जठर ग्रंथि: Difference between revisions

From Vidyalayawiki

Listen

No edit summary
No edit summary
Line 6: Line 6:
गैस्ट्रिक ग्रंथियाँ तीन प्रकार की होती हैं -
गैस्ट्रिक ग्रंथियाँ तीन प्रकार की होती हैं -


हृदय ग्रंथियाँ  - हृदय गैस्ट्रिक ग्रंथियां पेट के शुरुआती बिंदु पर स्थित होती हैं।मुख्यतः हृदय छिद्र के निकट।इनकी संख्या बहुत कम होती है और ये म्यूकोसा में उथले रूप से स्थित होते हैं।
'''हृदय ग्रंथियाँ''' - हृदय गैस्ट्रिक ग्रंथियां पेट के शुरुआती बिंदु पर स्थित होती हैं।मुख्यतः हृदय छिद्र के निकट।इनकी संख्या बहुत कम होती है और ये म्यूकोसा में उथले रूप से स्थित होते हैं।ये सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं। एक सरल ट्यूबलर और शॉर्ट डक्टेड है, और दूसरा यौगिक रेसमोस है। हृदय ग्रंथियां बलगम का स्राव करती हैं, जो पेट पर परत चढ़ाने में मदद करती है और इसे एसिड और एंजाइमों से स्व-पाचन से बचाती है।
 
'''फंडिक ग्रंथियां''' - स्तनधारी पेट द्वारा उत्पादित अधिकांश गैस्ट्रिक द्रव मुख्य रूप से पेट के शरीर के म्यूकोसा में फंडिक ग्रंथियों द्वारा स्रावित होता है।यह संभवतः सीधी, समानांतर, ट्यूब जैसी संरचनाएं हैं।इन ग्रंथियों में श्लेष्म कोशिकाएं, मुख्य कोशिकाएं और पार्श्विका कोशिकाएं होती हैं जो क्रमशः बलगम, पेप्सिनोजन और हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव करती हैं।पाचन तंत्र में इसका मुख्य कार्य पाचन एंजाइमों का उत्पादन करना है।

Revision as of 15:49, 12 September 2023

जठर ग्रंथि

जठर ग्रंथि अथवा गैस्ट्रिक ग्रंथियां , बहिस्त्रावी ग्रंथियाँ ( एक्सोक्राइन ग्रंथियां ) हैं ,जो अमाशय की परत में स्थित होती हैं जो पाचन की प्रक्रिया में एक आवश्यक भूमिका निभाती हैं।यह अमाशय की गैस्ट्रिक म्यूकोसा झिल्ली के भीतर गैस्ट्रिक गड्ढों के नीचे स्थित होता है।ये ग्रंथियाँ पाचन तंत्र की मूल स्रावी इकाई हैं।

गैस्ट्रिक ग्रंथियों के प्रकार

गैस्ट्रिक ग्रंथियाँ तीन प्रकार की होती हैं -

हृदय ग्रंथियाँ - हृदय गैस्ट्रिक ग्रंथियां पेट के शुरुआती बिंदु पर स्थित होती हैं।मुख्यतः हृदय छिद्र के निकट।इनकी संख्या बहुत कम होती है और ये म्यूकोसा में उथले रूप से स्थित होते हैं।ये सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं। एक सरल ट्यूबलर और शॉर्ट डक्टेड है, और दूसरा यौगिक रेसमोस है। हृदय ग्रंथियां बलगम का स्राव करती हैं, जो पेट पर परत चढ़ाने में मदद करती है और इसे एसिड और एंजाइमों से स्व-पाचन से बचाती है।

फंडिक ग्रंथियां - स्तनधारी पेट द्वारा उत्पादित अधिकांश गैस्ट्रिक द्रव मुख्य रूप से पेट के शरीर के म्यूकोसा में फंडिक ग्रंथियों द्वारा स्रावित होता है।यह संभवतः सीधी, समानांतर, ट्यूब जैसी संरचनाएं हैं।इन ग्रंथियों में श्लेष्म कोशिकाएं, मुख्य कोशिकाएं और पार्श्विका कोशिकाएं होती हैं जो क्रमशः बलगम, पेप्सिनोजन और हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव करती हैं।पाचन तंत्र में इसका मुख्य कार्य पाचन एंजाइमों का उत्पादन करना है।