प्रतिबिम्ब रूप

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वे त्रिविम प्रतिरूप जो एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं होते हैं, परन्तु एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं, प्रतिबिम्ब रूप कहलाते हैं। ये एक ही ध्रुवित प्रकाश के साथ बराबर और विपरीत घूर्णन देते हैं एक समतल ध्रुवित प्रकाश को दक्षिणावर्त तथा दूसरा समतल ध्रुवित प्रकाश को वामावर्त घुमाता है। प्रतिबिंब रूपों के रासायनिक गुण एक से होते हैं पर किसी दूसरे प्रकाशत: सक्रिय पदार्थ के साथ की अभिक्रिया में प्राय:अंतर होता है। ये यौगिक प्रकाशिक समावयवता प्रदर्शित करते हैं। "वे त्रिविम प्रतिरूप जो एक दूसरे पर अध्यारोपित नहीं होते लेकिन एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं प्रतिबिम्ब रूप कहलाते हैं।"

"असममित यौगिकों के प्रतिबिम्ब रूप एक दूसरे पर अध्यारोपित नहीं किये जा सकते हैं।"

प्रकाशिक समावयवता

एनैन्टीओमर्स

प्रकाशिक समावयवता काइरल केंद्रों वाले अणुओं में होता है, जो चार अलग-अलग प्रतिस्थापनों से बंधे कार्बन परमाणु होते हैं। काइरल अणुओं में गैर-सुपरइम्पोज़ेबल दर्पण छवियां होती हैं, और इन दर्पण छवियों को एनैन्टीओमर्स कहा जाता है।

एनैन्टीओमर्स

एनैन्टीओमर्स स्टीरियोइसोमर्स हैं जो एक दूसरे की दर्पण छवियां हैं। समतल-ध्रुवीकृत प्रकाश के साथ उनकी परस्पर क्रिया को छोड़कर उनके पास समान भौतिक और रासायनिक गुण हैं। एक एनैन्टीओमर समतल-ध्रुवीकृत प्रकाश को दक्षिणावर्त घुमाता है (डेक्सट्रोटोटरी, जिसे + या d के रूप में नामित किया गया है), जबकि दूसरा इसे वामावर्त घुमाता है (लेबोरेटरी, जिसे - या l के रूप में नामित किया गया है)।

उदाहरण: l-अलैनिन और d-अलैनिन एक दूसरे के एनैन्टीओमर हैं। उनके पास समान आणविक सूत्र और कनेक्टिविटी है लेकिन काइरल कार्बन केंद्र में उनकी स्थानिक व्यवस्था में भिन्नता है।

रेसेमिक मिश्रण या रेसेमीकरण

किसी प्रकाशिक यौगिक के d अथवा l प्रतिबिम्ब समावयवीयों को उनके प्रकाशिक रेसेमिक मिश्रण में बदलने की प्रक्रिया को रेसीमिकरण कहते हैं। जैसा की हम जानते हैं, दो प्रतिबिम्ब रूपों (d तथा l) के समान अनुपात में मिश्रण का ध्रुवण घूर्णन शून्य होता है, क्योंकि एक समावयवी के द्वारा उत्पन्न घूर्णन दूसरे के घूर्णन को निरस्त कर देगा। अतः इस प्रकार का मिश्रण रेसिमिक मिश्रण कहलाता है।

  • यदि दक्षिण ध्रुवक व वाम ध्रुवण घुर्णक को 50-50% समान मात्रा में मिला दिया जाए तो बाह्य प्रतिकर्षण के कारण प्राप्त पदार्थ ध्रुवण अघुर्णक हो जाता है जिसे सिस रेसेमिक मिश्रण कहते है तथा इस परिघटना को रेसमीसीकरण कहते है।
  • रेसेमिक मिश्रण ध्रुवण अघुर्णक होता है व प्रकाशिक समावयवता नहीं दर्शाता है।
  • रेसेमिक मिश्रण को (dl ±) से दर्शाया जाता है।

रेसमीसीकरण का कारण

यदि कोई यौगिक काइरल से अकाइरल में बदलता है तो रेसमीसीकरण होता है। जब अभिक्रियाओ में इनवर्शन होता है तब भी रेसमीसीकरण की क्रिया होती है।

उदाहरण

क्लोरो प्रोपनोइक अम्ल

अभ्यास प्रश्न

  • प्रतिबिम्ब रूप से क्या तातपर्य है ?
  • एनैन्टीओमर्स क्या है ?
  • काइरल कार्बन क्या है ?