मात्रात्मक विश्लेषण
मात्रात्मक विश्लेषण कार्बनिक रसायन में एक महत्वपूर्ण विषय है क्योकी इसके द्वारा कार्बनिक यौगिकों में तत्वों का द्रव्यमान प्रतिशत ज्ञात किया जाता है। तत्वों के द्रव्यमान प्रतिशत से यौगिकों के मूलानुपाती सूत्र एवं अणुसूत्र की गणना की जाती है। मात्रात्मक विश्लेषण करने की विधियां भिन्न हैं:
कार्बन तथा हाइड्रोजन की पहचान
कार्बनिक यौगिकों की ज्ञात मात्रा को कॉपर (II) ऑक्साइड तथा ऑक्सीजन के आधिक्य में जलाने पर कार्बन तथा हाइड्रोजन क्रमशः कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल में आक्सीकृत हो जाती है।
प्राप्त जल की मात्रा ज्ञात करने के लिए मिश्रण को निर्जल कैल्सियम क्लोराइडयुक्त U नली में प्रवाहित करते हैं। इसको एक दूसरी U नली से जोड़ दिया जाता है जिसमे सांद्र पोटेसियम हाइड्रॉक्सॉइड विलयन मिलाते हैं जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड गैस अवशोषित हो जाती है। जब कैल्सियम क्लोराइड तथा पोटेसियम हाइड्रॉक्सॉइड विलयन के द्रव्यमान में वृद्धि होती है तो जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा ज्ञात की जा सकती है। जिससे कार्बन तथा हाइड्रोजन की प्रतिशतता भी ज्ञात की जा सकती है।
यदि किसी कार्बनिक यौगिक का द्रव्यमान m ग्राम और उससे प्राप्त जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड के द्रव्यमान क्रमशः m1 और m2 ग्राम है तो:
कार्बन का प्रतिशत =
हाइड्रोजन का प्रतिशत =
उदाहरण
0.12 g किसी कार्बनिक यौगिक के पूर्ण दहन के फलस्वरूप 0. 24 gm कार्बन डाइऑक्साइड तथा 0. 2 gm जल प्राप्त होता है। यौगिक में कार्बन तथा हाइड्रोजन की प्रतिशत मात्रा की गणना कीजिये।
कार्बन का प्रतिशत =
= 54.54 %
हाइड्रोजन का प्रतिशत =
= 18.51 %
नाइट्रोजन के आकलन करने की विधियां
नाइट्रोजन के आकलन करने की निम्न लिखित दो विधियां हैं जेल्डाल विधि का उपयोग कार्बनिक यौगिकों में उपस्थित नाइट्रोजन के आकलन के लिए किया जाता है। इस विधि में दिए गए कार्बनिक यौगिक को K2SO4 की उपस्थिति में, सान्द्र H2SO4 के साथ उबाला जाता है जिसके कारण समस्त नाइट्रोजन, (NH4)2SO4 में परिवर्तित हो जाता है। ड्यूमा विधि का उपयोग कार्बनिक यौगिकों में उपस्थित नाइट्रोजन के आकलन के लिए किया जाता है। इस विधि में दिए गए कार्बनिक यौगिक को CO2 की उपस्थिति में, सान्द्र CuO के साथ उबाला जाता है। इस विधि में नाइट्रोजन युक्त यौगिक को कार्बन डाइऑक्साइड के वातावरण में कॉपर ऑक्साइड के साथ गर्म किया जाता है जिससे नाइट्रोजन गैस बाहर निकलती है।
नाइट्रोजन के आकलन करने की निम्न लिखित विधियां हैं।
- जेल्डाल विधि
- ड्यूमा विधि
ड्यूमा विधि
ड्यूमा विधि का उपयोग कार्बनिक यौगिकों में उपस्थित नाइट्रोजन के आकलन के लिए किया जाता है। इस विधि में दिए गए कार्बनिक यौगिक को CO2 की उपस्थिति में, सान्द्र CuO के साथ उबाला जाता है। इस विधि में नाइट्रोजन युक्त यौगिक को कार्बन डाइऑक्साइड के वातावरण में कॉपर ऑक्साइड के साथ गर्म किया जाता है जिससे नाइट्रोजन गैस बाहर निकलती है। साथ ही कार्बन तथा हाइड्रोजन क्रमशः कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल में परिवर्तित हो जाते हैं।
यदि अल्प मात्रा में प्राप्त नाइट्रोजन ऑक्साइडों को जब गर्म कॉपर के तार पर प्रवाहित करते हैं तो नाइट्रोजन ऑक्साइड नाइट्रोजन में अपचयित हो जाती है। नाइट्रोजनयुक्त कार्बनिक यौगिक क्यूप्रिक ऑक्साइड के साथ गर्म करने पर इसमें उपस्थित हाइड्रोजन, कार्बन, नाइट्रोजन H2O, CO2, NO2,NO, N2O में आक्सीकृत हो जाते हैं। जब प्राप्त गैसीय मिश्रण को रक्त तप्त कॉपर की जाली के ऊपर ये मिश्रण प्रवाहित किया जाता है तो नाइट्रोजन के ऑक्साइड का नाइट्रोजन में अपचयन हो जाता है।
नाइट्रोजन के आकलन करने की विधियां
नाइट्रोजन के आकलन करने की निम्न लिखित विधियां हैं।
- जेल्डाल विधि
- ड्यूमा विधि
उदाहरण
नाइट्रोजन आकलन की ड्यूमा विधि में 0.4 gm कार्बनिक यौगिक 300 K ताप तथा 700 mm दाब पर 50 ml नाइट्रोजन देता है। यौगिक में नाइट्रोजन की प्रतिशतता ज्ञात कीजिये।
300 K ताप तथा 700 mm दाब पर नाइट्रोजन का आयतन = 50ml
वास्तविक दाब = 700 - 25
= 675mm
STP पर नाइट्रोजन आयतन
= 40.4 ml
22400 ml नाइट्रोजन का STP पर भार = 28 gm
अतः 40.4 ml का नाइट्रोजन का STP पर द्रव्यमान = gm
नाइट्रोजन की प्रतिशतता
नाइट्रोजन
= 12.62 %
जेल्डाल विधि
जेल्डाल विधि का उपयोग कार्बनिक यौगिकों में उपस्थित नाइट्रोजन के आकलन के लिए किया जाता है। इस विधि में दिए गए कार्बनिक यौगिक को K2SO4 की उपस्थिति में, सान्द्र H2SO4 के साथ उबाला जाता है जिसके कारण समस्त नाइट्रोजन, (NH4)2SO4 में परिवर्तित हो जाता है। इस विधि में नाइट्रोजन युक्त यौगिक को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म किया जाता है। जिससे नाइट्रोजन, अमोनियम सल्फेट में परिवर्तित हो जाता है तब प्राप्त अम्लीय मिश्रण को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के आधिक्य के साथ गर्म किया जाता है तो अमोनिया गैस मुक्त होती है, जिसे मानक सल्फुरिक अम्ल विलयन के ज्ञात आयतन में अवशोषित कर लिया जाता है। उसके उपरान्त सल्फ्यूरिक अम्ल को क्षार के मानक विलयन द्वारा अनुमापित कर लिया जाता है। अम्ल की प्रारंभिक मात्रा और शेष मात्रा के बीच के अंतर् से अमोनिया के साथ अभिकृत अम्ल की मात्रा प्राप्त होती है।
नाइट्रोजन के आकलन करने की विधियां
नाइट्रोजन के आकलन करने की निम्न लिखित विधियां हैं।
- जेल्डाल विधि
- ड्यूमा विधि
नाइट्रोजनयुक्त नाइट्रो समूह, एजो समूह और वलय में उपस्थित नाइट्रोजन जैसे पिरीडीन में जेल्डाल विधि लागू नहीं होती है क्योकी इनमे उपस्थित नाइट्रोजन अमोनियम सल्फेट में परिवर्तित नहीं होते हैं।
उदाहरण
नाइट्रोजन आकलन की विधि में 0.4 gm यौगिक में मुक्त अमोनिया 10 ml 1 M H2SO4 को उदासीन करती है। तो यौगिक में उपस्थित नाइट्रोजन की प्रतिशतता ज्ञात कीजिये।
1 M 10 ml H2SO4 = 1M 20 ml NH3
1000 ml 1 M अमोनिया में उपस्थित नाइट्रोजन = 14 gm
अतः 20 ml 1 M अमोनिया में उपस्थित नाइट्रोजन
= नाइट्रोजन
अतः नाइट्रोजन की प्रतिशतता
=
= 70.0 %
फास्फोरस
कार्बनिक यौगिक की एक ज्ञात मात्रा को जब सधूम्र नइट्रिक अम्ल के साथ गर्म किया जाता है तो उसमे पहले से उपस्थित फास्फोरस फास्फोरिक अम्ल में आक्सीकृत हो जाता है। हम, जब इसमें अमोनिया तथा अमोनियम मोलिब्डेट मिलाते हैं तो यह अमोनियम फास्फेटोमॉलिब्डेट के रूप में अवक्षेपित हो जाता है या फिर फास्फोरिक अम्ल में मैग्नेसिया मिलाकर इसे MgNH4PO4 के रूप में अवक्षेपित किया जा सकता है जिसके ज्वलन से Mg2P2O7 प्राप्त होता है।
प्रश्न - Ca(H2PO4)2 में फास्फोरस के प्रतिशत की गणना कीजिये।
[Ca = 40, H = 1, P = 31, O = 16]
हल -
आणविक द्रव्यमान, Ca(H2PO4)2 = 40 + 2(2 + 31 + 64) = 234 ग्राम
234 ग्राम उर्वरक में फास्फोरस का द्रव्यमान = 2(31) ग्राम = 62 ग्राम
अभ्यास प्रश्न
- ड्यूमा विधि का उपयोग किस यौगिक की पहचान करने में किया जाता है ?
- नाइट्रोजन के आकलन की कौन कौन सी विधियां हैं?
- नाइट्रोजन आकलन की विधि में 0.6 gm कार्बनिक यौगिक 300 K ताप तथा 700 mm दाब पर 50 ml नाइट्रोजन देता है। यौगिक में नाइट्रोजन की प्रतिशतता ज्ञात कीजिये।