कोलॉइडों का वर्गीकरण: Difference between revisions
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:पृष्ठ रसायन]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:अकार्बनिक रसायन]] | [[Category:पृष्ठ रसायन]][[Category:रसायन विज्ञान]][[Category:कक्षा-12]][[Category:अकार्बनिक रसायन]] | ||
कोलॉइड वे पदार्थ हैं जो पदार्थ सरलता से जल में नहीं घुलते और घुलने पर समांगी विलयन नहीं बनाते। तथा जो फ़िल्टर पेपर से नहीं छनते कोलॉइड कहलाते हैं। | [[कोलॉइड]] वे [[पदार्थ]] हैं जो पदार्थ सरलता से जल में नहीं घुलते और घुलने पर समांगी विलयन नहीं बनाते। तथा जो फ़िल्टर पेपर से नहीं छनते कोलॉइड कहलाते हैं। | ||
जैसे- दूध, दही, गोंद, बादल आदि। | जैसे- दूध, दही, गोंद, बादल आदि। | ||
समांगी और विषमांगी मिश्रणों के गुणों वाला मिश्रण, जिसमें कण समान रूप से विलयन में बिखरे होते हैं, | समांगी और विषमांगी मिश्रणों के गुणों वाला मिश्रण, जिसमें कण समान रूप से विलयन में बिखरे होते हैं, कोलॉइडी विलयन कहलाता है। इन्हें कोलॉइडल [[निलंबन]] भी कहा जाता है। निलंबन के कणों की तुलना में कोलॉइडी विलयन के कणों का आकार छोटा होने के कारण यह एक समांगी मिश्रण प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में यह एक विषमांगी मिश्रण है। कोलॉइड शब्द किसी विशेष वर्ग के पदार्थों पर लागू नहीं होता है, लेकिन ठोस, द्रव और गैस जैसे [[पदार्थ की अवस्थाएं|पदार्थ की अवस्था]] है। किसी भी पदार्थ को उपयुक्त साधनों द्वारा कोलॉइडी अवस्था में लाया जा सकता है। इसे वास्तविक विलयन और निलंबन के बीच की मध्यवर्ती अवस्था माना जाता है। एक प्रणाली को कोलॉइडल अवस्था में कहा जाता है यदि एक या एक से अधिक घटकों के कणों का आकार 10 एंग्स्ट्रॉम से 10<sup>3</sup> एंग्स्ट्रॉम होता है। कोलॉइड के कण विलयन में समान रूप से फैले होते हैं। कोलॉइड कणों के छोटे आकार के कारण हम इसे साधारण आँखों से नहीं देख सकते। लेकिन ये कण प्रकाश की किरण को आसानी से फैला देते हैं। इनके कणों का आकार निलंबन के कणों से छोटा होने के कारण यह [[मिश्रण]] समांगी प्रतीत होता है लेकिन वास्तविकता में विलयन विषमांगी मिश्रण है जैसे दूध। | ||
नमक जल में क्रिस्टलाभ की तरह, जबकि अल्कोहल में कोलॉइड की तरह व्यवहार करता है। | नमक जल में क्रिस्टलाभ की तरह, जबकि अल्कोहल में कोलॉइड की तरह व्यवहार करता है। | ||
Line 75: | Line 75: | ||
==== द्रवरागी कोलॉइड ==== | ==== द्रवरागी कोलॉइड ==== | ||
ऐसे | ऐसे कोलॉइडल विलयन जिनमें परिक्षिप्त अवस्था में परिक्षेपण माध्यम के लिए काफी समानता होती है, अर्थात, वे कोलॉइडल विलयन, जिनमे परिक्षिप्त अवस्था और [[परिक्षेपण माध्यम]] आपस में एक साथ आसानी से मिलते हैं, द्रव स्नेही कोलॉइड कहलाते हैं। इन्हें इमल्सोइड्स के नाम से भी जाना जाता है। | ||
'''उदाहरण-''' जिलेटिन, प्रोटीन, स्टार्च आदि | '''उदाहरण-''' जिलेटिन, प्रोटीन, स्टार्च आदि | ||
द्रवरागी कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय | द्रवरागी कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे [[उत्क्रमणीय प्रक्रम|उत्क्रमणीय]] कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलॉइडल अवस्था में बदला जा सकता है। | ||
स्टार्च, गोंद, जिलेटिन आदि जैसे द्रवस्नेही | स्टार्च, गोंद, जिलेटिन आदि जैसे द्रवस्नेही कोलॉइड के कोलॉइडल विलयन को ठंड में या गर्म होने पर जल में घोलकर आसानी से तैयार किया जा सकता है। कोलॉइडल वैधुत अपघट्य जैसे साबुन और डाई सामग्री के कोलॉइडल विलयन भी इसी तरह तैयार किए जा सकते हैं। | ||
द्रवस्नेही कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस | द्रवस्नेही कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी [[वाष्पीकरण]] पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलॉइडल अवस्था में बदला जा सकता है। | ||
===द्रव स्नेही कोलॉइड की विशेषताएं=== | ===द्रव स्नेही कोलॉइड की विशेषताएं=== | ||
द्रव स्नेही कोलॉइड की विशेषताएं निम्न लिखित हैं: | द्रव स्नेही कोलॉइड की विशेषताएं निम्न लिखित हैं: | ||
Line 96: | Line 96: | ||
=== द्रवविरागी कोलॉइड === | === द्रवविरागी कोलॉइड === | ||
ऐसे | ऐसे कोलॉइडल विलयन जिनमें परिक्षिप्त अवस्था में परिक्षेपण माध्यम के लिए काफी असमानता होती है, अर्थात, वे कोलॉइडल विलयन, जिनमे परिक्षिप्त अवस्था और परिक्षेपण माध्यम आपस में एक साथ आसानी से नहीं मिलते हैं, द्रवविरागी कोलॉइड कहलाते हैं। इन्हें इमल्सोइड्स के नाम से भी जाना जाता है। 'द्रवविरागी कोलॉइड' और द्रव के बीच आकर्षण कम या ना के बराबर होता है। द्रवविरागी कोलॉइड' में विलायक के समान चिपचिपाहट होती है, द्रवविरागी कोलॉइड' थर्मोडायनामिक रूप से अस्थिर होते हैं। | ||
द्रवरागी कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस | द्रवरागी कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलॉइडल अवस्था में बदला जा सकता है। | ||
===द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं=== | ===द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं=== | ||
द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं निम्न लिखित हैं: | द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं निम्न लिखित हैं: |
Latest revision as of 21:48, 30 May 2024
कोलॉइड वे पदार्थ हैं जो पदार्थ सरलता से जल में नहीं घुलते और घुलने पर समांगी विलयन नहीं बनाते। तथा जो फ़िल्टर पेपर से नहीं छनते कोलॉइड कहलाते हैं।
जैसे- दूध, दही, गोंद, बादल आदि।
समांगी और विषमांगी मिश्रणों के गुणों वाला मिश्रण, जिसमें कण समान रूप से विलयन में बिखरे होते हैं, कोलॉइडी विलयन कहलाता है। इन्हें कोलॉइडल निलंबन भी कहा जाता है। निलंबन के कणों की तुलना में कोलॉइडी विलयन के कणों का आकार छोटा होने के कारण यह एक समांगी मिश्रण प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में यह एक विषमांगी मिश्रण है। कोलॉइड शब्द किसी विशेष वर्ग के पदार्थों पर लागू नहीं होता है, लेकिन ठोस, द्रव और गैस जैसे पदार्थ की अवस्था है। किसी भी पदार्थ को उपयुक्त साधनों द्वारा कोलॉइडी अवस्था में लाया जा सकता है। इसे वास्तविक विलयन और निलंबन के बीच की मध्यवर्ती अवस्था माना जाता है। एक प्रणाली को कोलॉइडल अवस्था में कहा जाता है यदि एक या एक से अधिक घटकों के कणों का आकार 10 एंग्स्ट्रॉम से 103 एंग्स्ट्रॉम होता है। कोलॉइड के कण विलयन में समान रूप से फैले होते हैं। कोलॉइड कणों के छोटे आकार के कारण हम इसे साधारण आँखों से नहीं देख सकते। लेकिन ये कण प्रकाश की किरण को आसानी से फैला देते हैं। इनके कणों का आकार निलंबन के कणों से छोटा होने के कारण यह मिश्रण समांगी प्रतीत होता है लेकिन वास्तविकता में विलयन विषमांगी मिश्रण है जैसे दूध।
नमक जल में क्रिस्टलाभ की तरह, जबकि अल्कोहल में कोलॉइड की तरह व्यवहार करता है।
कोलॉइड के गुण
- यह एक विषमांगी मिश्रण है।
- कोलॉइड के कणों का आकार इतना छोटा होता है की ये पृथक रूप से आँखों से नहीं देखे जा सकते।
- ये इतने बड़े होते हैं की प्रकाश की किरण को फैलाते हैं तथा उसके मार्ग को दृश्य बनाते हैं।
- जब इन्हे शांत छोड़ दिया जाता है तब ये कण तल पर बैठते हैं अर्थात ये स्थाई होते हैं।
- ये छनान विधि द्वारा मिश्रण से पृथक नहीं किये जा सकते। किन्तु एक विशेष विधि अपकेंद्रीकरण तकनीक द्वारा पृथक किये जा सकते हैं।
कोलॉइडों का वर्गीकरण
कोलॉइडों को निम्न मापदंडो के आधार पर वर्गीकृत किया गया है -
- परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था।
- परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्यक्रिया की प्रकृति।
- परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों का प्रकार।
परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था के आधार पर वर्गीकरण
परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की अवस्था के आधार पर कई प्रकार के कोलॉइड तंत्र सम्भव हैं। यदि एक गैस को दूसरी गैस के साथ मिलाकर कोलॉइड बनाया जाता है तो इस प्रकार का कोलॉइड समांगी कोलॉइड है अतः इसे एक कोलॉइड तंत्र नहीं मानते। कुछ कोलॉइड तंत्र के प्रकार निम्न लिखित हैं।
परिक्षिप्त प्रावस्था | परिक्षेपण माध्यम | कोलॉइडों का प्रकार | उदाहरण |
---|---|---|---|
ठोस | ठोस | ठोस सॉल | रंगीन कांच |
ठोस | द्रव | सॉल | पेण्ट |
ठोस | गैस | ऐरोसॉल | धुआं, धुल |
द्रव | ठोस | जेल | पनीर, जेली |
द्रव | द्रव | इमल्शन | दूध, बालों की क्रीम |
द्रव | गैस | ऐरोसॉल | धुंध, कोहरा, बादल, कीटनाशक स्प्रे |
गैस | ठोस | ठोस सॉल | फोम रबर |
गैस | द्रव | फोम | फेन, साबुन का झाग |
परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्यक्रिया की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण
परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्यक्रिया की प्रकृति के आधार पर कोलॉइड को दो वर्गों में विभाजित किया गया है।
द्रवरागी कोलॉइड
ऐसे कोलॉइडल विलयन जिनमें परिक्षिप्त अवस्था में परिक्षेपण माध्यम के लिए काफी समानता होती है, अर्थात, वे कोलॉइडल विलयन, जिनमे परिक्षिप्त अवस्था और परिक्षेपण माध्यम आपस में एक साथ आसानी से मिलते हैं, द्रव स्नेही कोलॉइड कहलाते हैं। इन्हें इमल्सोइड्स के नाम से भी जाना जाता है।
उदाहरण- जिलेटिन, प्रोटीन, स्टार्च आदि
द्रवरागी कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलॉइडल अवस्था में बदला जा सकता है।
स्टार्च, गोंद, जिलेटिन आदि जैसे द्रवस्नेही कोलॉइड के कोलॉइडल विलयन को ठंड में या गर्म होने पर जल में घोलकर आसानी से तैयार किया जा सकता है। कोलॉइडल वैधुत अपघट्य जैसे साबुन और डाई सामग्री के कोलॉइडल विलयन भी इसी तरह तैयार किए जा सकते हैं।
द्रवस्नेही कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलॉइडल अवस्था में बदला जा सकता है।
द्रव स्नेही कोलॉइड की विशेषताएं
द्रव स्नेही कोलॉइड की विशेषताएं निम्न लिखित हैं:
- द्रव स्नेही कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं।
- द्रव स्नेही कोलॉइड उत्क्रमणीय होते हैं।
- इसकी श्यानता विलायक से अधिक होती है।
- पृष्ठ तनाव बहुत कम होता है।
- इनके अणुओं में कोई आवेश नहीं होता है।
- इनके अणुओं को सूक्ष्मदर्शी से नहीं देखा जा सकता है।
- इनका स्कंदन आसान नहीं होता है।
- जब परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम के कणों को आपस ,में मिलाया जाता है तो तुरंत कोलॉइड अवस्था प्राप्त हो जाती है।
द्रवविरागी कोलॉइड
ऐसे कोलॉइडल विलयन जिनमें परिक्षिप्त अवस्था में परिक्षेपण माध्यम के लिए काफी असमानता होती है, अर्थात, वे कोलॉइडल विलयन, जिनमे परिक्षिप्त अवस्था और परिक्षेपण माध्यम आपस में एक साथ आसानी से नहीं मिलते हैं, द्रवविरागी कोलॉइड कहलाते हैं। इन्हें इमल्सोइड्स के नाम से भी जाना जाता है। 'द्रवविरागी कोलॉइड' और द्रव के बीच आकर्षण कम या ना के बराबर होता है। द्रवविरागी कोलॉइड' में विलायक के समान चिपचिपाहट होती है, द्रवविरागी कोलॉइड' थर्मोडायनामिक रूप से अस्थिर होते हैं।
द्रवरागी कोलॉइड बहुत स्थाई होते हैं इन्हे उत्क्रमणीय कोलॉइड जाता है क्योकी वाष्पीकरण पर बचे अवशेषों को केवल विलायक में मिलाकर आसानी से वापस कोलॉइडल अवस्था में बदला जा सकता है।
द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं
द्रवविरागी कोलॉइड की विशेषताएं निम्न लिखित हैं:
- द्रवविरागी कोलॉइड बहुत अस्थाई होते हैं।
- द्रवविरागी कोलॉइड अनउत्क्रमणीय होते हैं।
- इसकी श्यानता विलायक से कम होती है।
- पृष्ठ तनाव बहुत अधिक होता है।
- इनके अणुओं में आवेश होता है।
- इनके अणुओं को सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है।
- इनका स्कंदन आसान होता है।
- जब परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम के कणों को आपस ,में मिलाया जाता है तो तुरंत कोलॉइड अवस्था प्राप्त नहीं हो जाती है।
परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों के आधार पर वर्गीकरण
परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों के प्रकार के आधार पर कोलॉइड को बहुआणविक कोलॉइड, बृहदाणविक कोलॉइड, सहचारी कोलॉइड में वर्गीकृत किया गया है।
बहुआणविक कोलॉइड
जब कोलॉइडी कण एकत्रित होकर पुंज जैसी स्पीशीज बना लेते हैं जिनमें कणों का आकार कोलॉइडी सीमा (व्यास < 1nm) में होता है। इस प्रकार प्राप्त स्पीशीज बहुआण्विक कोलॉइड कहलाती है।
उदाहरण - एक गोल्ड सॉल में अनेक परमाणु युक्त भिन्न भिन्न आकार के कण हो सकते हैं। जैसे सल्फर सॉल में एक हज़ार या उससे भी अधिक S8 सल्फर अणु वाले कण उपस्थित होते हैं।
बृहदाणविक कोलॉइड
बृहदाणविक कोलॉइड उचित विलायकों में ऐसे विलयन बनाते हैं जिनमे बृहदाणुओं का आकार कोलॉइड सीमा में होता है।
उदाहरण - स्टार्च, सेलुलोस, प्रोटीन आदि प्राकृतिक बृहदाणु हैं एवं पॉलीथीन, नायलॉन, संश्लेषित रबर आदि कृतिम बृहदाणु हैं।
सहचारी कोलॉइड (मिसेल)
कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो कम सान्द्रताओं पर सामान्य प्रबल विद्युत-अपघट्य के समान व्यवहार करते हैं, परन्तु उच्च सान्द्रताओं पर कणों का पुंज बनने के कारण कोलॉइड के समान व्यवहार करते हैं। इस प्रकार पुंजित कण मिसेल कहलाते हैं। ये सहचारी कोलॉइड भी कहलाते हैं। मिसेल केवल निश्चित ताप से अधिक ताप पर बनते हैं जिसे क्राफ्ट ताप कहते हैं, एवं सांद्रता एक निश्चित सांद्रता से अधिक होती है, जिसे क्रांतिक मिसेल सांद्रता कहते हैं। जब इन्हे तनु किया जाता है तो ये कोलॉइड पुनः अपने आयनों में टूट जाते हैं।
अभ्यास प्रश्न
- द्रवविरागी कोलॉइड से आप क्या समझते है?
- द्रवस्नेही कोलॉइड और द्रव विरोधी कोलॉइड में क्या अन्तर है?
- कोलॉइड से आप क्या समझते हैं ?