ऐम्पियर के परिपथीय नियम: Difference between revisions
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Revision as of 13:04, 29 July 2023
Amperes circuital law
ऐम्पियर के परिपथीय नियम विद्युत चुंबकत्व में एक मौलिक सिद्धांत है जो एक बंद लूप के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र को लूप से गुजरने वाली विद्युत धारा से जोड़ता है। इसे फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी आंद्रे-मैरी एम्पीयर द्वारा तैयार किया गया था।
महत्वपूर्ण अवधारणाएं:
चुंबकीय क्षेत्र (बी): चुंबकीय क्षेत्र एक चुंबक या करंट ले जाने वाले कंडक्टर के आसपास का क्षेत्र है जहां चुंबकीय बलों का अनुभव होता है। यह एक अदृश्य "बल क्षेत्र" की तरह है जो चुंबकीय वस्तुओं को प्रभावित कर सकता है।
बंद लूप: एक बंद लूप एक पथ है जो एक ही बिंदु पर शुरू और समाप्त होता है। इसे एक बंद आकार, जैसे एक वृत्त या किसी अन्य बंद वक्र के रूप में चित्रित करें।
विद्युत धारा (I): विद्युत धारा किसी चालक, जैसे तार में विद्युत आवेशों (आमतौर पर इलेक्ट्रॉनों) का प्रवाह है। इसे एम्पीयर (A) में मापा जाता है।
एम्पीयर का सर्किटल नियम कहता है:
एक बंद लूप के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र (बी) लूप से गुजरने वाली विद्युत धारा (आई) के सीधे आनुपातिक होता है।
गणितीय प्रतिनिधित्व:
एम्पीयर के परिपथीय नियम को गणितीय रूप से इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:
जहाँ:
एक बंद लूप इंटीग्रल का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका अर्थ है बंद लूप के साथ चुंबकीय क्षेत्र योगदान का योग।
लूप पर किसी भी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र वेक्टर है।
लूप के साथ एक अत्यंत छोटा वेक्टर तत्व है।
(उच्चारण म्यू-शून्य) मुक्त स्थान की पारगम्यता है, एक स्थिर मान (4π×10−7 T m/A4π×10−7T m/A) जो m से संबंधित है