अप्रभावी गुण
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यह एक अप्रभावी जीन द्वारा व्यक्त किया जाने वाला लक्षण है। अप्रभावी जीन एक जीन है जिसकी अभिव्यक्ति एक प्रभावी जीन द्वारा दबा दी जाती है। "वे लक्षण जो प्रायः प्रथम पीढ़ी में दिखाई नहीं देते हैं, अप्रभावी लक्षण कहलाते हैं।" जीवों के गुणों को दो जोड़ों में बाँटा जाता है। प्रत्येक के दोनों गुण इस प्रकार सम्बन्धित होते है कि अगर दोनों गुणों को एक साथ एक ही जीव में उपस्थित करते हैं तो इनमें से एक ही गुण को प्रभावी होता है वह दिखाई देता है। जबकि दूसरा गुण स्वयं दिखाई नही पड़ता है तो उसे अप्रभावी गुण कहते हैं। मेण्डल ने लम्बे पौधे के लक्षण को प्रभावी और बौने पौधे के लक्षण को अप्रभावी कहा।
उदाहरण
मटर के पौधे में लंबापन एक प्रभावी लक्षण है और बौनापन एक अप्रभावी लक्षण है।