गुणोत्तर श्रेढ़ी

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गुणोत्तर श्रेढ़ी[1] वह श्रेढ़ी है , जिसमें प्रत्येक पद एक सार्व अनुपात द्वारा दूसरे से भिन्न होता है । श्रेढ़ी का अगला पद तब निर्मित होता है , जब हम किसी गैर-शून्य स्थिरांक को पिछले पद से गुणा करते हैं। गुणोत्तर श्रेढ़ी को निम्नलिखित रूप में दर्शाया जा सकता हैं :

जहाँ ,

पहला पद है ।

सार्व अनुपात है ।

वाँ पद

उदाहरण

गुणोत्तर श्रेढ़ी के गुण

गुणोत्तर श्रेढ़ी के महत्वपूर्ण गुण नीचे सूचीबद्ध हैं :

  1. यदि किसी गुणोत्तर श्रेढ़ी के प्रत्येक पद को गैर-शून्य स्थिरांक से गुणा या विभाजित किया जाता है , तो परिणामी श्रेढ़ी भी समान सार्व अनुपात वाला एक गुणोत्तर श्रेढ़ी होती है ।
  2. दो गुणोत्तर श्रेढ़ी का गुणनफल और भागफल एक गुणोत्तर श्रेढ़ी होती है ।
  3. यदि तीन गैर-शून्य पद गुणोत्तर श्रेढ़ी में हैं , तो होता है ।
  4. एक गुणोत्तर श्रेढ़ी में तीन लगातार पदों को के रूप में लिया जा सकता है ।

गुणोत्तर श्रेढ़ी का सर्वनिष्ठ पद या nवाँ पद

मान लीजिए कि किसी गुणोत्तर श्रेढ़ी के लिए पहला पद है और सार्व अनुपात है ।

दूसरा पद

तीसरा पद

इसी प्रकार,

वाँ पद

गुणोत्तर श्रेढ़ी का सर्वनिष्ठ पद या वाँ पद ज्ञात करने का सूत्र है ।

गुणोत्तर श्रेढ़ी के n पदों का योग

मान लीजिए दी गई गुणोत्तर श्रेढ़ी है।

गुणोत्तर श्रेढ़ी के पदों का योग इस प्रकार दिया जाता है :

गुणोत्तर श्रेढ़ी के पदों का योग ज्ञात करने का सूत्र है :

जब , है तो :

जब , है तो :

जहाँ ,

पहला पद

सार्व अनुपात

पदों की संख्या है ।

यदि सार्व अनुपात के बराबर है , तो गुणोत्तर श्रेढ़ी के पदों का योग इस प्रकार दिया जाता है :

जहाँ ,

पहला पद

पदों की संख्या है ।

उदाहरण 1

यदि गुणोत्तर श्रेढ़ी है , तो इसका वाँ पद ज्ञात कीजिए ।

हल

दी गई गुणोत्तर श्रेढ़ी ,

पहला पद

सार्व अनुपात दूसरा पद / पहला पद

वाँ पद ज्ञात करने का सूत्र

वाँ पद ( )

मान रखने पर ,

वाँ पद

( )

अतः , दी गई गुणोत्तर श्रेढ़ी का वाँ पद होगा ।

उदाहरण 2

सूत्र का उपयोग करके गुणोत्तर श्रेढ़ी का योग ज्ञात करें ।

हल

दी गई गुणोत्तर श्रेढ़ी ,

पहला पद

सार्व अनुपात दूसरा पद / पहला पद

पदों की संख्या

क्योकि है , तो गुणोत्तर श्रेढ़ी के पदों का योग ज्ञात करने का सूत्र ,

मान रखने पर ,

( )

अतः , दी गई गुणोत्तर श्रेढ़ी का योग है ।

संदर्भ

  1. "गुणोत्तर श्रेढ़ी".