बंधन आणविक कक्षक और प्रतिबंध आणविक कक्षक: Difference between revisions

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== आणविक कक्षक ==
== आणविक कक्षक ==
परमाणु कक्षकों के अतिव्यापन द्वारा निर्मित आणविक कक्षक को आबंधन आणविक कक्षक कहा जाता है। आबंधित आणविक कक्षकों में, इलेक्ट्रॉनों का घनत्व आबंधित परमाणु के नाभिकों के बीच होता है। आणविक कक्षक सिद्धांत एफ. हुण्ड तथा आर. एस. मुलकिन ने सन 1932 में विकसित किया गया। तरंग यांत्रिकी के अनुसार परमाणु कक्षक को एक तरंग फलन के रूप में दर्शाया जा सकता है जोकि तरंग आयाम को प्रदर्शित करता है और इसे श्रोडिंगर समीकरण को हल करके ज्ञात किया जा सकता है। लेकिन एक से अधिक इलेक्ट्रॉन निकाय के लिए  श्रोडिंगर समीकरण को हल नहीं किया जा सकता अतः आणविक कक्षक, को श्रोडिंगर समीकरण का उपयोग करके ज्ञात नहीं किया जा सकता, इसे एक विधि जिसे परमाणु कक्षकों का रैखिक संयोग कहते हैं।  
[[परमाणु]] कक्षकों के [[अतिव्यापन के प्रकार तथा सहसंयोजी आबंध की प्रकृति|अतिव्यापन]] द्वारा निर्मित आणविक कक्षक को आबंधन आणविक कक्षक कहा जाता है। आबंधित आणविक कक्षकों में, इलेक्ट्रॉनों का घनत्व आबंधित परमाणु के नाभिकों के बीच होता है। आणविक कक्षक सिद्धांत एफ. हुण्ड तथा आर. एस. मुलकिन ने सन 1932 में विकसित किया गया। तरंग यांत्रिकी के अनुसार परमाणु कक्षक को एक तरंग फलन के रूप में दर्शाया जा सकता है जोकि तरंग आयाम को प्रदर्शित करता है और इसे श्रोडिंगर समीकरण को हल करके ज्ञात किया जा सकता है। लेकिन एक से अधिक [[इलेक्ट्रॉन]] निकाय के लिए  श्रोडिंगर समीकरण को हल नहीं किया जा सकता अतः आणविक कक्षक, को श्रोडिंगर समीकरण का उपयोग करके ज्ञात नहीं किया जा सकता, इसे एक विधि जिसे परमाणु कक्षकों का रैखिक संयोग कहते हैं।  


समनाभिकीय द्विपरमाणुक अणु पर परमाणु कक्षकों का रैखिक संयोग नियम लगाने पर: इस सिद्धांत के मुख्य विषेशताएँ निम्न लिखित हैं :
समनाभिकीय द्विपरमाणुक अणु पर परमाणु कक्षकों का रैखिक संयोग नियम लगाने पर: इस सिद्धांत के मुख्य विषेशताएँ निम्न लिखित हैं :
* जैसे परमाणु में इलेक्ट्रान विभन्न परमाणु कक्षकों में उपस्थित रहते हैं, उसी प्रकार अणु में भी इलेक्ट्रान विभिन्न आणविक कक्षकों में उपस्थित रहते हैं।
* जैसे [[परमाणु]] में इलेक्ट्रॉन विभन्न परमाणु कक्षकों में उपस्थित रहते हैं, उसी प्रकार अणु में भी इलेक्ट्रॉन विभिन्न आणविक कक्षकों में उपस्थित रहते हैं।
* आणविक कक्षक उपयुक्त सममित परमाणु कक्षकों के संयोग से बनते हैं।
* आणविक कक्षक उपयुक्त सममित परमाणु कक्षकों के संयोग से बनते हैं।
* परमाणु कक्षक में कोई इलेक्ट्रान केवल एक ही नाभिक के प्रभाव में रहते हैं, जबकि आणविक कक्षक में उपस्थित इलेक्ट्रान दो या दो से अधिक नाभिकों द्वारा प्रभावित होता है।
* परमाणु कक्षक में कोई इलेक्ट्रॉन केवल एक ही नाभिक के प्रभाव में रहते हैं, जबकि आणविक कक्षक में उपस्थित इलेक्ट्रॉन दो या दो से अधिक नाभिकों द्वारा प्रभावित होता है।
* आणविक कक्षक बहुकेंद्रीय होता है।
* आणविक कक्षक बहुकेंद्रीय होता है।
* दो परमाणु कक्षकों को मिलाने से आणविक कक्षक प्राप्त होता है।
* दो परमाणु कक्षकों को मिलाने से आणविक कक्षक प्राप्त होता है।
* आबंधन आणविक कक्षक की ऊर्जा कम होती है दो प्रकार के होते हैं: अतः उसका स्थायित्व संगत प्रतिआबंधन आणविक कक्षक से अधिक होता है।
* आबंधन आणविक कक्षक की ऊर्जा कम होती है दो प्रकार के होते हैं: अतः उसका स्थायित्व संगत प्रतिआबंधन आणविक कक्षक से अधिक होता है।
* परमाणु कक्षकों की भाँति आणविक कक्षकों को भी पाउली सिद्धांत तथा हुण्ड के नियम, ऑफ़बाऊ नियम के अनुसार भरा जाता है।  
* परमाणु कक्षकों की भाँति आणविक कक्षकों को भी पाउली सिद्धांत तथा हुण्ड के नियम, ऑफ़बाऊ नियम के अनुसार भरा जाता है।  
* किसी अणु में नाभिकों के समूह के चारों ओर इलेक्ट्रान प्रायिकता वितरण आणविक कक्षक द्वारा दिया जाता है।
* किसी [[अणु]] में नाभिकों के समूह के चारों ओर इलेक्ट्रॉन प्रायिकता वितरण आणविक कक्षक द्वारा दिया जाता है।


== आणविक कक्षक के प्रकार ==
== आणविक कक्षक के प्रकार ==
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=== आबंधन आणविक कक्षक ===
=== आबंधन आणविक कक्षक ===
माना दो हाइड्रोजन परमाणु A तथा B से बना है जोकि दोनों हाइड्रोजन परमाणु ही हैं। प्रत्येक हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था में उसके 1s कक्षक में एक इलेक्ट्रान देता है। इन परमाणु कक्षकों को हम तरंग फलन द्वारा प्रदर्शित करते हैं। गणितीय रूप से आणविक कक्षकों को परमाणु कक्षकों के रैखिक संयोग द्वारा परमाणु कक्षकों के तरंग फलनों तथा के योग या अंतर् द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।<blockquote>इस प्रकार दो आणविक कक्षक  तथा  प्राप्त होते हैं।
माना दो [[हाइड्रोजन]] परमाणु A तथा B से बना है जोकि दोनों हाइड्रोजन परमाणु ही हैं। प्रत्येक हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था में उसके 1s कक्षक में एक इलेक्ट्रॉन देता है। इन परमाणु कक्षकों को हम तरंग फलन द्वारा प्रदर्शित करते हैं। गणितीय रूप से आणविक कक्षकों को परमाणु कक्षकों के रैखिक संयोग द्वारा परमाणु कक्षकों के तरंग फलनों तथा के योग या अंतर् द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।<blockquote>इस प्रकार दो आणविक कक्षक  तथा  प्राप्त होते हैं।


<math>\Psi MO = \Psi _A \mp \Psi _B</math>
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<math>\sigma = \Psi _A - \Psi _B</math></blockquote>
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  परमाणु कक्षकों के योग से बनने वाले आणविक कक्षक को आबंधन आणविक कक्षक <math>\sigma</math> कहते हैं।
  परमाणु कक्षकों के योग से बनने वाले आणविक कक्षक को आबंधन आणविक कक्षक <math>\sigma</math> कहते हैं।
आबंधन आणविक कक्षक के निर्माण में आबंधी परमाणुओं की दो इलेक्ट्रॉन तरंगे एक दुसरे को प्रबल करती रहती है अर्थ यह भी कहा जा सकता है कि इनके व्यतिकरण होता रहता है।
आबंधन आणविक कक्षक के निर्माण में आबंधी परमाणुओं की दो इलेक्ट्रॉन तरंगे एक दुसरे को प्रबल करती रहती है अर्थ यह भी कहा जा सकता है कि इनका [[व्यतिकरण]] होता रहता है।


=== प्रतिआबंधन आणविक कक्षक ===
=== प्रतिआबंधन आणविक कक्षक ===
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<math>\sigma = \Psi _A - \Psi _B</math> (प्रतिआबंधन आणविक कक्षक)
<math>\sigma = \Psi _A - \Psi _B</math> (प्रतिआबंधन आणविक कक्षक)


प्रतिआबंधन आणविक कक्षक में विनाशी व्यतिकरण होता है, प्रतिआबंधी आणविक कक्षक में नाभिकों के बीच उच्च प्रतिकर्षण होता है। आबंधी आणविक कक्षकों में उपस्थित इलेक्ट्रान नाभिकों को परस्पर बंधे रहता है अतः यह अणु को स्थायित्व प्रदान करता है अतः आणविक कक्षक की ऊर्जा प्रतिआबंधन आणविक कक्षक से अधिक होती है।   
प्रतिआबंधन [[आणविक कक्षक सिद्धांत|आणविक कक्षक]] में विनाशी व्यतिकरण होता है, प्रतिआबंधी आणविक कक्षक में नाभिकों के बीच उच्च प्रतिकर्षण होता है। आबंधी आणविक कक्षकों में उपस्थित इलेक्ट्रॉन नाभिकों को परस्पर बंधे रहता है अतः यह अणु को स्थायित्व प्रदान करता है अतः आणविक कक्षक की ऊर्जा प्रतिआबंधन आणविक कक्षक से अधिक होती है।   


== अभ्यास प्रश्न ==
== अभ्यास प्रश्न ==
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*आबंधन आण्विक कक्षक, प्रतिआबंधन आणविक कक्षक से किस प्रकार भिन्न है ?
*आबंधन आण्विक कक्षक, प्रतिआबंधन आणविक कक्षक से किस प्रकार भिन्न है ?


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Latest revision as of 23:38, 12 May 2024


आणविक कक्षक

परमाणु कक्षकों के अतिव्यापन द्वारा निर्मित आणविक कक्षक को आबंधन आणविक कक्षक कहा जाता है। आबंधित आणविक कक्षकों में, इलेक्ट्रॉनों का घनत्व आबंधित परमाणु के नाभिकों के बीच होता है। आणविक कक्षक सिद्धांत एफ. हुण्ड तथा आर. एस. मुलकिन ने सन 1932 में विकसित किया गया। तरंग यांत्रिकी के अनुसार परमाणु कक्षक को एक तरंग फलन के रूप में दर्शाया जा सकता है जोकि तरंग आयाम को प्रदर्शित करता है और इसे श्रोडिंगर समीकरण को हल करके ज्ञात किया जा सकता है। लेकिन एक से अधिक इलेक्ट्रॉन निकाय के लिए  श्रोडिंगर समीकरण को हल नहीं किया जा सकता अतः आणविक कक्षक, को श्रोडिंगर समीकरण का उपयोग करके ज्ञात नहीं किया जा सकता, इसे एक विधि जिसे परमाणु कक्षकों का रैखिक संयोग कहते हैं।

समनाभिकीय द्विपरमाणुक अणु पर परमाणु कक्षकों का रैखिक संयोग नियम लगाने पर: इस सिद्धांत के मुख्य विषेशताएँ निम्न लिखित हैं :

  • जैसे परमाणु में इलेक्ट्रॉन विभन्न परमाणु कक्षकों में उपस्थित रहते हैं, उसी प्रकार अणु में भी इलेक्ट्रॉन विभिन्न आणविक कक्षकों में उपस्थित रहते हैं।
  • आणविक कक्षक उपयुक्त सममित परमाणु कक्षकों के संयोग से बनते हैं।
  • परमाणु कक्षक में कोई इलेक्ट्रॉन केवल एक ही नाभिक के प्रभाव में रहते हैं, जबकि आणविक कक्षक में उपस्थित इलेक्ट्रॉन दो या दो से अधिक नाभिकों द्वारा प्रभावित होता है।
  • आणविक कक्षक बहुकेंद्रीय होता है।
  • दो परमाणु कक्षकों को मिलाने से आणविक कक्षक प्राप्त होता है।
  • आबंधन आणविक कक्षक की ऊर्जा कम होती है दो प्रकार के होते हैं: अतः उसका स्थायित्व संगत प्रतिआबंधन आणविक कक्षक से अधिक होता है।
  • परमाणु कक्षकों की भाँति आणविक कक्षकों को भी पाउली सिद्धांत तथा हुण्ड के नियम, ऑफ़बाऊ नियम के अनुसार भरा जाता है।  
  • किसी अणु में नाभिकों के समूह के चारों ओर इलेक्ट्रॉन प्रायिकता वितरण आणविक कक्षक द्वारा दिया जाता है।

आणविक कक्षक के प्रकार

आणविक कक्षक दो प्रकार के होते हैं:

  1. आबंधन आणविक कक्षक
  2. प्रतिआबंधन आणविक कक्षक

आबंधन आणविक कक्षक

माना दो हाइड्रोजन परमाणु A तथा B से बना है जोकि दोनों हाइड्रोजन परमाणु ही हैं। प्रत्येक हाइड्रोजन परमाणु की मूल अवस्था में उसके 1s कक्षक में एक इलेक्ट्रॉन देता है। इन परमाणु कक्षकों को हम तरंग फलन द्वारा प्रदर्शित करते हैं। गणितीय रूप से आणविक कक्षकों को परमाणु कक्षकों के रैखिक संयोग द्वारा परमाणु कक्षकों के तरंग फलनों तथा के योग या अंतर् द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।

इस प्रकार दो आणविक कक्षक  तथा  प्राप्त होते हैं।

इस प्रकार दो आणविक कक्षक तथा प्राप्त होते हैं।

परमाणु कक्षकों के योग से बनने वाले आणविक कक्षक को आबंधन आणविक कक्षक  कहते हैं।

आबंधन आणविक कक्षक के निर्माण में आबंधी परमाणुओं की दो इलेक्ट्रॉन तरंगे एक दुसरे को प्रबल करती रहती है अर्थ यह भी कहा जा सकता है कि इनका व्यतिकरण होता रहता है।

प्रतिआबंधन आणविक कक्षक

परमाणु कक्षकों के अंतर से बनने वाले आणविक कक्षक को प्रतिआबंधन आणविक कक्षक  कहते हैं।

इस प्रकार दो आणविक कक्षक तथा प्राप्त होते हैं।

(आबंधन आणविक कक्षक)

(प्रतिआबंधन आणविक कक्षक)

प्रतिआबंधन आणविक कक्षक में विनाशी व्यतिकरण होता है, प्रतिआबंधी आणविक कक्षक में नाभिकों के बीच उच्च प्रतिकर्षण होता है। आबंधी आणविक कक्षकों में उपस्थित इलेक्ट्रॉन नाभिकों को परस्पर बंधे रहता है अतः यह अणु को स्थायित्व प्रदान करता है अतः आणविक कक्षक की ऊर्जा प्रतिआबंधन आणविक कक्षक से अधिक होती है। 

अभ्यास प्रश्न

  • आणविक कक्षक सिद्धांत क्या है? समझाइए।
  • आबंधन आण्विक कक्षक को किससे प्रदर्शित करते हैं?
  • आबंधन आण्विक कक्षक, प्रतिआबंधन आणविक कक्षक से किस प्रकार भिन्न है ?