परमाणु त्रिज्या: Difference between revisions
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किसी अणु में उपस्थित दो समान परमाणुओं के केंद्रकों के मध्य के अंतर के आधे को परमाणु त्रिज्या कहा जाता है। किसी परमाणु के बाह्यतम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रान और नाभिक के बीच की दूरी के अंतर को परमाणु त्रिज्या कहते हैं। प्रायः परमाणु त्रिज्या आवर्त में बायें से दायें की ओर घटतीे हैं। आवर्त में लीथियम की परमाणु त्रिज्या सबसे अधिक और फ्लोरीन की परमाणु त्रिज्या सबसे कम होती है। परमाणु त्रिज्या को नैनोमीटर (10<sup>-9</sup> मीटर) में मापा जाता है। किसी एकल परमाणु की त्रिज्या ज्ञात करना सम्भव नहीं है। क्योंकि ये या तो अणुओं के रूप या परमाणुओं के समूह के रूप में पाए जाते हैं। | किसी [[अणु]] में उपस्थित दो समान परमाणुओं के केंद्रकों के मध्य के अंतर के आधे को परमाणु त्रिज्या कहा जाता है। किसी [[परमाणु]] के बाह्यतम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रान और [[नाभिक]] के बीच की दूरी के अंतर को परमाणु त्रिज्या कहते हैं। प्रायः परमाणु त्रिज्या आवर्त में बायें से दायें की ओर घटतीे हैं। आवर्त में लीथियम की परमाणु त्रिज्या सबसे अधिक और फ्लोरीन की परमाणु त्रिज्या सबसे कम होती है। परमाणु त्रिज्या को नैनोमीटर (10<sup>-9</sup> मीटर) में मापा जाता है। किसी एकल परमाणु की त्रिज्या ज्ञात करना सम्भव नहीं है। क्योंकि ये या तो अणुओं के रूप या परमाणुओं के समूह के रूप में पाए जाते हैं। | ||
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आवर्त में बायें से दायें की ओर परमाणु त्रिज्या घटतीे जाती है। | आवर्त में बायें से दायें की ओर परमाणु त्रिज्या घटतीे जाती है। | ||
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वर्ग में बायें से दायें की ओर परमाणु त्रिज्या घटतीे जाती है।<blockquote>आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है और जब हम किसी वर्ग में नीचे की और जाते हैं तो यह बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आवर्त में संयोजी इलेक्ट्रॉन सबसे बाहरी शेल में होते हैं। इसी अवधि में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु क्रमांक बढ़ता है जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है। आकर्षण बल में वृद्धि से तत्वों की परमाणु त्रिज्या कम हो जाती है। | वर्ग में बायें से दायें की ओर परमाणु त्रिज्या घटतीे जाती है।<blockquote>आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है और जब हम किसी वर्ग में नीचे की और जाते हैं तो यह बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आवर्त में संयोजी इलेक्ट्रॉन सबसे बाहरी शेल में होते हैं। इसी अवधि में बाएँ से दाएँ जाने पर [[परमाणु क्रमांक]] बढ़ता है जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है। आकर्षण बल में वृद्धि से तत्वों की परमाणु त्रिज्या कम हो जाती है। | ||
जैसा की आप जानते है कि वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है क्योकी नीचे जाने पर एक कोश बढ़ता जाता है जिससे नाभिक तथा वाह्य कोश की दूरी बढ़ती जाती है जिससे नाभिक का आवेश बढ़ जाने के बाद भी परमाणु का आकार बढ़ जाता है। | जैसा की आप जानते है कि वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है क्योकी नीचे जाने पर एक कोश बढ़ता जाता है जिससे नाभिक तथा वाह्य कोश की दूरी बढ़ती जाती है जिससे नाभिक का [[आवेश]] बढ़ जाने के बाद भी परमाणु का आकार बढ़ जाता है। | ||
आवर्त में बाएं से दाएं तरफ जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती जाती है क्योकी नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का आकर घटता जाता है। </blockquote>मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ कमियाँ होने के कारण उनमे सुधार की आवश्यकता महसूस हुई। मेंडलीफ की सारणी में कई सुधार किये गए जिसमे एक नए वर्ग शून्य का जोड़ा जाना जिसमे निष्क्रिय गैसों को रखा गया है आदि हैं। सारणी के विकास में राग,वर्नर, बोहर, बरी आदि वैज्ञानिकों ने अपना योगदान किया और आधुनिक आवर्त सारणी का निर्माण हुआ। आधुनिक आवर्त सारणी से अल्फ्रेड वर्नर ने आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप का विकास किया। सन 1952 में कोस्टा रिका के वैज्ञानिक गिल चावेरी ने आवर्त सारणी का एक नया रूप प्रस्तुत किया जो तत्वों के इलेक्ट्रानिक संरचना पर आधारित था। | आवर्त में बाएं से दाएं तरफ जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती जाती है क्योकी नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का आकर घटता जाता है। </blockquote>मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ कमियाँ होने के कारण उनमे सुधार की आवश्यकता महसूस हुई। मेंडलीफ की सारणी में कई सुधार किये गए जिसमे एक नए वर्ग शून्य का जोड़ा जाना जिसमे निष्क्रिय गैसों को रखा गया है आदि हैं। सारणी के विकास में राग,वर्नर, बोहर, बरी आदि वैज्ञानिकों ने अपना योगदान किया और आधुनिक आवर्त सारणी का निर्माण हुआ। आधुनिक आवर्त सारणी से अल्फ्रेड वर्नर ने आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप का विकास किया। सन 1952 में कोस्टा रिका के वैज्ञानिक गिल चावेरी ने आवर्त सारणी का एक नया रूप प्रस्तुत किया जो तत्वों के इलेक्ट्रानिक संरचना पर आधारित था। |
Revision as of 10:41, 25 July 2023
किसी अणु में उपस्थित दो समान परमाणुओं के केंद्रकों के मध्य के अंतर के आधे को परमाणु त्रिज्या कहा जाता है। किसी परमाणु के बाह्यतम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रान और नाभिक के बीच की दूरी के अंतर को परमाणु त्रिज्या कहते हैं। प्रायः परमाणु त्रिज्या आवर्त में बायें से दायें की ओर घटतीे हैं। आवर्त में लीथियम की परमाणु त्रिज्या सबसे अधिक और फ्लोरीन की परमाणु त्रिज्या सबसे कम होती है। परमाणु त्रिज्या को नैनोमीटर (10-9 मीटर) में मापा जाता है। किसी एकल परमाणु की त्रिज्या ज्ञात करना सम्भव नहीं है। क्योंकि ये या तो अणुओं के रूप या परमाणुओं के समूह के रूप में पाए जाते हैं।
Li > Be > B > C > N > O > F > Ne > Na > K > Ca
आवर्त में बायें से दायें की ओर परमाणु त्रिज्या घटतीे जाती है।
Li < Na < K < Rb < Cs < Fr
वर्ग में बायें से दायें की ओर परमाणु त्रिज्या घटतीे जाती है।
आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है और जब हम किसी वर्ग में नीचे की और जाते हैं तो यह बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आवर्त में संयोजी इलेक्ट्रॉन सबसे बाहरी शेल में होते हैं। इसी अवधि में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु क्रमांक बढ़ता है जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है। आकर्षण बल में वृद्धि से तत्वों की परमाणु त्रिज्या कम हो जाती है।
जैसा की आप जानते है कि वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है क्योकी नीचे जाने पर एक कोश बढ़ता जाता है जिससे नाभिक तथा वाह्य कोश की दूरी बढ़ती जाती है जिससे नाभिक का आवेश बढ़ जाने के बाद भी परमाणु का आकार बढ़ जाता है।
आवर्त में बाएं से दाएं तरफ जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती जाती है क्योकी नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का आकर घटता जाता है।
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ कमियाँ होने के कारण उनमे सुधार की आवश्यकता महसूस हुई। मेंडलीफ की सारणी में कई सुधार किये गए जिसमे एक नए वर्ग शून्य का जोड़ा जाना जिसमे निष्क्रिय गैसों को रखा गया है आदि हैं। सारणी के विकास में राग,वर्नर, बोहर, बरी आदि वैज्ञानिकों ने अपना योगदान किया और आधुनिक आवर्त सारणी का निर्माण हुआ। आधुनिक आवर्त सारणी से अल्फ्रेड वर्नर ने आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप का विकास किया। सन 1952 में कोस्टा रिका के वैज्ञानिक गिल चावेरी ने आवर्त सारणी का एक नया रूप प्रस्तुत किया जो तत्वों के इलेक्ट्रानिक संरचना पर आधारित था।
इस आवर्त सारणी में तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के आधार पर रखा गया है।
इनमे दो प्रकार की पंकितयाँ होती हैं:
क्षैतिज पंक्ति को आवर्त कहा गया है।
ऊर्ध्वाधर पंक्ति को वर्ग कहा गया है।
अभ्यास प्रश्न
- परमाणु त्रिज्या क्या है ?
- वर्ग में परमाणु त्रिज्या ऊपर से नीचे की तरफ घटती जाती है क्यों ?
- आवर्त में बाएं से दाएं की तरफ जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती जाती है क्यों ?