रिया को सम्पन्न होने के लिये जितनी न्यूनतम ऊर्जा की मात्रा आवश्यक होती है उसे उस अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा (activation energy) कहते हैं। इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले १८८९ में स्वीडेन के वैज्ञानिक अर्हिनियस ने किया था। सक्रियण ऊर्जा को Ea से प्रदर्शित किया जाता है।

अरहेनियस समीकरण दर स्थिरांक, पूर्ण तापमान और ए कारक (जिसे पूर्व-घातीय कारक के रूप में भी जाना जाता है) के बीच एक संबंध प्रदान करता है। यह पूर्ण तापमान पर अभिक्रिया दर की निर्भरता में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

जहाँ

k अभिक्रिया की दर स्थिरांक को दर्शाता है

A पूर्व-घातीय कारक को दर्शाता है, जिसे आवृत्ति गुणक भी कहते हैं।

e  प्राकृतिक लघुगणक (यूलर संख्या) का आधार है

E  रासायनिक प्रतिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा को दर्शाता है (प्रति मोल ऊर्जा के संदर्भ में)

R सार्वभौमिक गैस स्थिरांक को दर्शाता है

T अभिक्रिया से जुड़े पूर्ण तापमान को दर्शाता है (केल्विन में)

टकराव की आवृत्ति

अभिकारक अणुओं के बीच टकराव के कारण प्रति इकाई प्रति सेकंड होने वाली टक्करों की संख्या रासायनिक अभिक्रिया होती है। अभिक्रिया मिश्रण की मात्रा को टकराव आवृत्ति (Z) के रूप में जाना जाता है। द्विआधारी टकराव के मामले में टकराव की आवृत्ति का मान 1025 से 1028 के क्रम में बहुत अधिक है। प्रत्येक टक्कर रासायनिक परिवर्तन नहीं लाती। जो टकराव वास्तव में उत्पाद उत्पन्न करते हैं वे प्रभावी टकराव होते हैं। रासायनिक परिवर्तन लाने वाली प्रभावी टक्करें कुल टक्करों की तुलना में कम होती हैं। जो टकराव किसी उत्पाद का निर्माण नहीं करते हैं वे अप्रभावी प्रत्यास्थ टकराव होते हैं यानी अणु बस टकराते हैं और अलग-अलग वेग से अलग-अलग दिशाओं में फैल जाते हैं।

सक्रियण ऊर्जा

रासायनिक अभिक्रिया को घटित करने के लिए टकराने वाले अणुओं के पास ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा होनी चाहिए, जिसे देहलीज ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। इसे E से प्रदर्शित करते हैं। किसी अभिक्रिया में भाग लेने के लिए अभिक्रियाशील अणुओं द्वारा आवश्यक ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा को सक्रियण ऊर्जा कहा जाता है।

सक्रियण ऊर्जा = दहलीज ऊर्जा - अभिक्रियाशील अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा

उच्च ऊर्जा अणुओं के बीच टकराव प्रतिकर्षण की शक्ति पर काबू पा लेता है और एक अस्थिर अणु समूह का निर्माण करता है, जिसे सक्रिय परिसर कहा जाता है। सक्रिय कॉम्प्लेक्स का जीवन काल बहुत छोटा है। इस प्रकार सक्रिय कॉम्प्लेक्स या तो फिर से अभिकारकों या नए पदार्थों, यानी उत्पादों में टूट जाता है। एक्ज़ोथर्मिक और एंडथर्मिक अभिक्रिया के दौरान ऊर्जा परिवर्तन बनाम अभिक्रिया की प्रगति दिखाई गई है

सक्रियण ऊर्जा की इकाई

इसकी इकाई किलोजूल प्रति मोल (kJ/mol) या किलोकैलरी प्रति मोल (kcal/mol) है।

अभ्यास प्रश्न

  • सक्रियण ऊर्जा से तात्पर्य है ?
  • सक्रियण ऊर्जा को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं ?