वृहदाण्विक कोलाइड: Difference between revisions
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स्टार्च, सेलुलोस, प्रोटीन आदि प्राकृतिक बृहदाणु हैं एवं पॉलीथीन, नायलॉन, संश्लेषित रबर आदि कृतिम बृहदाणु हैं। | स्टार्च, सेलुलोस, प्रोटीन आदि प्राकृतिक बृहदाणु हैं एवं पॉलीथीन, नायलॉन, संश्लेषित रबर आदि कृतिम बृहदाणु हैं। | ||
== वृहदाण्विक कोलाइड, बहुआण्विक कोलाइड में अंतर == | |||
वृहदाण्विक कोलाइड, बहुआण्विक कोलाइड में निम्न लिखित अंतर है। | |||
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!वृहदाण्विक कोलाइड | |||
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|इनमें अधिक अणुभार वाले कण कोलॉइडी कणों के रूप में उपस्थित होते हैं। | |||
|जब कोलॉइडी कण एकत्रित होकर पुंज जैसी स्पीशीज बना लेते हैं जिनमें कणों का आकार कोलॉइडी सीमा (व्यास < 1nm) में होता है। इस प्रकार प्राप्त स्पीशीज बहुआण्विक कोलॉइड कहलाती है। | |||
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|बृहदाणविक कोलॉइड उचित विलायकों में ऐसे विलयन बनाते हैं जिनमे बृहदाणुओं का आकार कोलॉइड सीमा में होता है। | |||
|इनमें कण संयुक्त होकर कोलॉइडी आकार के कण बनाते हैं। | |||
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|उदाहरण | |||
|स्टार्च, सेलुलोस, प्रोटीन, नायलॉन, संश्लेषित रबर आदि | |||
|सल्फर सॉल, गोल्ड सॉल । | |||
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==अभ्यास प्रश्न== | ==अभ्यास प्रश्न== | ||
*बहुआण्विक कोलाइड से आप क्या समझते है? | *बहुआण्विक कोलाइड से आप क्या समझते है? | ||
*द्रवस्नेही कोलॉइड और द्रव विरोधी कोलॉइड में क्या अन्तर है? | *द्रवस्नेही कोलॉइड और द्रव विरोधी कोलॉइड में क्या अन्तर है? | ||
*वृहदाण्विक कोलॉइड से आप क्या समझते हैं ? | *वृहदाण्विक कोलॉइड से आप क्या समझते हैं ? |
Revision as of 12:06, 1 April 2024
कोलॉइड वे पदार्थ हैं जो पदार्थ सरलता से जल में नहीं घुलते और घुलने पर समांगी विलयन नहीं बनाते। तथा जो फ़िल्टर पेपर से नहीं छनते कोलॉइड कहलाते हैं।
जैसे- दूध, दही, गोंद, बादल आदि।
समांगी और विषमांगी मिश्रणों के गुणों वाला मिश्रण, जिसमें कण समान रूप से विलयन में बिखरे होते हैं, कोलाइडी विलयन कहलाता है। इन्हें कोलाइडल निलंबन भी कहा जाता है। निलंबन के कणों की तुलना में कोलाइडी विलयन के कणों का आकार छोटा होने के कारण यह एक समांगी मिश्रण प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में यह एक विषमांगी मिश्रण है। कोलाइड शब्द किसी विशेष वर्ग के पदार्थों पर लागू नहीं होता है, लेकिन ठोस, द्रव और गैस जैसे पदार्थ की अवस्था है। किसी भी पदार्थ को उपयुक्त साधनों द्वारा कोलॉइडी अवस्था में लाया जा सकता है। इसे वास्तविक विलयन और निलंबन के बीच की मध्यवर्ती अवस्था माना जाता है। एक प्रणाली को कोलाइडल अवस्था में कहा जाता है यदि एक या एक से अधिक घटकों के कणों का आकार 10 एंग्स्ट्रॉम से 103 एंग्स्ट्रॉम होता है। कोलॉइड के कण विलयन में समान रूप से फैले होते हैं। कोलॉइड कणों के छोटे आकार के कारण हम इसे साधारण आँखों से नहीं देख सकते। लेकिन ये कण प्रकाश की किरण को आसानी से फैला देते हैं। इनके कणों का आकार निलंबन के कणों से छोटा होने के कारण यह मिश्रण समांगी प्रतीत होता है लेकिन वास्तविकता में विलयन विषमांगी मिश्रण है जैसे दूध।
नमक जल में क्रिस्टलाभ की तरह, जबकि अल्कोहल में कोलॉइड की तरह व्यवहार करता है।
कोलॉइड के गुण
- यह एक विषमांगी मिश्रण है।
- कोलॉइड के कणों का आकार इतना छोटा होता है की ये पृथक रूप से आँखों से नहीं देखे जा सकते।
- ये इतने बड़े होते हैं की प्रकाश की किरण को फैलाते हैं तथा उसके मार्ग को दृश्य बनाते हैं।
- जब इन्हे शांत छोड़ दिया जाता है तब ये कण तल पर बैठते हैं अर्थात ये स्थाई होते हैं।
- ये छनान विधि द्वारा मिश्रण से पृथक नहीं किये जा सकते। किन्तु एक विशेष विधि अपकेंद्रीकरण तकनीक द्वारा पृथक किये जा सकते हैं।
कोलॉइडों का वर्गीकरण
कोलॉइडों को निम्न मापदंडो के आधार पर वर्गीकृत किया गया है -
- परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था।
- परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्यक्रिया की प्रकृति।
- परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों का प्रकार।
परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों के आधार पर वर्गीकरण
परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों के प्रकार के आधार पर कोलॉइड को बहुआणविक कोलॉइड, बृहदाणविक कोलॉइड, सहचारी कोलॉइड में वर्गीकृत किया गया है।
वृहदाण्विक कोलाइड
इनमें अधिक अणुभार वाले कण कोलॉइडी कणों के रूप में उपस्थित होते हैं। बृहदाणविक कोलॉइड उचित विलायकों में ऐसे विलयन बनाते हैं जिनमे बृहदाणुओं का आकार कोलॉइड सीमा में होता है।
उदाहरण
स्टार्च, सेलुलोस, प्रोटीन आदि प्राकृतिक बृहदाणु हैं एवं पॉलीथीन, नायलॉन, संश्लेषित रबर आदि कृतिम बृहदाणु हैं।
वृहदाण्विक कोलाइड, बहुआण्विक कोलाइड में अंतर
वृहदाण्विक कोलाइड, बहुआण्विक कोलाइड में निम्न लिखित अंतर है।
वृहदाण्विक कोलाइड | बहुआण्विक कोलाइड | |
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1. | इनमें अधिक अणुभार वाले कण कोलॉइडी कणों के रूप में उपस्थित होते हैं। | जब कोलॉइडी कण एकत्रित होकर पुंज जैसी स्पीशीज बना लेते हैं जिनमें कणों का आकार कोलॉइडी सीमा (व्यास < 1nm) में होता है। इस प्रकार प्राप्त स्पीशीज बहुआण्विक कोलॉइड कहलाती है। |
2. | बृहदाणविक कोलॉइड उचित विलायकों में ऐसे विलयन बनाते हैं जिनमे बृहदाणुओं का आकार कोलॉइड सीमा में होता है। | इनमें कण संयुक्त होकर कोलॉइडी आकार के कण बनाते हैं। |
उदाहरण | स्टार्च, सेलुलोस, प्रोटीन, नायलॉन, संश्लेषित रबर आदि | सल्फर सॉल, गोल्ड सॉल । |
अभ्यास प्रश्न
- बहुआण्विक कोलाइड से आप क्या समझते है?
- द्रवस्नेही कोलॉइड और द्रव विरोधी कोलॉइड में क्या अन्तर है?
- वृहदाण्विक कोलॉइड से आप क्या समझते हैं ?